Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 358983 times)

Bhishma Kukreti

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सिरड़/गुसा/चिंग्वात
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     Garhwali Satire on Anger  (विभू जोशी)

                 सिरड़,गुसा ह्वा चाये चिंग्वात आ मनखि की इ अवस्था
खड्वळुन्द लिजाण जुगा मन गाणि छन । सिरड़ सबसै पैलि वे मनिख कु हि उज्याड़  खान्द  जु हौरु फर सिरड़ेणु रैन्द । ब्वळणा  कु मतलब यो चा  कि सिरड़ सबसै पैलि अपड़ि मौ  खान्द । पर यो भि सच चा कि मनिख जीवन का दगड़ा-दगिड़ि सिरड़ भि हिटणीं रैन्द, ज्यांका वजै से आदिम दिन-राति फिनकौं मा इनु जळणु रैन्द, जनु अमलटु लखुडु मसमस कैकि भितर हि भितर फुक्कैकि  रंगुणु ह्वै जांद | बस  सिरड्या मनिख का हाल भि उनि समिझि ल्याव । सिरड़/ गुसा कनभानिक भला मिठ्ठु स्वभौ थैं भि इनै-उनै लमडै-पिच्गैकि चिंग्वत्या  स्वभौ कु बणै  दींद | जु लणैं झगड़ा अर तकणातकड़ कु खिर्तु  कराणु  रैन्द । भिण्यां दां सिरड्या  आदिम अपुणु गुस्सा थैं सै बताणा का बाना झणि कतगा  मसल,आणा-भ्वीड़ा अर बत्था  बिंगाणु रैंद । अपणि एक गल्ती थैं लुकाण छिपाणा  का बाना गुसा/ चिंग्वात  करण से त भलु यो च कि यीं  सिरड़ से हि कुछ सीख ल्हिये जा । सिरड़,गुसा अर चिंग्वात अपणा  ख्वाळ-द्वारम भि  बिक्क फौळ्ये दींद अर आदिमा  कि  जिकुड़ि कटफोड़ चखुळि बणि वैका भितर  उड्यार अर खगन-बिघन करिणि  रैन्द । इन लगद कि ताना,हिणतैं, नड़ाक,नाकटिंवाळ, भुक्खरा अर अणतोस आदिम फर गुसा अर सिरड़ ल्यदिं । कबरि-कबरि त बरसु  बटैकि नि छडयीं बिमरि, बुढ्यात,यकुंलास इनि  हौरि  भि कतगै बत्था गुस्सा  अर सिरड़ बढाणि रंदिन, पर यो कै भला अर सयणा  आदिमा  का लच्छन नि छन । जै बिरति, जै सगोर अर जै आदतल मयळ्दु  शरैळ, जिकुड़ि ठण्डकरै जा त इनि  बिरति, आदत कु नास टक लगैकि  करण चैन्द । य बात भि  सच चा कि हम हौरु  थैं अफु जन त नि बणै  सकदा  अर न अफु  थैं मारि  बांधिकि हौरि  जनै  ढळ्कै सकदंवा पर बरखा हूण फर बीज त खड्डै सकदंवा । दुसमनै हुणी  माने अपणा  भैर-भितरा  की सुख-शान्ति लुच्छणी । दुसमनै  त गुसा,सिरड़ अर चिंग्वात की भिभड्यट्या अगिन चा ।पैलि बटैकि  कै का बारा मा अपणो  मन ब्यग्ळ्याणु नि चैन्दु । पैलि वै थैं भलिकैकि हर्ती-बर्ती ल्हिण चैन्द । कै खुणै  कुछ ब्वलण से पैलि कुछ स्वचुणु  जरुरी हूंदा । जै गिच्चल तू ब्वळणा  वै गिच्चला तुम ब्वळणु सौंगु चा । गुसा,सिरड़ अर चिंग्वात जु अजकाला का टैम मा  हमरा खास स्वारा अर आबत-अस्नौ बण्यां छन अगर युं खुणै हम यकुळि नि  छोड़ि सकदवा त कम से कम युं म्वरणा फर  चुप त रै  सकदवा । मन मारिक,जीब डमै कै से सिरड़,गुसा थैं तैळ्या  मूंड धोळि त सकदवा । कम से कम वै थैं मैळ्या  मूंड आणा मा कुछ टैम त लगलो अर तबरि तक हम अपणा  भै-बन्दो  दगड़ छज्जा  मा बैठिकि  खुट्टि त लबणंदि त कैर सकदवां । त गुसा,सिरड़ अर चिगैं खुण कारा --- बै-बै--टा-टा ||

Copyright@ Vibhuti N Joshi (Joshi from Pokhara)
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सिरड़ ,चिरड़ ,  रोष , गुस्सा तो व्यंग्यकार को अस्त्र शस्त्र च  अर व्यंग्य स्रोत्र भी
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   
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उन सि बात हूंद, स्वार भार ले हूंद  त मीन विभूति नारायण जोशी की बांठै इन धरण छै कि पोखड़ा जाण बिसर जांद।  पण अपण बिरण बोलिक मीन विभूति कुण कुछ नि ब्वाल।  वे दिल्ली वळ जोशी पर गुस्सा तो इन आयुं छौ कि म्यार भौ फड़कणा था , नाक बटें सूं सूं की आवाज आणि थै , मुट्ठी बुजेणी छै जी। कुछ नि मील त मीन दारु को पूरो गिलास सड़काई अर सिरड़ मा गिलास फोड़ी दे।  क्रोध से आँख लाल हूणा था, मुख बिटेन फ्यूंण आणु थौ  अर लिखणो ज्यू बुल्याइ बल - जोशी ह्वेल्या तो अपण ख्वाळऔ जोशी ह्वेल्या , हमकुंण क्या ?कौन सा हमन तुम माँगन जंद्यो पैरवाण।  हमर त टकली चलणस्यूं से अपण मुंड मा बुगण बिठाळयां छन जंद्यो दीणो कुण। नाराजी अर ताव मा मेरी कुल्ली हलणी छै कि लेखी द्यूं बल अरे जोशी ! मीन तुमर किलै सुणन भै ? जब मि भाटियाणा , चमोली का अपण खास समधी जोशी को नि सुणदु तो तुम पोखड़ा जोश्यूं किलै सूंणु।
 असल मा ब्याळि विभूति नारायण जोशीन हम साहित्यकारों तै सीख दे बल - सिरड़ /गुस्सा /चिंग्वात नि कारो।  अब बथावो  कै कौमनष्टि हिन्दू कम्युनिष्ट तै तुम सीख देल्या कि गाय का मांश नि खाण त वै कम्युनिस्टन रुश्याण नी ? अरे खिजेक वै कम्युनिष्टान खुले आम बीफ पार्टी करण च कि ना ?
हाँ अब जब विभूति जोशी हम व्यंग्यकारों तै सीख द्याल कि क्रोध , सिरड़ , बिरड़ बर्जित कारो तो व्यंग्यकारों , चबोड्यों , चखन्यौरों ज्यू एकाक  धड़ से अलग करण , हैंकाक खुट तुड़णो , कैक मुंड फुड़णो , नकद्वड़ पर मुंगरै चोट करणै नि बुल्याल क्या ? ल्वैखतर्यो करणो इच्छा हूणी च।
अरे बिरळ तै सीख दिएणि च बल तू मूसो जिना  नि देख , दूध से नजर हटा।  हैं व्यंग्यकार गुस्सा नि ह्वालो त वु व्यंग्य छोड़िक  दर्शन शास्त्र ल्याखल कि ना ?
जब अरज्जी , अराजकता हूंदी तो कोप हूंद कि ना अर ये भै जोशी जब व्यंग्यकार पर अन्याय, बिडंबना  से क्रोध आंद अर खीज से व्यंग्यकार का   जूंगा जळदन तो ही तो व्यंग्य उपजदो जी। 
जब भ्रस्टाचार , अनाचार , कुचार फैलदो तो संत से संत मनिख का आँख लाल ह्वे जांदन अर इनि मा तो व्यंग्य पैदा हूंद हे गजलकार जोशी जी ! हैं तुम त व्यंग्यकार का व्यंग्य स्रोत्र ही सुकाण पर अयाँ छा जोशी जी।
यदि व्यंग्य लिखद दैं व्यंग्यकार का जुबान पर अनाचार्युं, व्यभिचार्युं , क्या बुन्या क्या कन्याओं कुण भयंकर , अशास्त्रीय ,  निम्न स्तर की गाळी नि आवो तो व्यंग्यकार क्या ख़ाक व्यंग्य ल्यखल जी।
क्रोध तो व्यंग्य का प्रस्तावक , जन्मदाता , पोषक अर प्रसारक च जी।
कोप , खिज्ज , सिरड़ , चिंग्वात तो व्यंग्य लिखणो भोजन , पाणी , खाद क्या कैटेलिस्ट च जी अर तुम बुलणा छंवां बल सिरड़ तै ब्वालो टाटा।  हैं आप व्यंग्यकारों जड़नास पर ऐ गेवां जी।
 
निरदयुं , निलज्जुं , बिलंचु तै कच्याण हो तो व्यंग्यकार का पास क्रोध से बड़ो हथ्यार को च ? बस क्रोध ही जी।
व्यंग्य मा व्यभिचार की डंडली सजाण  तो भी बगैर रौद्र भाव का क्या डंडली सजौला हम व्यंग्यकार।
एकाधिकार।  अधिकार लुठ्या , डिक्टेटर पर व्यंग्य की कुलड़ि , तलवार , बंदूक  तबि चलदी जब सबसे पैल व्यंग्यकार तै गुस्सा  आवो।  बगैर गुस्सा अयाँ व्यंग्य तो पस्वड़ (सतहीन धान)  हूंद जी जोशी जी ।
जो  व्यंग्यकार पाठकौ मन मा क्रोध , रोष , कोप नि भौर साको तो वो खत्युँ व्यंग्यकार च जोशी ज्यू। 
हे गजलकार हैंक दिन से इन हिदायत नि देन कि हम व्यंग्यकार निशस्त्र , अस्त्रहीन ही ह्वे जवां।  क्रोध , सिरड़ तो व्यंग्यकार का वास्ता माता , आत्मा , परमात्मा सब कुछ च जी।



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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  8/6/ 2017
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।


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सोल्यूशन - Garhwali Satire
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व्यंग्य -सुनील थपल्याल घंजीर

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  भौत बरसु मा गौं मा छौं अयूं !
 
  जख ह्वाला ,जनै ह्वाला गौंकरा ? तैल्या मैल्या ख्वाल माख्यूं कु भिमड़ांट,मनिख्यूं की गंद ना बास !

   तबरि दलेदर दा दिखे ग्या अपंणि चिरपरिचित छवि मा ... बलदु फर हा हा ,दो दो , बो बो  हंकरदा !
 बल्दू की गौलिंद पुरंणि घांडीयूं की सुरीलि ध्वनि टंणमण टंणमण , अहा !
अर ठेठ गंवड़्या छाप दलेदर दा कु वी उत्साह , वी बीड़ि फर सोड़ मनो यूनिक इसटैल ।
आज बि वे का कांधम् हैल देखी जिकुड़ी कु उमाल नि थम्याई !

 दादा खूब छौ ? मिन कालू चश्मा अपंणा खरमुंड फर अटकै क् दादा पूछी !

/  आं भै आं ... जु ह्वेला तब ? दलेदर दा अपंणि पुश्तैनी दलेदरी फर उतरि ग्या ( दादल पैछांण कनम कमचूसी कैर द्या )

/ दादा मि गुंदकी छौं ! तैल्या ख्वाल ! पटवरि जी कु नाती ।

/  ओ हो ! कन आँखि फुटीं मेरी ... हब्बै  ! गंज्यलि बौ कु अधमंजरु नौनु छै तु !

/ हां हां ... दादा एकदम करैक्ट !

  / कनु भै ? कनु रै ?
 जनै जनै डबका लगेंणि ह्वेली अचकल्यूं ? द्वारि मोरि त् तुमरी सर्या सरग सोरि ग्या ।
क्य मनिख ,क्य गोर , क्य गूंणि क्य बाग सब्बु खुणि खुल्यां छन तुमरी कूड़ी का फाटक ।  भितरखंड भैरखंड एक बरौबर हुयां छन तुमरा ... अब त् असमान ही छत च् तुमरी ।
कूड़ी ,सगोड़ी ,पाती फर तुमरा अवारा बुझ्यों की नजर लगीं च् ,खूप निजरकु कै मौल्यां छन कब्जा जमै क् । बाग त् होटल बंणै क् बैठ्यूं च् वख ठाठ से ! डैर लगद उनै तुमर ख्वाल जनै...
भुल्ला अपंणि कूड़ी जनै न जै हो !

/ पर भैजी मीथै खुद लगीं च अपंणि फटलीयूं की !

/ खुद थै खड्या दे वखि अपंणा पचास गजा पिलाटा कै कूंणा मा ! ई सोल्यूशन च् भुला अब त् ।

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Copyright @ सुनील थपल्याल घंजीर

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तुम तै अछेकि पता चल्द बल बरसात ऐ गे

(Best of  Garhwali Humor , Wits , Jokes  )
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   
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तुम तैं तब पता चल्द बल बरसात ऐ गे जब ज्वी  बि मिल्द वी बुल्द बल ये साल बरसात जल्दी ऐ गे।
जब मुंबई मा या दिल्ली मा तुमर बुजुर्ग बुलण बिस्यावन बल बरखा त हमर गढ़वाळम हूंदी छै , इख बि क्वी बरखा हूंद।
जब मुंबई या दिल्लीम तुमर बुजुर्ग बुलण मिसे जावन बल हमर बगत त बरखा अपण टैम पर आदि छे अर बिजोग पड़िन यी बम्बै -डिल्ली पर , जब तलक हवामान विभाग नि बथांद बरखा इ नि आंद।
तुम तैं तब पता चल्द बल बरसात ऐ गे जब सब जगा झुग्गी  झुपड्यूं छपरोँ मा नीलु -पीलु तिरपाल दिखदां अर मातबरों बिल्डिंगों मा शेड।
जब तुमकुण हलवाई फोन बार बार आंद बल बरखा लगणी च तो गरम गरम पकोड़ा भेजी द्यूं ?
जब तुमर दोस्त फोन करदन यार रेनी सीजन नि मनाई चलो आज फलण बार मा जये जावो।
तुम तैं तब पता चल्द बल बरसात ऐ गे जब तुम रोज एक छतरी हरचैक आंदवा अर अपण कज्याणिक  विषैली झिड़की सुणदा।
जब तुमरि काम वळि बाई बुलण लग जावो कीच साफ़ करणो ज्यादा पगार द्यावो।
जब भितर पुण सब जगा तुमर गीला ही गीला झुल्ला दिखेंदन इख  तलक कि गैस स्टोव मा बि कपड़ा सुखणा रौंदन।
तुम तैं तब पता चल्द बल बरसात ऐ गे जब दुकानदारुं  स्पेशल 50 % समर  डिस्काउंट का बोर्ड बदलेकी  स्पेशल 50 % रेनी सीजन डिस्काउंट ह्वे जांदन।
जब टीवी न्यूज वळा सूरज तै छोड़िक इंद्र दिबता तै गाळी दीण मिसे जावन।
जब टीवी न्यूज या अखबार वळ पानी की कमी कॉलम बंद करिक बाढ़ का कॉलम् शुरू कौरी द्यावान।
तुम तैं तब पता चल्द बल बरसात ऐ गे जब नेताओं का सूखा ग्रस्त क्षेत्र यात्रा बाढ़ क्षेत्र पिकनिक मा बदल जांद।
जब वाशिंग मशीन , वाटर प्यूरीफायर अर मॉस्क्वीटो रिपेलेंट का विज्ञापन ज्यादा ही आण लग जावन।
जब सरकार विज्ञापन करण  लग जावो मलेरिया से सावधान।
जब उत्तराखंड से लैंड स्लाइडिंग का रोज न्यूज आण लग जावन।
तुम तैं तब पता चल्द बल बरसात ऐ गे जब डाक्टरों बिक्री बढ़ जावो।
जब हर एक मिंट मा व्हाट्सएप्प मा लोग बरखा की सेल्फी भिजण लग जावन।
जब में सरीखा लिख्वार तै लिखणो नै विषय मिल जावो तो समझो सीजन बदल गे।



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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  9 /6/ 2017
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लोभ का बाना (लघु व्यंग )
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Garhwali Satire by -Shailendra Joshi
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लोभ का बाना लोभ संस्कृति  लोभगायक बन्यू लोभ  का बाना , लोभ साहित्य , लोभ कवि बन कबि गितांग तो कभी कुछ कभी कुछ सब कुछ बन्यु रान्दु लोभ का बाना  मंचो मा लोभ का बाना लोभ संस्कृति खाओ और पचाओ और खाते रहो लोभ का बाना , लोभ नि त् जीबन मा रख्यु क्या लोभ एक  सागर च् जतगा लोभ आलू उतगा बड़ा आप लोभ का सरोकार हितकार बणला , लोभ एक संस्कृति नि लोभ एक जीबन कु सार च्

Copyright@ Shailendra Joshi

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            पार टैम जॉब !
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     Garhwali Satire by Sunil Thaplyal 'Ghanjir'
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   खाडु भुला पिछला दसेक बरसु बटि हैल लगांणु च् गौं मा !
मि आज हि औं डिल्ली बटि ! तबरि कांधा मा हैल धर्यूं खाडु भुला दिखे ग्या ।

-हे भुला खाडु ! आज कख च् भै हैल ?
 
- पंद्यर माथ भैजी !
तुम सुणावा डिल्ली की इसटोरि ! चांणा ल्हाया छौ मी कु ?

-हब्बै ! अब चांणो जमनु नी छ् .. शर्म आंद चांणा ल्हींण मा ।पर इन बथा कि हैल लगैक् ह्वे जांदु त्यारू गुजरू ?

--भैजी आप भि क्य बात कना छौ ? ये हैला सारा  रैंदु त् कब्यकि छपिंडी खये जांदि मेरी ।
बुनाई 'पारटैम' बि करूदु मि !

..हैं ! हैं ..पार्ट टाइम ? हब्बै कन पार टैम ये गडवाल ??

हां भैजी मीम फुरसत नी च बिजां काम छन मीम् ! द्वी चार काम त् मी थै छुडण भि प्वड़दीं !

कखै बात कनु छै भै ?यख पार्ट टाइम क्याच रै ?

.द बोला तुम ...दिन मा तीन घंटा हैल । द्वी घंटा टैक्सीयूं फर कलेंडरी ! ब्याखुनि द्वी घंटा कंट्रोलै दुकनि मा राशन त्वलदु ।
राति जागिरी जी दगड़ थकुली बजांदु अर ढौल पुजदु।
गौं की सगोड़ी पातीयूं मा सिकोटी गार्ड अलग छौं ।

सिक्योरिटी गार्ड मतलब ?
मतलब यो च् भैजी कि ... गूंणी ,बांदर ,सुंगर अटगांदु  ! चोरी का कखड़ा खांण वला त् अब राया नि छन पर लोग टी.पी देखंणा मा बिजी रंदन इलै उंकी राशन पांणि डोर टु डोर सर्विस बि देंदु , बड़ा लोखु का बुढ्या ब्वे बाबु की देखरेख करदु ... वगैरा वगैरा ।
अर दादा ब्यो का सीजनु मा ह्या 'वेडिंग मैनेजमेंट' बि द्यखदु ...
लोग ब्यवो अरेंजमैंट सब मीम छोड़ जंदन । चाँदनी , दरी , टैंट खुर्सी टेबल ,तौला भांडा, तैकू , चुल्लों का ढुंगा , लखुड़ु , बेदी स्थल कु निर्माण ,क्याला व आमु का पता , दुबुलु सब मी त् अरेंज करदु । यख तक कि गै दानै बाछि बि सब मेरा जिम्मा । बस इन समझ ल्या कि गौंमा डालि बंटण से ल्हेकर दुहराबाटा लड्डू बटंण तक म्यारू ठ्यका रैंद ।
    गर्मीयूं की छुट्टयूं मा लोगबाग मी खुंणि फून कैर दिंदन कि वो घौर आंणा छन ... उंकी कूड़ी फर झाड़ पोछ करदु ! सब्या गौंकरों की कूड़ि की चाबी मीम् हि रंदन ।
   भैजी क्य बथांण फुरसत नी छ् मीम् बिलकुल ना ! यां का बान त् मी तै इसटाफ बि भर्ती कन प्वड़ीं ... द्वी हेलपर बि धर्यां छन म्यारा । द्वी हौरि चयेंणा छन पर लेबरू की शोर्टेज हुईं च यख । लेबर हि नि मिलदी यख  ।
   भैजी घौर मा मेरा कलर टीपी , फिरीज , पंखा ,गैस, मुबैल , सोफा , डबलब्यड , बैंक अकौंट , अलमारी, अर फुल राशन च् ।

    अब तुमि बथावा कि यूं खुंणि  हि त् जंदन लोग प्रदेशु नथर पुटगि त् कुकर बि भोरि दींद !
है ना भैजी !

हां भुला म्यारा आँखा बि तड़तड़ा कैर दीं तिन ।
जुगराज रै इनि बस्यूं रै यख ... हमरि फांगि बि चलदु कनु रै ... अब ये गौं मा त्यारू हि सारू च ।त्यारा पार्ट टैम बंण्या रयां भै।

!!!

Copyright@ सुनील थपल्याल घंजीर


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 कुछ वादुं (Isms )  से मुखसौड़
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(Best  of  Garhwali  Humor , Satire Wits,   )

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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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जब बिटेन होस संबाळि ह्वाल पता नी कथ्या वादुं isms से मुखसौड़ ह्वे ह्वाल धौं।
जातिवाद - सबसे पैल मेरी भेंट जातिवाद से ह्वे कि हम हरिजनों से बड़ा छंवां अर जजमानुं  काम हम तैं सिवा लगाण च किन्तु कुकरेती जाति बहुगुणा , उनियाल  से कमजात च पर ध्यानी बहुगुनाओं से बि बड़ा जातिक हूंदन । 
कट्वरीवाद - जौं से काम पड़ो ऊंक इख जब कुछ खास बणो वांकी कट्वरी जरूर पौंचाण।  अच्काल यांको नाम अवसरवाद ह्वे गे।
घंटीवाद - घीयाकि घंटी प्रधान , पटवारी या अमीन जोग करणो बुल्दा छा अब नामान्तर ह्वेका घूसवाद का रूप मा कुख्यात ह्वे गे । 
टिक्वा , दूध , डडवार वाद - मास्टरों तै भेंट दीण आवश्यक छौ अब बिहार मा टिक्वावादन पीएचडी प्राप्त करि याल अर यूनिवर्सिटी या बोर्ड मा फस्ट आण तो टिक्वा ना कंळदार दिए जांदन , रूपांतर ह्वे गे।
अफवावाद - कै तै बदनाम करण एक मनुष्यगत गुण च , मेरी जवानी टैम पर  मुख से अफवा फैलाये जांद छै पर  आजकल सोसल मीडिया से यु काम झटपट हूंद।  मानो या नि मानो RSS यांको विशेषज्ञ आज बि च। साम्यवाद - भौत दिनों तक मीन बि साम्यवाद का चश्मा पैरिन पण कुज्याण अब ये चश्मा से कुछ नि दिखेंद।
समाजवाद - ये कुण अब परिवार वाद बुल्दन अर पैल बि यु भरमान्द छौ तो आज बि भरमान्द ।
पूंजीवाद - M.Sc  तक मि पूँजीवाद का घोर विरोधी छौ किन्तु जनि मि मर्फी रेडिओ सेल्स माँ भर्ती हों मि पूंजीवादी ह्वे ग्यों।
बौसवाद - बॉस इज ऑलवेज राइट एंड सिट इन राइट साइड ऑफ़  बॉस।
सेक्युलरवाद - मीन कथगा इ शब्दकोश देखिन पर समज मा नि ऐ कि असली अर्थ क्या च।
प्रवासवाद - मीन सीख बल गांव छोडो अर शहर वास कारो अर अपण बच्चों तै अमेरिका भेजणो सुपिन द्याखौ।  हालांकि बुद्धिजीवी बुल्दन बल अपण बच्चों तै अमेरिका भ्याजो अर दुसर तै भडकावो कि गाँव मा बसो.
अब त रोज एक नयो वाद पैदा हूणा छन जनकी लव जिहाद वाद , लव जिहाद विरोध वाद , गाय बचाओ वाद , खुले आम बछर काटो वाद।  पता नि क्या क्या दिखण पोड़ल धौं। 



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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  10/6/ 2017
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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जयुं बित्युं   हैकर्स (Hackers ) बि मि तैं हैक किलै नि करणु च ?
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(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes )
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती 
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घरवळि - म्यार त भाग इ फूट्यां रैन सरा जिंदगी।  इथगा सालुंम एक दिन बि प्राइड फील नि कार कि मेरी बि क्वी औकात च इख मुंबई मा।
मि -अरे केक भाग फूट्यां रैन ? भगवान की दया से सरलता से जिंदगी बीती अर तू छे कि ...
घरवळि - अजी तुम तैं जनान्युं दुःख क्या पता ?
मि - हैं परसि तो तू गाइनोकोलौजिस्ट मा गे छै।  दस टेस्ट कराइन सब कुछ ठीक च और क्या दुःख ?
घरवळि -तुम मिसोजिनी (Misogyny ) सिद्धांतवादी छंवां। तो तुम तै क्या पता कि कज्याण्यूँ  परिवार  से भैर बि क्वी हौर दुःख हूंदन।
मि -ह्यां अबै दैं क्या आग लग ?
घरवळि -आग ना बणाण्क लगीं च जिकुड़ी मा।
मि - ह्यां पर ह्वाइ क्या च ?
घरवळि -क्या नि ह्वे सि मिसेज नम्बूदिपराद, श्रीमती मानसमारे , मिसेज राव , मिसेज कर्नाड क्या मिसेज शिंदे  आदि सब्युंन पार्टी दियाल अर मि पार्टी द्यों तो क्याकुण द्यूँ ?
मि -पार्टी ? क्योंकि पार्टी ?
घरवळि -हैकिंग पार्टी। 'वी आर हैक्ड ' पार्टी।
मि -'वी आर हैक्ड ' पार्टी ?
घरवळि -हाँ यूँ सब्युं कम्प्यूटर हैक ह्वे गेन।
मि - अरे कम्प्यूटर हैक ह्वेन तो खुसी म  पार्टी ? दुःख माँ बि क्वी पार्टी दींदो ?
घरवळि - तुम त कूप मिंडक ही छंवां तू तै क्या पता हैकिंग से क्या फैदा हूंदन।
मि -हैकिंग से अर फैदा ?
मि -बीफ पार्टी अर मुंबई मा ?
घरवळि -नै नै हमर किटी क्लब मा जैन लोक बि छन तो वेज पार्टी ही हुन्दन
मि - अर मिसेज मानुसमारेन किलै पार्टी दे ?
घरवळि - मिस्टर मानसमारे का कम्प्यूटर हैक ह्वे अर परभणी का मनवथ टाइम्स मा छुटि सि न्यूज आई कि मिस्टर  मानुसमारे आज बि तंत्र-मंत्र अर पशुबलि पर विश्वास करदन।
मि -ये मेरी ब्वे।
घरवळि -मिस्टर कर्नाड का कम्प्यूटर हैक ह्वे तो मैसूर क्रॉनिकल मा द्वी लाइन की न्यूज आइ कि कर्नाड बि कश्मीर मा जनमत संग्रह का खिलाप छन किन्तु हुर्रियत पर लगाम लगाणो खिलाफ छन।  बस दन से मिसेज कर्नाडन कोदा याने रागी पार्टी दे द्याई।
मि -हैं ?
घरवळि - हाँ अर सबि जनान्युंन 'वी आर हैक्ड ' पार्टी दियाल।  अब सब मि तैं चिरड़ाणा छन कि तुमर मेल  किलै हैक नि ह्वेन ।
मि -व्हट नॉनसेंस ?
घरवळि -क्यांक नॉनसेंस।  अच्काल तो हैक्ड हूण स्टैंडर्ड की निशानी च।  सुणो कुछ बि कारो तुम अपण मेल हैक करावो अर रन्त रैबार मा हैकिंग की न्यूज छपावो।
मि -अरे बेवकूफी की बात नि कौर।  हैकिंग हूण बि  क्वी स्टैंडर्ड की निशानी हूंद ?
घरवळि -द्याखौ जी अच्काल हैकिंग हूण मान सम्मान की पहचान च।
मि -नै यु गलत च।
घरवळि - देखो ! जु एक हफ्ता मा तुमर मेल हैक नि ह्वाइ त मीन अपण काका काकी इख भटे दिणन।
मि - अच्छा अच्छा मि अपण मेल हैक करांदु।  मि द्वी चार फोन करदु।
मि - हेलो बिष्ट  ! यार तू कै हैकर तै बि जणदि जु म्यार अकाउंट हैक कर द्यावो।  क्या ? तू बि हैकर की  खोज मा छे ? क्या ? त्यार अकाउंट हैक नि  होलु त तेरी वाइफ तेरी सास तै भट्याणो धमकी दीणि च ?


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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India , 11 /6/ 2017
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क्या मुझे नेवी चीफ को समुद्री डाकू कह  ही देना चाहिए ?

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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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घरवळि - सुणो ! पड्याँ पड्याँ क्या करणा छां।  कुछ तो कखला बखली  कारो।
मि -मि त लालकृष्ण आडवाणी ह्वे ग्यों।  क्वी फेसबुक मा  Like इ नी करणु च।
घरवळि -तो गौं मा घौर बार , पुंगड़ी बांज पड़ीं छन ' , पलायन हूणू च पर लेख लेखि ल्यावदि।
मि - तीन लेख पोस्ट करिन , कै निर्दयीन Like नि कार।  चौथु लेख टूट्यां कूड़ो फोटो दगड़ लेख पोस्ट कार तो द्वी टिप्पणी ऐन बल बंद करो बकबास ! पिछ्ला सौ साल से तुम साहित्यकार पलायन पर लेखिक थकणा नि छावो ? 
घरवळि -तो गैरसैण राजधानी बणावो पर ही लेख लेखि ल्यावो। 
मि -अरे अयोध्या मा राममंदिर अर उत्तराखंड मा गैरसैण राजधानी विषय अब अप्रासांगिक ही ह्वे गेन।  कुत्ता बि नि सुंगणु यूँ विषयुं तैं।   
घरवळि - तो हरीश रावत पर गाळी वळु लेख इ पोस्ट कर द्यावो।
मि - उफ़ ! हरीश रावत पर लेख तो अब भाजपा वळ बि नी पढ्णा  छन।   
घरवळि - तो मुख्यंमंत्री त्रिवेन्द्र रावत पर इ लेख ...
मि -उंका चमचों तै बि नी पड़ी कि लेख पौड़न।  सब सुचणा छन बल चुनाव तो पांच साल बाद आण अबि त सत्ता सुख भोगे जावो।
घरवळि - तो तुम अप्रासांगिक समाज शास्त्री तरां जनरल रावत पर कुछ लांछन हि लगै द्यावो।
मि -यूँ कौमनास्ट्यूं तो यी हाल छन।  प्रजातंत्र का खम्बा का सहारा लेकि प्रजातंत्र को उखाड़ो वळ काम च।  अब तो बंगाल अर केरल वळ बि यूंकि चाल समझी गेन।
घरवळि -हाँ पर पार्थ चटर्जी सरीखा मुर्दा पर जान तो ऐ गे कि ना ?
मि - नै नै नमकहरामी वळ जान नी चयेणी।
घरवळि - तो संजय निरुपम जन बोली द्यावो कि सर्जिकल स्ट्राइक  झूटी छे।
मि - संजय निरुपम त राहुल गांधी का पालतू कुत्ता च तो जन मालिक ब्वालल तन कुत्ता बि त भोँकल कि ना। वै पार्ट टाइम पोलिटिसियन  राहुलन बि त सर्जिकल स्ट्राइक खून की दलाली बोल छौ। लंडेर कुत्तों सरदार ! मुर्ख कंही का  !बाड्रा का साला !
घरवळि - तो तुम संदीप दीक्षित का कदमों पर चलिक ल्याखो कि इंडियन नेवी चीफ समुद्री डाकू च। 
मि - हे जुबान पर लगाम लगा हाँ।  में सरीखा वुद्धिजीवी अपण ही नेवी चीफ तै समुद्री डाकू ब्वालल त धिक्कार च मी तैं।  यदि मै सरीखा बुद्धिजीवी आर्मी का वास्ता इन शब्द इस्तेमाल कारल तो भारत तै दुश्मनो की क्या आवश्यकता च ?
घरवळि -अरे आजकल अप्रासांगिक नेता,   बुद्धिजीवी , समाज सेव्युं को  नरेंद्र मोदी तै गाळी दीणो  एकी तरीका रै गे कि आर्मी कु मनोबल गिराए जावो।
मि -मि अछेकि भारतीय छौं ना कि माँ हन्ता , मा को हत्यारा, गद्दार  संदीप दीक्षित जैन भारतीय सेनापति तै गली का गुंडा ब्वाल ।

घरवळि -ह्यां पण ! न्यूज मा रौणो बान   ....
मि -नहीं कॉंग्रेसी अर कम्युनिष्ट न्यूज मा रौणो बान सेनापति पर आक्षेप नि लगाणा छन अपितु नरेंद्र मोदी तै कमजोर करणो वास्ता आर्मी को मनोबल काम करण चाणा छन , पाकिस्तान तै सहारा दीणा छन। अपण देस का सेनापति का वास्ता  इन भाषा तो  गद्दार ही बोल सकुद ..
घरवळि -हाँ  राजनीति इथ्गा तौळ नरक जोग ह्वे गे।  चलो कुछ नि ल्याखो।  भारत से गद्दारी करणो जगा तो अप्रासांगिक हूण ही ठीक च। 

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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India , 13 /6/ 2017
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जैंगण अर बुर्या खौड़
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  हौंस इ हौंस मा समळौण  :::   भीष्म कुकरेती
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              जब बि बरसात ऋतू या  घनघोर बरसात शुरू हूंद मि तै द्वी जीव याद ऐ जांदन।  जैंगण अर बुर्या खौड़।
बुर्या खौड़ का जलड रात चकदन अर कवि कालीदासन बि अपण नाटकों मा बुर्या खौड़ौ बिरतान्त दियुं च।  रत्यां बुर्या खौड़ौ जलड़ दूर से चमकद छा तो बचपन मा बड़ो अचर्ज हूंद छौ कि ये घासक जलड़ों पर मिट्टी तेल कखन आयी अर मट्टी तेल आयी त आयी पर जळाइ कैन च।  जब हम तै बुर्या खौड़ मा तेल कखन आयी अर तेल जळाण वळो पता अपण बूड़ बुड्यों से बि नि चलदो छौ तो हम बच्चा लोक समझ जांद छा कि भगवान ऎ ह्वाल , वैन तेल डाळी होलु अर फिर माचिसन जळै होलु।  हम छूट छुटा गोर मांगन कबि कबि बुर्या घासक जलड़ लह्यांद छा अर रात जलड़ पर उज्यळ दिखद छा। हम हम बच्चों कुण  भगवान हूंद च को सबसे बड़ो परमाण एक परमाण बुर्या खौड़ का जलड़ु चमकण बि छौ।  एक सवाल हमेशा अनुत्तरित रौंद छौ कि संसार मा  (मतबल ढांगू , डबरालस्यूं अर उदेपुर पट्टी ) मा एक साथ एकी समौ मा कु तेल डळदु अर कु जलड़ुँ पर आग लगान्द।  तब समझ मा आंदो छौ बल भगवान सबि हूंद अर वो बड़ा से बड़ा काम बि  सौंग ढंग से कौर लींदु।  या समज इ मि तै परीक्षा मा भगवान की पूजा करवांदि छे या घणो कुयड़ मा गोर नि दिखयावन तो भगवान पर भरोसा करिक मि गोर खुज्यान्दो छौ। 
      बरखा बगत रात्यूं मा भगवान की देन या जां से सिद्ध हूंद छौ बल भगवान च अर वो जीव छौ जैंगण।  गांव मा त सौण -भादों रात्यूं म कमि दिखेंदि छे किन्तु हैंक सारी  -पल्लि सारि अधिक हूंद छा। पल्लि सारी  जब हम ग्वाठम रात भगळवटम (मुख्य गुठळौ आण से पैल गोठ जग्वळण ) रौंदा छा तो जैंगण हम बच्चों कुण एक महत्वपूर्ण जीव हूंद छौ।
     जैंगण हमकुण कल्पना संसार मा जाणो एक बहुत उम्दा माध्यम छौ।  धरती पर हरो उज्यळ लेका यी जीव  कनै अचाणचक अवतरित ह्वे गेन ? ये  प्रश्न का उत्तर खुज्याण ही हमारो 'समय बिताने के लिए करना है कुछ काम' छौ। जैंगण पकड़णो वास्ता छौंपादौड़ से हम आनंद लींदा छा।  फिर पकड़ म आयीं जैंगण को लसलसो शरीर एक अजीब घिन पैदा करदो छौ।  पर फिर जैंगण का बाराम सुचण कि कनै पूठ  पर द्यू जळ होलु अर तेल कखन ऐ होलु । फिर प्रश्न हूंद थौ बल जैंगण तै आगन तपन नि हूंदी ह्वेलि ? या यदि जैंगणु पूठ पर द्यु न सै टॉर्च होलु तो टॉर्च कनै अर कु जळांद होलु अर टॉर्च बुझाणो कु आंद होलु। जैंगणुं से हमर विश्वास जादू पर पूरो ह्वे जांद छौ।   
    बाद मा हमन एक मुवावरा सूण थौ बल डूबते को तिनके का सहारा।  पर कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात्यूं मा ग्वाठ से गाँव तक भौत सि जगा अन्ध्यरि जगा हि नि छे अपितु कुछ जगौं बाराम धारणा छै बल इखम -तखम भूत रौंदन।  इनम रस्ता दिखणो बरीक किरण अर जैगणो हूंद भूत नि आला  कु विश्वास ,अंध विश्वास या  हौसला तो जैंगणो से ही मिल्दु थौ।  जैंगण  तब हम बच्चों कुण देवदूत  ही साबित हूंद छइ।
  जैंगण क्या क्या नि छे हमकुण।  भौत कुछ। मनोरंजन बि, रोमांच बि अर कल्पनालोक जाणो माध्यम बि।
 बाद मा विज्ञान पढ़न से पता चौल कि बुर्या खौड़ या जैंगणो पूठ पर कुछ केमिकल लोचा से उज्यळ हूंद किन्तु जैंगणु से जु थ्रिल , रोमांच , धुकधुकी हूंदी थै वो आज बि विज्ञानं नि लूठ साक। 
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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  14/6/ 2017
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