धूम्रपान वैदकी भाग - १
चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
(महर्षि अग्निवेश व दृढ़बल प्रणीत)
खंड - १ सूत्रस्थानम , पंचौं अध्याय , १८ बिटेन -३० तक
अनुवाद भाग - ४२
गढ़वाली म सर्वाधिक अनुवाद करण वळ अनुवादक - भीष्म कुकरेती
(अनुवादम ईरानी, इराकी अरबी शब्दों वर्जणो पुठ्याजोर )
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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धूम्रप्रयोग विधि -
मेहंदी बीज,प्रियंगु पुष्प,काळो जीरो,नाग केशर,नखी,नेत्रबाला,सफेद चंदन , तेजपात,दालचीनी,छुटि इलैची,खस, पद्माक,ध्यामक,मुलैठी,जटामासी,गूगल,अगर,शक़्कर,बड़ छाल (बक्कल ) ,गूलर छाल, पिलखन छाल, लोध छाल,जल मस्ट , राल,नागरमोथा, शैलेय,कमल केशर,श्रीवेटक , शल्लकी,शुकबयी, सब तै पाणी दगड़ पीसिक आठ अंगुळ लम्बी बत्ती बणाइक सरकंडा म सुखाण। फिर बत्ती तै घीम मिलैक नित्य दिन धूम्र पान करण चयेंद। १८ -२२ ।
चर्बी, घी,माँ , तै जीवननीय गणों दगड़ मिलैक बत्ती बणै क रुक्ष व्यक्ति धूम्रपान कारो। यु धूम्रपान नित्य दिन लैक नी च। २३ ।
शिरम अवरुद्ध कफ दूर करणो धूम्रपान -
अपराजिता,मालकंगनी,हरताल,मैन सिल,अगरु , कुष्ट,तगर, पत्रज, पाणी दगड़ पीसिक बत्ती बणै सुखाई क धूम्र पान करण चयेंद। यु धूम्रपान शिरोविरेचन का वास्ता विरेचनिक धूम च। २४ ।
धूम्रपान गुण -
सिरौ भारीपन , मूंडरू,सरवेदना, नाक भीतर सूजन,अधकपाळी, कन्दू ड़ पीड़ा,आंख्युं दुखण,हिक्का,स्वास, दमा,स्वरभंग,दांतों दुर्बलता, कन्दूड़ -आंख -नाक बगण ,नाक -मुख बिटेन दुर्गंध आण, दांत दुखण ,भोजन से अरुचि, जिवडु / दांत जकड़न, गौळ जकड़न,कण्डू (इना उना नि हल सकण ),खज्जी , मुख पर पीलोपन ,बाळू झड़न , बालुं लाल हूण , अति छिंकण , अळगस, बुद्धिजड़, मूर्छा, अति नींद आण आदि धूम्रपान से भला ह्वे जांदन। बाळ, सर की हड्डी,आँख,कंदूड़ ,स्वर , गौळ तै बल मिल्दो।
बलवान तै बी बि वात , कफ से उत्तपन्न रोग -गौळ से मथि , आंख , कान , नाक, मुख , गौळ भितर , मुख , मुंड संबंधी रोग नि हो का वास्ता धूम्रपान करण चयेंद। मुख से धूम्रपान लीण चयेंद अर नाक से भैर गडण चयेंद।२५ -३० ।
*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2021
शेष अग्वाड़ी फाड़ीम
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