Author Topic: History of Haridwar , Uttrakhnad ; हरिद्वार उत्तराखंड का इतिहास  (Read 52623 times)

Bhishma Kukreti

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      गुप्त कालीन राज्य आय स्रोत्र और हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास

Revenue Source in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 226               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


        गुप्त कालीन अभिलेखों के अध्ययन से राजकीय आय साधनों का पता चलता ह।
आय स्रोत्र में भूमि कर या उदरंग एक स्रोत्र था।  उपरीका कर भी भूमिकर ही था।
 निम्न कर गुप्त काल में प्रमुख कर थे -
हल कर
विक्री व खरीदी कर
भोग - राजा हेतु उत्पादन
बाली कर
प्रत्यय कर
टोल टैक्स
पुलिस कर
सुरक्षा कर
सीमा कर
सिंचाई कर
जल कर
ऊपरी कर
हिरण्य या सोना कर
नौसेना मुख्य या नाव आदि कर
कुछ गाँव या भूमि कर से मुक्त थे । एक अभिलेख में अंकित है कि सुरक्षा बलों को गाय , बैल , फूल, दूध , कोयला नमक , नमक जल , खाने , बंधक श्रमिक से कर नहीं लेना चाहिए। अन्य अभिलेख में औषधि , बाज जानवरों पर भी कर मुक्ति संदेश मिलते हैं।
    लगता है गुप्तकाल में कृषि कर व आयात कर से प्रशासन चल सकता था।

मुख्य आधार - वी डी महाजन , ऐनसियंट इंडिया पृष्ठ ५३२






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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


      Ancient  History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;   seohara , Bijnor History Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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      हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में गुप्त काल में दास प्रथा सभ्यता

Slavery in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   228             


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

 गुप्त काल में दास प्रथा विद्यमान थी।  इतिहासकार इसे निर्दयी दास प्रथा नहीं कहते हैं। प्रथा अनुसार ब्राह्मण व क्षत्रियों को दास नहीं बनाया जा सकता था।  ब्राह्मण स्त्री को खरीदना गुनाह था।  कोई स्त्री किसी दास से शादी कर ले तो वह भी दासी हो जाती।  थी यदि किसी दास स्त्री से किसी सामन्य व्यक्ति के बच्चे हो जांय तो वह बच्चा व स्त्री दास मुक्त हो जाते थे।  राज या युद्ध बंदियों को दास बनाया जाता था। यदि कोई अपना कर्ज न चुका पाए तो वह कर्जदाता का दास बना दिया जाता था। दुर्भिक्ष आदि में भी बच्चों व स्त्रियों को बेचा जाता था। कर्ज चुकाकर , क्रय रुपया चुकाकर या बंदियों के स्वतंत्र होने पर दास मुक्ति हो जाती थी।  यदि कोई दास अपन स्वामी की जान बचा ले तो वह दास मुक्त हो जाने के अतिरिक्त स्वामी के धन का भागिदार बन जाता था।
       

(  Reference - V D Mahajan , Ancient India )



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  गुप्त काल में संयुक्त परिवार संस्कृति व हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास

Joint Family System in  Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   229             


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

हिन्दू संस्कृति की धरोहर संयुक्त परिवार गुप्त काल में बना रहा। गुप्त काल में रचीं गयीं स्मृतियाँ सूत्र संयुक्त परिवार टूटन की कड़ी आलोचना करते हैं। संरक्षक पुत्रों और दसियों पौत्री पौत्रों की साथ रहने के किस्से गुप्त काल में मिलते हैं। एक उदाहरण में एक मनुष्य द्वारा अपनी माता , पिता पत्नी , पुत्री पुत्र , भतीजे भतीजियों के हिट हेतु कर्मकांड का जिक्र भी मिलता है।  पिता या बड़ा भाई संयुक्त परिवार के भूमि संसाधनों का स्वामी माना जाता था और यह संस्कृति ग्रामीण उत्तराखंड में ब्रिटिश काल ही नहीं सन 1960 तक भूमि पैमाइश तक ज़िंदा रही।
 अंहिसा
फाई यान ने सर्वत्र अंहिसा ही पायी , खटीक या मांश की दूकान नहीं होती थ।  चंडाल ही शिकार करता था व पशु मांश बेचता था।
शब्दरभ वी डी महाजन , ऐनसियंट इण्डिया पृष्ठ 552 -53
       





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      गुप्त काल में स्त्रियां
Women in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 230                 


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

  अभिलेखों व मुद्राओं से स्त्रियों की दशा का अनुमान नहीं लगता है किन्तु तत्कालीन   कला व साहित्य से गुप्त काल में स्त्रियों की दशा का पता चलता है।
 पुत्री  पिता की प्रॉपर्टी पर अधिकार होता था। पुनर्विवाह होते थे।  सामन्य जन में सती प्रथा प्रचलित नहीं थी। स्त्रियों को वेद पठन मान्य न था।
  लड़किया पढ़ती थीं व साहित्य भी रचतीं थीं। कुछ हद तक थी व वे मेकअप पसंद  करती थीं (अजंता कला )
  पति को देवता माना जाता था।
  वैश्याओं का सम्मान था।  मंदिरों में देवदासी प्रचलन था।
       





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      गुप्त काल में भोजन व पेय संस्कृति

Food and Drinks in  Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 231                 


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


      गुप्त  हिन्दू शाकाहारी व मांशाहारी दोनों थे।  फाही  लिखा कि  मांश दुकाने नहीं हैं वह वौद्ध वस्तियों से संबधित वास्तविकता थी।  स्मृतियों में लिखा गया है बल जिन स्त्रियों के पति  बाहर हों उन्हें मांश भक्षण नहीं करना चाहिए।  रोगी को औषधि रूप में मांश भक्षण मान्य था। दक्षिण में मच्छी भक्षण व शराब पी   जाती थी। ब्राह्मण शराब नहीं पीते थे।  दक्षिण में शराब पश्चिम से आयात होती थी। लंकवत्र सूत्र में चावल , गेंहू जौ , दालों , मक्खन , शीरा , शक़्कर का उल्लेख मिलता है। महायान बौद्ध मांश भक्षी थे। भोजन बाद पान खाने का रिवाज भी था।





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 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


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      गुप्तकाल में परिधान व आभूषण


Dress and Ornaments in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -232             


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


        पुरुष   ऊपरी भाग में उत्तरीय व निचले भाग में धोती पहनते थे। दोनों परिधानों में सिलाई आवश्यक न था।  कुषाण युग से कोट आदि का प्रचलन हुआ।  गुप्र राजा शिकार खेलते समय भी धोती पहनते थे। सर में वस्त्र केवल धार्मिक अनुष्ठान में ही पहना जाता था।
 स्त्रियां पेटीकोट के ऊपर साड़ी  धारण करतीं थीं।  कंचुकी /ब्रा भी प्रचलन में था।  कपास वस्त्र दिनचर्या हतु पहने जाते थे और रेशमी वस्त्र विशेष अवसरों पर। गुप्त काल में वस्त्रों को रंगने का प्रचलन बढ़ गया था। ऊनि वस्त्र व जंतु त्वचा वस्त्र भी प्रचलित थे।  बौद्ध भिक्षुक लाल या गेरुए व ब्राह्मण भिक्षुक पीले परिधान पहनते थे।
स्त्रियां नाक को छोड़ सभी तरह के आभूषणों -गला , कान , कमर , सर , पैरों के आभूषणों में रूचि रखतीं थीं।  धातु न हो तो वनस्पति के आभूषण पहने जाते थे।
बालों को काढ़ना फैशन था। बाल कढ़ाई के कई तरह के डिजाइन प्रचलित थी।
मेक अप , शरीर गोदना भी प्रचलित था।





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      गुप्त काल में मनोरंजन साधन और हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास

Amusement in  Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
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           समय व्यतीत करने हेतु चौपड़ , शतरंज के आंतरिक  खेल प्रचलित थे। शिकार व मुर्गा युद्ध सामन्य थे। बच्चों में गेंद खेल प्रचलित था।  मेले , नाट्य दर्शन भी प्रचलित थे। फाही यान ने वार्षिक उतस्वों का उल्लेख किया है। उसने रथ उत्सव का उल्लेख भी किया है।
गुप्तकालीन साहित्य में समृद्ध नगरों का वर्णन मिलता है।  इसके अतिरिक्त आभूषण दूकान , महलों में शराबखाने , नाख़ून को सजाने , छत पर घूमना व आनंद लेना आदि आनंदों का वर्णन मिलता है





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      गुप्त काल में आर्थिक स्थिति -

Economic Conditions in  Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  233               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


          गुप्त काल को इतिहासकार भारत का स्वर्ण काल कहते हैं तो उसके पीछे गुप्त कालीन समृद्ध आर्थिक स्थिति का हाथ है। सम्पूर्ण उत्तर भारत का एक छत्र केअंतर्गत  आना व अनुशासित व संगठित प्रशासन के कारण कृषि , व्यापार , पर्यटन , कला , बैंकिंग में उन्नति हुयी जिससे निर्यात भी बढ़ा। राज्य के आर्थिक लाभ जब सामाजिक कामों में लगने लगा तो समाज भी समृद्धि व कृषि विकास में जुट गए। धनी व सामजिक सरकारी व्यक्तियों ने नगरों में चिकित्सालयों व अन्य संस्थायेन स्थापित किये।  ये संस्थान भी समाज म मरिहि लाने में ऊर्जावान सिद्ध हुए।
    व्यापारियों का व्यापरिक संगठन
 वैशाली अभिलेखों में कुछ सील seal मिले जिनमे धनिक व्यापारियों व बैंकर व व्यापारिक संगठनों के नाम मुद्रित हैं। इन सील्स के अन्वेषक डा ब्लॉक का मानना है की ये व्यापारिक संगठन संस्थान आज के चमरस ऑफ कॉमर्स सामान ही व्यापारिक संगठन थे। ब्लॉक अनुसार 505 व्यापारियों के संगठन मिले हैं जिनमे 18 उपविभाग थे। व्यापारिक संगठनों में बैंकर्स संगठन , जुलाहा संगठन , श्रमिक , तेलियों, पत्थर खानों के क्रमिकों के संगठन का उल्लेख मिलता है।  ये गिल्ड या संगठन बैंकिंग भी करते थे। इन गिल्डों की नगरों में कई शाखाएं थीं। रेशम व्यापारियों के गिल्ड /संगठन का स्थानांतर की घटना भी ब्लॉक ने उल्लेख किया है। 
वास्तव में ये गिल्ड सहकारिता सिद्धांत पर कार्य करते थे।  गिल्डों के नियम थे व व्यापारियों की हिस्सेदारी गिल्डों में थी। गिल्ड में नियम कठोरता व विश्वास से पालन होते थे। लें दें का पूरा हिसाब रखा जाता था और किसी सदस्य द्वारा स्थानांतर होने पर भी व्यापारी अपनी देनदारी दूसरे गिल्ड मार्फत पूरा करता था।
राजा गिल्डों के संरक्षक व सहायक भी थे।

(शैलेन्द्र नाथ सेन की पुस्तक ऐन सियंट इण्डिया व वी डी  महाजन की पुस्तक ऐनसियंट इण्डिया से साभार )




Bhishma Kukreti

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      गुप्त काल में सार्वजनिक कार्य

Public Works in  Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   234             


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

  राज्य समाज हितैसी सार्वजनिक कार्य करवाता था।  जब सौराष्ट्र में सुदर्शन झील टूटी तो सम्राट स्कंदगुप्त  ने राज्यपाल पर्णदत्त और उसके पुत्र द्चक्रपालित वारा झील मरोम्मत करवाई। प्रशासन इतना चौकस व अनुशासित था कि पुंनर्निर्माण कार्य दो महीने में पूरा हो गया।  गंगाधर  अभिलेख से पता चलता है कि विश्ववर्मन ने गार्गरा नदी किनारे एक नगर बसाया था जहां कुंवे आदि खुदवाये थे, मंदिर निर्मित किये थे व सिंचाई व्यवस्था कायम की थी ।  मंदसौर अभिलेख भी सार्वजनिक कार्यो के प्रमाण देते हैं।
 कालिदास अदि के साहित्य में सार्वजनिक कार्यों की महत्ता उल्लेख मिलता है।
संदर्भ - वी डी महाजन , ऐनसियंट इण्डिया
       





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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --235

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


      Ancient  History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;   seohara , Bijnor History Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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Bhishma Kukreti

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    गुप्त काल में व्यापार , वाणिज्य

Trade in  Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  235               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

गुप्त काल में आंतरिक व्यापार व निर्यात समृद्ध था। आंतरिक व्यापार में मसालों , कपड़ों , बर्तनों , अनाज , नमक , रत्नों का व्यापार मुख्य था।
परिहवन के माध्यम पथ व नदियां उपलब्ध थे।
रोम से आयातित वस्तुएं निम्न बंदरगाहों से भारत आते थे और भारत से वस्तुएं निर्यात होती थीं -
कल्याण
छौल
भरुच व कैम्बे
इसके अतिरिक्त निम्न बंदरगाह अन्य देशों के साथ आयात निर्यात के माध्यम थे -
तामलिपती -चीन , जावा
कदुरा , कावेरीपत्तनम , घनसाला , टंडाई
भारत से रत्न , मसाले , कपड़े , सुंगंधित पदार्थ , नील , औषधियां ,नारियल व हाथी दांत , हिमालयी जड़ी बूटियां , जंतु अंग
भारत धातुएं , रेशम , स्पंज , खजूर आयात करता था।
 भारत में जलजहाज बनते थे जो 500 मुष्यों को ढोने में सक्षम थे। उत्तराखंड से घोड़े , लकड़ी , जंगली जंतु जंतु खालें , औषधियां व पादप भारत के अन्य भागों को निर्यात होते थे। भाभर हरिद्वार आदि शिकारगाह भी थे



       





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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --236

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


      Ancient  History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;   seohara , Bijnor History Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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