Author Topic: Poems by Dr Narendra Gauniyal - डॉ नरेन्द्र गौनियाल की कविताये  (Read 32282 times)

Bhishma Kukreti

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*******तेरि तकदीरकु मिन बि क्य कन********
                   कवि-डॉ नरेन्द्र गौनियाल

मि चांदु कि तू खुश रहे सदनि इनी.
पण तेरि तकदीरकु मिन बि क्य कन.

हवामहल बि त्वे नि दिखै कबी.
भूखो-प्यासो बि त्वे नि रखो कबी.
मि चांदु तेरि हर हसरत हो पूरी इनी.
पण तेरि तकदीरकु मिन बि क्य कन.

गिच गफा अर मुंड ढकणो एक कूड़ी बि हो.
बदन पर लैरी-लती बि हो इनि भलि-भली.
मि त चांदु कि तू नूर,सदनि इनि नूर ही रहे.
पण तेरि तकदीरकु मिन बि क्य कन.

कबी दुःख नि दे,न कबी सताई त्वे.
न कबी कर्म से न मर्म से, दुखाई त्वे.
 हर दिन हर घड़ी तेरो ख्याल करे.
पण तेरि तकदीरकु मिन बि क्य कन.

मितै रैंद सदनि तेरि अंसधरी कि फिकर.
मितै रैंद सदनि तेरि भावना कि कदर.
इनि चांदु सदनि मि मेरि सरि जिंदगी.
पण तेरि तकदीरकु मिन बि क्य कन.

मेरो सुख बि घटद,त्वे दुखी देखिकी.
मेरो दुःख बि घटद,त्वे सुखी देखिकी.
इनि चांदु मि मेरि कटे भली जिंदगी.
पण तेरि तकदीरकु मिन बि क्य कन.

तन कि रीत य सदनि रहे इनी.
मन कि प्रीत य सदनि रहे इनी.
इनी चांदु मि मेरि सुखी जिंदगी.
पण तेरि तकदीरकु मिन बि क्य कन.

       डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित   

Bhishma Kukreti

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**********जनता अर नेता**********
               कवि-डॉ नरेन्द्र गौनियाल

जनता
हर चुनौ मा
आंखि देखिकी
वोट करद
जितणा बाद
नेता अर सरकार
आंखि बूजिकी
जनता का कपाळ मा
चोट करद

जनता
हर चुनौ मा
दाता बणिकि
वोट दींद
नेता चुनद
चुनौ का बाद
जनता
मंगता ह्वै जांद
नेता
दाता बणि जांद

जनता
हर चुनौ मा
प्यार-प्रेम कि
मिशाल धरद
नेता
जु चुनौ से पैलि
भाई-चारा कि बात करद
जीत का बाद
अपणि
औकात पर ऐ जांद
जै कै तै सुद्दी
आंखि दिखांद

जनता
हर चुनौ मा
नेता का ऐथर
कतगे
मुद्दा धरद
नेता
जु चुनौ से पैलि
मुल्क का
विकास कि बात करद
जीत का बाद
एक चुटी
अपणो विकास करद

जनता
हर चुनौ मा
नेता तै
अपणि बात
बिंगांद
नेता
चुनौ से पैलि
वोट मंगद
हथ ज्वड़द
खुटा पडद
कूणों-कूणों जांद
जीत का बाद
झणि कै
कूण लुकि जांद

जनता
हर चुनौ मा
राशन-तेल
बिजली-पाणि
सड़क-यातायात
शिक्षा-रोजगार
संचार साधन कि बात करद
नेता
जु चुनौ से पैलि
जनता तै
दिन दुपहरी
कतगै
स्वीणा दिखांद
जीत का बाद
बौगु ह्वै जांद
बौंहड़ से जांद.

    डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित       

Bhishma Kukreti

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*******ये देश का सपूतो ********




          कवि- डॉ नरेन्द्र गौनियाल

ये देश का सपूतो,तुम तै प्रणाम करदु.
तुम्हरा खुट्यूं मा बीरो,अपणु मुंड मि धरदु.

देश का खातिर ही,तुमन गवैंयी प्राण.
तुम्हरा त्याग से ही,आजादी हमन जाण.

सूळी पर लट्गी ग्यो,हंशी-ख़ुशी से तुम.
तुम्हरा बलिदान से,आजाद छौ हुयाँ हम.

धन हे लक्ष्मीबाई,धन रे भगत सिंह.
दत्त,शेखर,गुरु तुम,धन रे तू बिस्मिल.

धन-धन हे बोस त्वैकू,धन-धन महात्मा जी.
धन-धन पटेल-नेरु,धन-धन सभी सपूतो.

धन-धन हे देव सुमन,धन-धन भंडारी माधो.
धन-धन तीलू रौतेली,धन चन्द्र सिंह गढ़वाली.

धन-धन पुखर्याळ गीता,धन-धन हे शीशराम.
धन-धन हे थानी नेता,धन गुजडू का सपूतो.

कतगौंन खाई मार,हथ-खुटा भली कै तोडा.
कतगौं कि ह्वैयी कुर्की,घर-बार तौन छोड़ा.

कतगौं कि खुचिली रीती,कतगों कि मांग सूनी.
कतगों तै लगी फांसी,गोल्योंन कतगे भूनी.

चालाक फिरंगियों तै,तुमन खदेड़ी द्याई.
तन-मन अर धन लगैकी,आजादी तुमन द्याई.

आजादी कु इतिहास,ल्वे से तुमन लिख्योंऊ.
अजर-अमर ही रालो,तुम्हरो यु त्याग बीरो.

        डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित.. narendragauniyal@gmail.com



Bhishma Kukreti

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गढ़वाली कविता--सरकरि पैसा भुस्स
        कवि - डॉ नरेन्द्र गौनियाल

इलाका मा
विकास योजना
हर मद मा
लाखों-करोड़ों रूप्या
बाटों मा
माटु छलकाओ
सीमेंट-गारा लपोड़ो 
कखिम
यात्री शेड
कखिम
टंकी
कखिम
पंचैतघर
कखिम
मूत्रालय
कखिम 
कुछ
कखिम
कुछ बि ना
कागजों मा
सब कुछ
काम-काज
कुछ हो नि हो
नेताजी कि
गाड़ी ऐ जांद
तिमंजिला कूड़ी
बणी जांद
गौं का लोग
दारू पेकि खुश
सरकारी पैसा भुस्स.

       डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित . narendragauniyal@gmail.com

Bhishma Kukreti

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ढ़वाली कविता--सरकरि रूप्या बुसे जन्दिन
        कवि- डॉ नरेन्द्र गौनियाल

सरकरि योजना
हर गौं मा
सड़क पौंछाण
बड़ी इस्कीम
बड़ो विभाग
बड़ो बजट

इन्जीनेर का बदल
चपड़सि
सर्वे कैरि दींद
सड़क तै
उकाळ -उन्दार
भ्यटा-पाखों
जख मर्जी
धैरि दींद

सियूँ विभाग
कंट्री ठेकेदार
सुद्दी माटु छल्कैकि
स्याल़ा कि सि कूडि
बणे दींद
मकड़ा कि सि मुतीं
हळकि बरखा बि
सड़क तै
बोगाई दींद
योजना फेल
गौं का लोग
खिसये जन्दिन
सरकरि रूप्या
बुसे जन्दिन. 

     डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित.

Bhishma Kukreti

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********सरकरि अस्पताल*********

             कवि- डॉ नरेन्द्र गौनियाल.

दस-बीस मील पर
सरकरि अस्पताल
जुगराज रैंया
द्वार-मोर
खुल्याँ छन
द्वी-तीन भैनजी
अर
एक-आध भैजी
गौलुन्द
डाक्टर कु तमगा
लगैकी
कुर्स्यूं मा
बैठ्याँ छन

दिन भर 
मरीजों कि
भितर-भैर
हे राम !
अस्पताळ मा
डाक्टर
एक बि ना
क्वी बचीं
क्वी म्वरीं
कैन बि क्य कन
भैन जि
अर
भैजी त
जिम्मेदारी से
अस्पताळ
चलाणा छन
जनि तनि कै
अधकचि खिचड़ी
पकाणा छन.     
 
    डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित ..

Bhishma Kukreti

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-----त येमा कैकु कसूर छा*********

        कवि-डॉ नरेन्द्र गौनियाल

ढयूँ-ढयूँ मा
इस्कूल खुलीं छन
साल भर
छोरी-छोरा
पढ़ीं नि पढ़ीं
पास हुणे
गारंटी छा
मास्टर जि
पढैं-नि पढैं
तनखा
मैना-मैना
पकणी छा
कोर्स पुरु हो नि हो
इम्तहान मा
इंतजाम
पुरु छा
इतगा मा बि क्वी
फेल ह्वै जांद
त येमा कैकु
कसूर छा.

     डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित   


Bhishma Kukreti

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********गिच्चू नि ख्वल्दा ******

               कवि--डॉ नरेन्द्र गौनियाल.
सरकरि राशन
ग्यूं-चौंल
गोदामों मा भर्यां
पड़मपेस
डीलर
कैतै दींद
कैतै नि दींद
ब्लैक
सदनि कैरि दींद
क्वी बि
कुछ नि ब्वल्दा
राशन कि टपरणि
लोग
भुखि रै जन्दिन
पण
गिच्चू नि ख्वल्दा.

      डॉ नरेन्द्र गौनियाल.सर्वाधिकार सुरक्षित       

Bhishma Kukreti

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*******त्वे किलै हुयूं कपचाट रे ******

             कवि -डॉ नरेन्द्र गौनियाल

क्वी खाणू च
खाणि दे
क्वी पीणू च
पीणि दे
क्वी हैंसणू च
हैंसणि दे
क्वी रूणू च
रूणि दे
क्वी सीणू च
सीणि दे
क्वी अपणि
निखणि करणू 
करणि दे
रैणि दे
जु ज्य बि कर्द
करणि दे
तू अपणि सोच
अपणि
पुट्गी देख
अपणि
लुतगी देख
अपणि
हड्गी देख
अपणि
ल्वे देख
अपणि
ज्वै देख
निर्भगी तेरो
किलै हुयूं
रपचाट रे 
त्वे किलै हुयूं
कपचाट रे .

      डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित...


Bhishma Kukreti

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******छी भुला दारू नि पीणि *******

        कवि-डॉ नरेन्द्र गौनियाल

दारू कि बाढ़
माफिया कु जाळ
कख छा जाणा
किलै छा फंसणा
मुल्क देश मा
दारू कि
बड़ी खपत
नना-ठुला पर
लगी चपत

जनम से
म्वरण तक
दारू ही दारू
नौनु हूण मा दारू
सूली भितर मा दारू
जन्मदिन मा दारू
मुंडन मा दारू
पास मा दारू
फेल मा दारू
नौकरी मा दारू
ब्यो मा दारू
नाती हूण मा दारू
देब स्थान मा दारू
तिथाण मा दारू
भैर दारू
भितर दारू
सुख मा दारू
दुःख मा दारू

दारू से ही
नेता जि कि जीत
दारू से ही
दुनिया कि रीत 
दारू से ही चलद
कर्ज मा डूबीं
हमरि सरकार 
  बुद्धि भ्रष्ट
हुयूं खंद्वार
चेति जा
समझी जा
य जिंदगी
कुछ दिन च जीणि
त छी भुला
दारू नि पीणि.

     डॉ नरेन्द्र गौनियाल सर्वाधिकार सुरक्षित ..narendragauniyal@gmail.com

 

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