हुक्का ... चिलम तो nahi?
चलो एक में भी पुच लेता हूँ पर यह बहुत आसान सा है आखें दो हो,या चाहे चार पर मेरे बिना कोट बेकार
'नान छना हरीं छुयुं, ज्वानी में लाल, बुड़ छना काव भयुं, कर पंथरी विचार'(हिन्दी भावार्थ : बचपन में हरा था,जवानी में लाल, बुढापे में काला हुआ, कर चिड़िया विचार)
मिर्च ...या काफल ?
बताओ हो महाराज ? "बन कै जान तक घर कै मूख, घर कै जान तक बन कै मूख़ " की भौ ?
दाजू .. कुल्हाड़ी.... जब किसी के कंधे में हो..Quote from: Anil Arya on March 21, 2011, 10:33:18 AMबताओ हो महाराज ? "बन कै जान तक घर कै मूख, घर कै जान तक बन कै मूख़ " की भौ ?