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उत्तराखंड में पशुबलि की प्रथा बंद होनी चाहिए !

हाँ
53 (69.7%)
नहीं
15 (19.7%)
50-50
4 (5.3%)
मालूम नहीं
4 (5.3%)

Total Members Voted: 76

Author Topic: Custom of Sacrificing Animals,In Uttarakhand,(उत्तराखंड में पशुबलि की प्रथा)  (Read 60428 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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बूंखाल में 31 के खिलाफ मुकदमे दर्ज
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पौड़ी गढ़वाल,  : प्रख्यात पशु बलि मेला बूंखाल में इस बार नर भैंसों की बलि देने वाले 31 लोगों के खिलाफ नायब तहसीलदार थलीसैण ने पशु क्रूरता अधिनियम समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। वहीं, पशु बलि समर्थकों ने इसे धार्मिक भावनाओं पर गहरा आघात करार देते हुए सरकार को दोषी ठहराया है।

काबिलेगौर हो कि प्रसिद्ध बूंखाल मेले में शनिवार को पांच दर्जन से अधिक नर भैंसों व बकरों की बलि दी गई। प्रसिद्ध बूंखाल कालिका में पशु बलि को पशु क्रूरता अधिनियम के तहत गैर कानूनी करार देते हुए जिलाधिकारी दिलीप जावलकर के आदेश पर नायब तहसीलदार थलीसैण ने इस मामले में 28 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 147, 269, 270 व 429 में मुकदमा दर्ज किया है। इसके अलावा पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 में भी मुकदमे कायम किए गए हैं। प्रशासन ने यहां 12 नर भैंसों को अपने कब्जे में लिया था जिन्हें पशु लोक ऋषिकेश भेजा गया है।

जिलाधिकारी दिलीप जावलकर ने नायब तहसीलदार थलीसैण को मुकदमे दर्ज करने के साथ ही कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। वहीं इस संबंध में लोगों का कहना है कि इसमें शासन सीधे तौर पर शामिल है और इसका परिणाम भी शासन को भुगतना पडे़गा। इस संबंध में मुकदमे में शामिल लोगों ने आंदोलन की चेतावनी के साथ ही कलक्ट्रेट में प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया है।

नामजद आरोपियों की सूची

नाम गांव

साबर सिंह नौगांव

आनंद सिंह नौगांव

गुडबर सिंह नौगांव

महावीर सिंह चोपड़ा

राजेन्द्र सिंह चोपड़ा

नंदराम देहरादून

भूपेन्द्र प्रसाद बहेड़ी

शेर सिंह बमोर्थ

पंचम सिंह बमोर्थ

गोविन्द सिंह किरसाल

रणजीत लाल सौंटी

भगत लाल कुंडी

केदार सिंह मिलई

विनोद सिंह कुई

दलवीर सिंह सिमल्त

श्याम प्रसाद सिमल्त

राजेन्द्र सिंह फलद्वाडी

दरवान सिंह मणकोली

आनंद सिंह बुरांसी

देवेन्द्र सिंह जवाडी

धर्म सिंह मणकोली

राम सिंह किमडांग

गणेश सिंह किमडांग

सुरेश सिंह पसीणा

राम सिंह खंडूली

त्रिलोक सिंह बनेख

मनवर सिंह ओडागाड

ओम प्रकाश चूफण्डा

बूंखाल में नर भैंसो की बलि देने वाले इन लोगों के खिलाफ तहसील थलीसैण में मुकदमे कायम किए हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal

Devbhoomi,Uttarakhand

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प्रशासन के अथक प्रयासों के बावजूद बूंखाल मेले में पशुबलि प्रथा रुक नहीं पाई लेकिन प्रशासन 15 नर भैंसों को बचाने में कामयाब जरूर रहा।


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धर्मान्ध जनता को लाख समझाने के बाद भी 70 से अधिक नर भैंसों व हजारों बकरों की बलि दी गई।

जिला प्रशासन ने सूझबूझ से काम लेते हुए मंदिर परिसर के आसपास कोई जोर जबरदस्ती नहीं की.जिससे टकराव की आशंका टल गई जबकि बड़ी संख्या में वहां पुलिस व पीएसी के जवानों को तैनात किया गया था। उधर कोकली, खाल्यूंखेत व कनाकोट आदि स्थानों पर भी दर्जनों जानवरों की बलि दी गई। शनिवार को बूंखाल मेले में सुबह बलि को लेकर तस्वीर  साफ नहीं हो पा रही थी। जगह जगह पर बनाये गये पुलिस चैकपोस्टों की वजह से जोर जबरदस्ती की आशंका थी।

स्वयं जिलाधिकारी दिलीप जावलकर पिछले कई दिनों से क्षेत्र में घूमकर निरीह जानवरों को बचाने के लिए जनजागरण में जुटे हुए थे। इस कारण कई गांववासियों ने अपने नर भैंसे को पूजा पाठ के बाद प्रशासन को सौंपने की हामी भर दी थी। सूरज उगने के साथ ही बूंखाल में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। दोपहर करीब साढ़े ग्यारह बजे पहले नर भैंसे को देवी की बलि चढ़ा दिया गया। इसके बाद बलि का सिलसिला शुरू हो गया। जो शाम होते-होते सत्तर के करीब पहुंच गया। ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते गाते ग्रामीण जानवरों को लेकर मंदिर पहुंच रहे थे।

वहां पर पूजा-अर्चना के बाद उन्हें पहाड़ी पर स्थित बलि स्थल पर ले जाया गया, जहां उनकी बलि चढ़ाई गई। प्रशासन ने उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए साफ कहा था कि ग्रामीण पूजा के बाद जानवरों को उनके हवाले कर दे, यदि फिर भी कोई बलि चढ़ाता है तो मृत जानवर को वहां न फेंक कर अपने साथ ले जाए। लेकिन धर्मान्ध भीड़ पर जैसे इस अपील का कोई असर नहीं था।

जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व अपर पुलिस अधीक्षक पूरे दल-बल के साथ बूंखाल में मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने कई बलि समर्थकों के साथ वार्ता कर उन्हें समझाने का प्रयास किया। उन्हें 15 नर भैंसों को अपने कब्जे में लेने में सफलता जरूर मिली लेकिन फिर भी बलि का नामोनिशा मिट नहीं पाया। पीपुल्स फार एनिमल संस्था की गौरी मौलिखी भी यहां पहुंची हुई थी।

Devbhoomi,Uttarakhand

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बूंखाल में अब हर दिन हो रही पशुबलि
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पहले बूंखाल उत्सव साल में मात्र दिसंबर माह में होता था और बूंखाल के मुख्य मंदिर तक तीन महीन आवाजाही पर पाबंदी होती थी, लेकिन इस साल तो यहां हर रोज लोग बकरों की बलि देने पहुंच रहे है। बलि रोकने के लिए उप जिलाधिकारी के नेतृत्व में यहां तैनात पुलिस टीम रोज हो रही बलि से परेशान है। पशुबलि समर्थकों के मुकदमे दर्ज होने के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

पौड़ी के राठ क्षेत्र के प्रमुख उत्सवों में बूंखाल कालिंका उत्सव प्रथम स्थान पर है। 11 दिसंबर को बलि के बाद परंपरा अनुसार मेला क्षेत्र में बलि बंद हो जाती थी, लेकिन इस बार यह परंपरा टूट गई। अब मेले के बाद भी पंरपरा को तोड़ते हुए यहां लोग मनौती के बकरे और भेड़ लेकर पहुंच रहे है। 11 दिसंबर से अब तक यहां सैकड़ों बकरों की बलि दी जा चुकी है, हालांकि मुख्य उत्सव के बाद भैंसों की बलि नहीं हुई है। दरअसल बूंखाल मेले में जिला प्रशासन ने पशुबलि समर्थकों 31 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया था। इसके बाद से क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है और वे लगातार बकरे व भेड़ की बलि देकर अपना आक्रोश जता रहे हैं।

उपजिलाधिकारी बीके मिश्रा का कहना है कि लोगों को समझाया जा रहा है कि वे पशुबलि न करे और पशुबलि रोकने के लिए फोर्स भी तैनात की गई है। 11 दिसंबर के बाद भैसों की बलि तो नहीं दी गई, किन्तु बकरों की बलि हो रही है। प्रशासन लोगों को समझा रहा है कि बकरों की भी बलि न दें और कई लोग इसे स्वीकार करते हुए पूजा के बाद बकरे वापस ले जा रहे है।

Dainik jagran

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अभी भी नहीं रुकी है बिरोंखाल में पशुबलि


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बलि प्रथा रोकने के प्रयासों को झटका
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धार्मिक स्थलों व मंदिर परिसरों में बलि प्रथा को बन्द करने के लिए प्रशासन के किए प्रयासों को उस समय करारा झटका लगा, जब तहसीलदार की अध्यक्षता में जनता और राज राजेश्वरी मां चण्डिका मंदिर समिति के बीच हुई पहले दौर की वार्ता विफल हो गई।

देवस्थानों व मंदिरों में पशु बलि को रोकने के लिए तहसीलदार कर्णप्रयाग सीएस चौहान की अध्यक्षता में क्षेत्रीय जनता, जनप्रतिनिधि व मंदिर समिति के पदाधिकारियों के बीच पहली बैठक हुई। बैठक में जनता व मंदिर समिति में सामंजस्य के अभाव में वार्ता विफल हो गई। क्षेत्रीय जनता बलि प्रथा को बन्द करने के विरोध में प्रशासन के खिलाफ लामबंद होकर बलि प्रथा को दैवीय निर्देशों का तर्क दे रही थी तो दूसरी ओर तहसीलदार सीएस चौहान ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि उच्च न्यायालय व शासन के निर्देशों के अनुरूप धार्मिक स्थलों या मंदिर परिसरों में पशु बलि देना जुर्म है। पशुबलि देने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बैठक में नायब तहसीलदार, क्षेत्रीय पटवारी, दिनेश मैखुरी, चण्डी प्रसाद, भास्करानन्द डिमरी, जितेन्द्र कुमार, क्षेत्र पंचायत सदस्य गायत्री देवी, मंदिर समिति के अध्यक्ष नत्थी सिंह सहित क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7124990.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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देवीधुरा में सार्वजनिक स्थान पर नहीं होगी पशु बलि
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चम्पावत: माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर अब देवीधुरा में पशु बलि सार्वजनिक स्थान पर नहीं हो पाएगी। मृत पशु के निस्तारण की जिम्मेदारी भी संबंधित बलि देने वाले की होगी। चम्पावत, लोहाघाट में पशु वधशालाओं के लिए जमीन का चयन कर लिया गया है।

डीएम डा. पंकज पांडेय की अध्यक्षता और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पीएस यादव के संचालन में पशु क्रूरता निवारण समिति की बैठक में यह जानकारी दी गई। कहा गया कि देवीधुरा में पशु बलि को रोकने के प्रयास किए जाएंगे और न्यायालय के आदेशों को सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कर उसका अनुपालन कराया जाएगा। जिसके लिए फरवरी माह में देवीधुरा में एक बैठक होगी। बैठक में स्थाई पशु वध निरीक्षण समिति का गठन भी किया गया। बताया गया कि ब्यानधुरा में समिति की जमीन न होने से कैटल सेंटर की स्थापना नहीं हो रही है। इसके आवारा कुत्तों को रैबीज के टीके लगाने के साथ ही उनके बधियाकरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने, पालीथिन उन्मूलन पर जोर दिया गया। बैठक में जिपं अध्यक्ष प्रेमा पांडेय, एसडीओ वन एसएस जीना, डीईओ डा. मुकुल सती, अधिशासी अधिकारी बीडी जोशी, अनुराग आर्य, डा. हरीश जोशी, डा. पीएस प्रजापति, डा. कमल पंत, डा. एके सिंह, डा. मीना चंद, लक्ष्मण बोहरा आदि मौजूद थे।

dainik jagran news

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गोरणा देवी मंदिर में बलि प्रथा बंद
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जखोली ब्लाक के अंतर्गत डंगवाल गांव में प्रसिद्ध गोरणा देवी मंदिर में बलि प्रथा को तिलांजलि देकर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजित की गई। अब कभी भी मंदिर में बलि न देने का निर्णय सर्वसम्मति से ग्रामीणों ने लिया।

विगत दो दशक से भी अधिक समय से डंगवाल गांव के मांग गोरणा देवी मंदिर में बली प्रथा की परंपरा चली आ रही थी। समस्त ग्रामीणों के सहयोग से पंचमी के पर्व पर बलि प्रथा समाप्त करने का संकल्प लिया गया और इसके बदले सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया गया। इसमें क्षेत्र के डंगवाल गांव, स्वाड़ा, बामणगांव, धणतगांव व नौगांव गांवों के लोग पूरा सहयोग दे रहे हैं।

 कथा के शुभारंभ अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रेम सिंह रावत ने कहा कि गोरणा देवी मंदिर में बलि प्रथा लंबे समय से चली आ रही थी, लेकिन गांव के लोगों के आपसी सामंजस्य व विचार विमर्श के बाद ही प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। अब यहां धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे।

 वहीं भावगत कथा को सुनने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से भी लोग यहां पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर कांग्रेस नेता भरत सिंह चौधरी, सदर सिंह रावत, संजय रावत, रणबीर सिंह, नागेन्द्र सिंह पंवार, भूपेन्द्र सिंह, अंकित रौथाण, जयेन्द्र सिंह, धर्मेन्द्र रावत व अमित रावत समेत कई लोग उपस्थित थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7302255.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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महासू देवता मंदिर में पशु बलि नहीं
मंदिर समिति की बैठक में निर्णय, बलि देने वालों पर होंगे मुकदमे
अमर उजाला ब्यूरो
त्यूनी। जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ हनोल में पशु बलि पर रोक लगा दी गई है। पशु बलि देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उनके खिलाफ मुकदमे तक दर्ज करवाए जाएंगे। महासू देवता मंदिर समिति की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया। कई साल बाद कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए छह लोगों को समिति का विशेष सदस्य बनाया गया।
एसडीएम त्यूनी और समिति की अध्यक्ष इला गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंदिर में बलि प्रथा पर रोक लगाने पर सहमति बनी। इसके अनुपालन के लिए एसडीएम ने तहसीलदार और नायब तहसीलदार को कडे़ निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में बलि देने पर सारी जिम्मेदारी मंदिर के कारसेवकों की होगी। इतना ही नहीं मंदिर में बलि देने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। बैठक में कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए एनएस पंवार, चंदराम राजगुरु, राजेन्द्र सिंह, जयेन्द्र डोभाल, महेश कुमार और राजाराम शर्मा को विशेष सदस्य मनोनीत किया गया। एसडीएम ने कहा कि मंदिर परिसर में कारसेवकों के लिए दो कक्षों का निर्माण कराया जाएगा। एसडीएम ने टोंस नदी किनारे हेलीपैड निर्माण के लिए भूमि का चयन भी किया। बैठक में तहसीलदार हरि गिरी, नायब तहसीलदार केडी जोशी, सचिव मोहन लाल शर्मा, रघुवीर सिंह रावत, गोविंदराम, चरण दास, रोशन लाल आदि उपस्थित रहे।
सकारात्मक पहल
त्यूनी। महासू देवता मंदिर में लंबे समय से पशु बलि दी जाती रही है। यह परंपरा आज भी कायम है। हालांकि 2005 में भी मंदिर में यज्ञ अनुष्ठान कर मंदिर में बलि प्रथा पर रोक लगाने की पहल की गई थी। लेकिन कुछ समय बाद दोबारा से मंदिर में बलि प्रथा शुरू कर दी गई।
http://epaper.amarujala.com//svww_index.php

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is a very welcome step and must be appreciated.

गोरणा देवी मंदिर में बलि प्रथा बंद
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जखोली ब्लाक के अंतर्गत डंगवाल गांव में प्रसिद्ध गोरणा देवी मंदिर में बलि प्रथा को तिलांजलि देकर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजित की गई। अब कभी भी मंदिर में बलि न देने का निर्णय सर्वसम्मति से ग्रामीणों ने लिया।

विगत दो दशक से भी अधिक समय से डंगवाल गांव के मांग गोरणा देवी मंदिर में बली प्रथा की परंपरा चली आ रही थी। समस्त ग्रामीणों के सहयोग से पंचमी के पर्व पर बलि प्रथा समाप्त करने का संकल्प लिया गया और इसके बदले सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया गया। इसमें क्षेत्र के डंगवाल गांव, स्वाड़ा, बामणगांव, धणतगांव व नौगांव गांवों के लोग पूरा सहयोग दे रहे हैं।

 कथा के शुभारंभ अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रेम सिंह रावत ने कहा कि गोरणा देवी मंदिर में बलि प्रथा लंबे समय से चली आ रही थी, लेकिन गांव के लोगों के आपसी सामंजस्य व विचार विमर्श के बाद ही प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। अब यहां धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे।

 वहीं भावगत कथा को सुनने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से भी लोग यहां पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर कांग्रेस नेता भरत सिंह चौधरी, सदर सिंह रावत, संजय रावत, रणबीर सिंह, नागेन्द्र सिंह पंवार, भूपेन्द्र सिंह, अंकित रौथाण, जयेन्द्र सिंह, धर्मेन्द्र रावत व अमित रावत समेत कई लोग उपस्थित थे।

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