प्रबास में उत्तराखंडी होली
ब्रैम्पटन , टोरंटो ओंटारियो कनाडा में गोरे रोड स्तिथ संत ज्ञानेश्वर मंदिर के भूतल सभागार में दिनाक ६ मार्च २०१० को प्रवास में बसे उत्तराखंडियो की एक संस्था उत्तराखंड कल्चरल एशो . ने होली के उत्सव पर होली का आयोजन किया जिसमे लगभग १२० से ज्यादा परिवार सामिल हुए ! सात समंदर पार अपने वतन से जुडी उन यादो को ताजा किया गया ! पर्वतीय परिवेश में खेली गई होली का रंग जब धीरे धीरे उभरा तो उसे देखते ही बनता था ! सबसे पहले वहा पर आये सब ऊताराखंडियो ने एक दुसरे पर गुलाल मल कर रंगो के इस होली के तोहार का श्री गणेश किया साथ में एक दुसरे को होली की मुबारक बाद भी दी !
उत्तराखंड कल्चरल एसो का स्वरुप यु तो सन १९८८ -८९ के समय से आने लगा था जब भारत से आये एक दूरदर्शी अपनी माँ बोली के लिए समर्पित पराशर गौड़ कनाडा आये ! उन्होंने देखा की कुछ चंद लोग ही आपस में बैठते है जिनमे स्वर्गीय भूपेंदर असवाल, जे पी गौड़ , बिरेंदर नेगी , जेपी जोशी , जगदीश गोसाई अवम शिव कोटनाल आदि .. उन्होंने सबसे मिलकर एक योजना बनाई की क्यों ना सब पहाडियों को भी जोड़कर एक संस्था बननी जाये ! जिसके फलस्वरूप आज उत्तराखंड कल्चरल एसो , सन १९8९ से लेकर सन १९९4 में एक लंबा सफ़र तय करने के बाद यह संस्था अपने परिपक्वा रूप में आज सामने आ पाई है ! पहली बार सन १९९०- ९१ पहली बार बिधिबत रूप से हरेंदर सजवान के घर पर जिसमे पराशर गौड़, जगदम्बा जोशी , गैरोला जी , जेपी गौड़ , बिरंदर नेगी उपस्थित थे इस संस्था की शुरुव्वत हुई ! जिसमे जगदम्बा जोशी .प्रधान, हरेंदर सजवान उप प्रधान , परासर गौड़ सचिब अवम बिरेंदर नेगी कोसाध्य्क्ष चुने गए गए थे ! तब से अबतक संथा ने कनाडा में बहुत से कार्यक्रम किये ! जिसमे न १९९४ में पहली बार नार्थ अमेरिका में अमेरिका व कनाडा के तमाम पहडियो का एक एक जगह इकठा किया गया था ! सन २००७ में पहाड़ के प्रसिद्ध गायक नरेंदर नेगी जी को यहाँ आमंत्रित कर उनकी गीत संध्या का आयोजन किया गया !
होली के इस उत्सब में बहुत से कार्यक्रम की प्रस्तुती हुई .. न्रत्य , गीत-संगीत , कबिता , हास्य चुटकले आदि आदि ! सर्व प्रथम संस्था के सचिब हरीश कंडवाल ने उत्तराखंड की जानी मानी सस्ती श्री परसहर गौड़ जी को आमंत्रित करते हुए उनसे आज के कार्यकर्म की शुएवात के लिए आगाह किया, साथ में देहली में ब्रेन हम्रेज से ग्रस्त एक नन्ही बालिका के लिए धन जुटाने के लिए एक अपील करने को भी कहा ! दर्शको ने करतल ध्वनि के साथ उनका स्वागत किया ! पराशर जी ने इस मौके पर सब को होली की बधाई देते हए कहा " जीवन बिबिध रगों से भरा पड़ा है ! वेसे इसमें की किस्मे के गुलाल है लेकिन सबसे साफ़ दिखने वाले दो रंग है सुख और दुःख .... ! अपनी अपील की भूमिका बाँधने के बाद उन्होंने उस बची के बारेमे बोला और उसके माता-पिता की संघर्ष करती जिन्दगी के बारे में भी कहा की कैसे वे उस का जीवन बचाने का पृयास कर रहे है .. इतना ही नहीं वे माइक को वही छोड़कर सबके आगे धन मागने गए .. जिसका सीधा असर इतना हुआ की एक मिनट में लगभग ५०० डालर इकठा होगये ! ये आज के कार्यकर्म की सबसे बड़ी उपलब्धि थी.!
होली के सुरवात " होली आई र कान्हा " जिसमे निर्मल राणा ,सुरुभी जसमी शर्मा, अर्चना त्यागी ने बहुत ही सुंदर ठंग न्रत्य कर सब को लुभाया ! तत पश्च्यात कृष्ण मिश्र ने अपने भाव भंगिना व अदाउओ से "राधा क्यूना जले " न्रत्य पर सब को आकर्षित करके बहा बह लुटी ! ठोला रे ठोला पर नूतन और मयंक की थिरकन देखती ही बनती थी ! इसके बाद आये वो लम्हा जिसने सके ह्रदय को जीत लिया एक नन्हा सा भाबी कलाकार आर्यन कंडवाल जिसने अपनी मधुर आवाज से सबको चकित कर दिया ! असल में आज की स्याम उसके ही नाम रही ! राजेंदर कोठियाल ने पाने चुटकिलो से दर्शको को को गुद गुदाया ! एक नी प्रतिभा कुमारी नारंग जिसने बड़े अंदाज में हिंदी कबिता बोली ! उसके बाद माहोल को थोड़ा और हल्का बाने के लिए पराशर जी को मंच पर बुलाया गया ! पराशर जी कनाडा में हास्य व्यंग की के जाने माने हक़स्ताकक्षर है उन्होंने अपनी सम सायकि कबिता " होली और मै " जिसमे हश्या और व्यंग का समिश्रण था जिसे सुन सुनकर दर्शक अपने हसी को दबा नहीं पाए और ठाके मार मार आकर हँसते चले गए . ! और अंत में शगुन गुप्ता और इसा गुप्ता के न्रत्य का सब ने भरपूर आनन्द उठाया !
सचिन गौर