दम तोड़ रही जनजातीय हस्तशिल्प कला
कर्णप्रयाग (चमोली)। जनपद के कर्णप्रयाग, दशोली, गैरसैंण व जोशीमठ ब्लाक में सदियों से निवास कर रहे जनजाति समुदाय की परंपरागत ऊनी हस्तशिल्प कला उपेक्षा व नियोजन की खामियों के चलते दम तोड़ रही है। तीन दशक पूर्व तक अति समृद्ध रही इस शिल्प के संरक्षण में सरकारी व गैरसरकारी प्रयास भी बौने साबित हुए हैं।
सीमांत नीति घाटी का भोटिया समुदाय प्राचीन काल से ही भेड़-पालन व ऊनी वस्त्र उत्पादों के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहां के रांकब कंबल जहां राजगृह तक पहुंचते थे वहीं पांडुकंबल, कोटंबर आदि की खपत पूरे भारतवर्ष में भी होती थी । उनके सिद्धहस्थों द्वारा निर्मित शाल, दुशाला, बुल्या व पट्टियों को यूनान तथा रोम के धनिक मुंहमांगे दामों पर खरीदने को तैयार रहते थे। यहीं नहीं, राजस्थानी राजघराने भी इस समुदाय से ऊनी तंबू बनवाते रहे। कभी देश-विदेश को विशुद्ध ऊनी उत्पाद मुहैया कराने वाला यह समुदाय वर्तमान में बाहरी प्रदेशों से आयातित घटिया ऊनी धागों पर निर्भर हो गया है, जिसके चलते इनके उत्पादों की विश्वनीयता कम हुई है, वहीं इनकी आर्थिकी भी गड़बड़ा गयी है।
सातवें दशक में इस घाटी के 24 जनजातीय गांवों के तीन हजार परिवारों के पास तीन लाख से अधिक भेड़ों का जखीरा था और गांवों में शत-प्रतिशत परिवार इस व्यवसाय से जुडे़ थे। लेकिन वर्तमान में 85 फीसदी से अधिक परिवारों ने भेड़ पालन से हाथ खींच लिया है। घाटी के दो बड़े गांवों जेलम तथा मलारी में ही कभी 58 हजार से अधिक भेड़ थीं जो वर्तमान में 2720 रह गयी है। यही स्थिति घाटी के अन्य 22 गांवों की भी है। इस बदले परिवेश में भी समुदाय का ऊनी वस्त्र उत्पादन से आत्मीयता कम नही हुई है, बिना लाभ-हानि का हिसाब लगाये समुदाय मैदानों से धागे खरीद कर उत्पाद तैयार कर रहा है लेकिन प्रतिस्पर्धा के इस युग में समुचित लाभ नही मिल पा रहा है।
हिमाचली व कश्मीरी उत्पाद के नाम पर पंजाब की मिलों में निर्मित मिलावटी उत्पाद जहां खूबसूरती के कारण हाथों-हाथ बिक रहा है वहीं फिनिशिंग, डिजाईनिंग व कलर कांबिनेशन की कमी के चलते यहां के उत्पाद लागत से भी कम में बेचना शिल्पियों की विवशता है। गैरसरकारी संगठन सदन शिक्षा समिति ने इस ओर पहल की है।
यह संगठन भेड़ पालन की जटिलताओं को देखते हुए समुदाय को विकल्प के रूप में अंगूरा शशक पालन के लिए प्रेरित करने के साथ घाटी के पगरासू, रेणी व लाता में खरगोश पालन व उत्पादन ईकाईयों को स्थापित कर वीविंग , डांइग व डिजाईनिंग के प्रशिक्षण के साथ मार्केटिंग के गुर भी लाभार्थियों को बता रहा है।