Author Topic: How To Change Tough Agriculture Methodology - पहाडो की कठिन खेती  (Read 87538 times)

हलिया

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महर ज्यू पैलाग.

बात तो आप बहुत ही बढिया कह रहे ठैरे.  पर महाराज! कैश क्राप अगर चाहिये तो बडा बदलाव लाना पडेगा पहाड में.  एक या दो आदमी एक गांव में ऐसा करे तो बडा मुश्किल है.  वो क्या कहते हैं कि कोपरेटिव सोसाइटी बनाये बिना तो मेरे ख्याल से मुश्किल ही है हो.  अब मोड्र्न खेती के लिये और भी तो सुभिता होनी ही पडेगी जैसे ट्रान्स्पोर्ट, गोदाम, बजार में भी ठीक-ठाक बातचीत होनी चाहिये.  
महर जी, एक बार तो मैने भी सोचा कि यार बेकार है, धान, गेहूं बोना.  बडी मेहनत लगती है, हांटा-भांटा तोडो और आता क्या है? चलो खाली दालें ही बोयेंगे, मेहनत कम, दाम ज्यादा. सच्ची महाराज, फ़ेल हो गया.  अब एक तो मेरा खेत अलग दिखाई देने वाला ठैरा.  सारे गुना, बानरों ने भी वही अटैक कर दिया ठैरा.  कितना पौर-दारी करो?  फ़िर सोचा जो पहले चल रहा था वही चलने दो, कुछ तो अनाज आता ही है घर में.
सरकार कुछ मदद करे या तो फ़िर एक बडी मुहिम चलानी पडेगी पहाडों में तभी तो "कैश-क्राप" का सपना पूरा हो सकेगा.  काश ऐसा जल्दी हो जाता तो.
अच्छा फ़िर बात करेंगे. धन्याबाद.


     खेती का मैथर्ड थोडा बदलना होगा, पारम्परिक खेती (धान, गेहूं, मडुवा आदि) छोड़कर व्यवसायिक खेती अपनानी होगी, फूल बोये जा सकते हैं, जरबेरा, जिरेनियम, गुलाब आदि की खेती हो सकती है, जैट्रोफा की खेती करें, फल, सब्जी पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करें, क्योकि व्यवहार में देखा जाय तो हम लोग अपने खेतों में धान, गेहूं, मडुवा बोने काटने में सारा साल लगा देते है और सब्जी बाजार से खरीद कर लाते हैं तो थोड़ा सा खेती का कानसेप्ट बदलना होगा. हमें ऎसी खेती करनी चाहिये जिससे हमें पैसा मिले और पैसा होगा तो धान, गेहूं, मडुवा तो बाजार में पर्याप्त है, खरीदा जा सकता है. क्योंकि एक सूप धान बोकर, हाड़ तोड़ मेहनत करके भी एक सूप धान भी मुश्किल से ही पैदा होता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरे हिसाब से यह tractor पहाडो मे प्रयोग मे लाया जा सकता है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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If some introduce this multi purpose Tractor in hill areas basially valley area, i am sure this will be effective. However, for step types of fields, this would not be so useful.



मेरे हिसाब से यह tractor पहाडो मे प्रयोग मे लाया जा सकता है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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If anyone wants to buy, see the details.



The company manufacturing this tractors is as under.

BDJ INTERNATIONAL
E-3/8 NEW ARYA NAGAR MEERUT ROAD
GHAZIABAD -201001 (U.P)
PHONE: 01202830157
FAX: 01202752808
MOB: 9810610280,9810168713,9310610280
Web: www.bdjinternational.net
Email: enquiry@bdjinternational.net


I am sure such kind of Tractor can be used in UK hills.


 


हेम पन्त

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पिथौरागढ़। जनपद के विकास खण्ड कनालीछीना के गर्खा और सिंगाली क्षेत्र में तैयार मालटा खरीददार नहीं होने के कारण पेड़ों पर ही सड़ने की स्थिति में पहुंच चुका है। क्षेत्र की जनता ने प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री से मालटा के विपणन की व्यवस्था करने की मांग की है।

विदित हो कि जिले के विभिन्न हिस्सों में नीबू प्रजाति के मालटा फल का व्यापक रूप से उत्पादन होता है। जिले के मूनाकोट, कनालीछीना और बेरीनाग में नीबू प्रजाति की प्राकृतिक फल पट्टियां है। हकीकत में सब कुछ इसके उलट हुआ। काश्तकारों द्वारा व्यापक रूप से मालटा सहित अन्य नीबू प्रजाति के पौंधे रोपे गये। प्राकृतिक फल पट्टियों वाले क्षेत्रों में इसका व्यापक उत्पादन होने लगा। जो अब काश्तकारों के गले की हड्डी बन चुका है।

विकास खण्ड कनालीछीना के गर्खा और सिंगाली क्षेत्र में मालटा का व्यापक रूप से उत्पादन होता है। हॉलाकि इस वर्ष ग्रीष्मकाल में ओले गिरने से मालटा के पचास प्रतिशत फूल झर गये थे। इसके बावजूद भी पेड़ों पर मालटा की संख्या अच्छी खासी है। दिसम्बर मध्य तक मालटा का विपणन नहीं होने से काश्तकार परेशान है। इस सम्बन्ध में क्षेत्र के मालटा उत्पादकों ने ग्राम्य विकास मंत्री विशन सिंह चुफाल से भेंट कर समस्या से अवगत कराया। श्री चुफाल ने काश्तकारों को मालटा के विपणन की व्यवस्था का आश्वासन दिया है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand woos hydel power firms
« Reply #25 on: December 15, 2007, 11:14:44 AM »
Uttarakhand woos hydel power firms
 
BS Reporter / New Delhi/ Dehradun December 15, 2007
 
 
Amid claims that small hydel projects will be the main focus of the new revised power policy, the Uttarakhand government is working to finalise the process of bidding from the private and government sectors for the construction of 30-40 big hydel projects, which can attract investments of Rs 30,000-40,000 crore to the state. 
 
“We are finalising the bid proposals for 30-40 big hydel projects,” a top government official said. But the official made it clear that all these projects would be “subject to verification.” 
 
The projects include 485-Mw Tapovan Chunar and 225-Mw Khal Tavaghat in Pithoragarh district. 
 
Besides this, 190-Mw Neelong on the river Jat Ganga in Uttarkashi district can also go for bidding. 
 
The total capacity of these projects would be 5,000-6000 Mw and the bidding process is expected to start early next year, the officials said. 
 
The bidding of the new projects comes close on the heels of the revision of the power policy, which is also expected to be released in two to three months. 
 
In the new allotments, the bidding process will be to ensure that the government gets the maximum premium. 
 
Under the new policy, the government is claiming that it would focus on small hydel projects and try to safeguard the interests of local people by offering them some stakes or full shares in the new ventures. To start with, at least 5 per cent equity in the project is being proposed in small projects. In some ventures, the government can offer know-how to the village communities who can themselves build dams by raising equity through loans. 
 
As scores of industries have set up new units in the state to get tax benefits, the government would also encourage them to go for captive power generation. 
 
Currently, Uttarakhand needs 15.5 million units of power daily whereas the power production in the state stands only at 5 million units. 
 
To meet the gap, Uttarakhand is taking 6.5 million units of power from the central pool. Besides, 2 million units are being overdrawn. Apart from this, the state is also taking back one million unit which it had banked in Punjab and Haryana. But in spite of all this, there is still a deficiency of 2-3 million units of power, officials said. 
 
Uttarakhand has identified 20,000 Mw of hydel power. Nearly 400 projects in this regard have already been proposed. 
 
Till now, Uttarakhand is generating only 2,819 Mw of power. At present, different projects with the capacity of generating 11,480 Mw of power are at various stages of construction. 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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pahad ki kheti..

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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See this photo. how tiring and tough is agriculture in pahad.



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Kheti on such stair field.



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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