Author Topic: Kumauni Holi - कुमाऊंनी होली: एक सांस्कृतिक विरासत  (Read 313565 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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प्रयाग पाण्डे
March 3, 2015 ·
कुमाऊँनी होली :-

मत जाओ पिया , होरी आय रही ,
जिनके पिया निज घर ही बसत हैं ,
उनकी नार उमंग भरी ।
जिनके पिया परदेश बसत हैं ,
उनकी नार सोच भरी ।
मत जाओ पिया , होरी आय रही ।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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One my my favorite kumoani holi

जल कैसे भरूं जमुना गहरी,
जल कैसे भरूं जमुना गहरी,
ठाड़े भरूं राजा राम देखत हैं,
बैठी भरूं भीजे चुनरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी.
धीरे चलूं घर सास बुरी है,
धमकि चलूं छ्लके गगरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी.
गोदी में बालक सर पर गागर,
परवत से उतरी गोरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कुमाँऊनी होली:-
होली के गीतों में ज्यादातर, शिव,
राधा-कृष्ण और राम-सीता का उल्लेख
भी मिलता है। ऐसी ही एक होली है -
हाँ हाँ जी हाँ, सीता वन में अकेली कैसे
रही है
कैसे रही दिन रात, सीता वन में…
हाँ हाँ जी हाँ, सीता रंग महल को छोड़
चली है
वन में कुटिया बनाई, सीता वन में…
हाँ हाँ जी हाँ, सीता षटरस भोजन छोड
चली है
वन में कन्दमूल फल खाई, सीता वन में…
हाँ हाँ जी हाँ, सीता तेल फुलेल
को छोडि चली है
वन में धूल रमाई, सीता वन में…
हाँ हाँ जी हाँ, सीता कंदकारो छोड़
चली है
कंटक चरण चलाई, सीता वन में
कैसे रही दिन रात, सीता वन में।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक कुमाऊँनी होली ....
मत जा हो पिया होरी आई रही , मत जा हो पिया होरी आई रही ..
आई रही ऋतु जाई रही , मत जा हो पिया .....
पाँव पड़ूँगी हाथ जोड़ूँगी
बाँह पकड़ के मनाय रही मत जा हो पिया ....
आगे सजना पीछे सजनी
पाँव में पाँव मिलाय रही , मत जा हो पिया ...
जिनके पिया परदेश बसत हैं
उनकी नारी सोच मरी मत जा हो पिया ....
जिन के पिया नित घर में बसत हैं
उन की नारी रंग भरी मत जा हो पिया ...
मत जा हो पिया होरी आई रही मत जा हो पिया होरा आई रही ...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक मोती दो हार, हीरा चमकी रह्यो,
चमकी रह्यो आधी रात, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
रोहणी के बुद्धवार, भादों की रात में,
कृष्ण भयो अवतार, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
बारी चौकी कंस राजा की,
चौंकी गये सब सोई, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
बसुदेव-देवकी की बनदी खुली गयो,
बजरा को केवाड़, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
लेकर बालक सिर पै धरो है,
चल जमुना के तीर, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कुमाऊंनी होली : एक सांस्कृतिक
विरासत
प्रभु ने धारो वामन रूप , राजा बली के दुआरे हरी
राजा बली को अरज सुना दो , तेरे दुआरे अतिथि हरी
मांग रे वमणा जो मन ईच्छा , सो मन ईच्छा में देऊं हरी
हमको दे राजा तीन पग धरती, काँसे की कुटिया बनाऊं हरी
मांग रे बमणा मांगी नी ज्याण , के करमो को तू हीना हरी
दू पग नापो सकल संसारा , तिसरौ पग को धारो हरी
राजा बलि ने शीश दियो है, शीश गयो पाताल हरी
पांचाला देश की द्रोपदी कन्या, कन्या स्वयंबर रचायो हरी
तेल की चासनी रूप की मांछी, खम्बा का टूका पर बांधो हरी
मांछी की आंख जो भेदी जाले, द्रोपदी जीत लिजालो हरी
दुर्योधनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , अन्धो पिता को तू चेलो हरी
कर्णज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , मैत घरौ को तू चेलो हरी
अर्जुनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख को भेदो हरी
अर्जुनज्यू उठें द्रौपदी लै उठी, जयमालै पहनायो हरी
पैली शब्द ओमकारा भयो है, पीछे विष्णु अवतार हरी
बिष्णु की नाभी से कमलक फूला, फूला में ब्रह्मा जी बैठे हरी
ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची है , तीनों लोक बनायो हरी
पाताल लोक में नाग बसो है , मृत्युलोक में मनुया हरी
स्वर्गालोक में देव बसे हैं , आप बसे बैकुंठ हरी।।

 

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