जहां तक पानी की बात है तो पानी तो हमारे यहां बहुत है, एक तरफ गंगा, यमुना, काली गंगा, राम गंगा, कोसी जैसी बड़ी नदियां हमारे प्रदेश में हैं, लेकिन पूरा पहाड़ प्यासा है, पिथौरागढ़, अल्मोडा, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, नैनीताल, उधम सिह नगर पूरा प्रदेश प्यासा है, पानी की सब जगह कमी है, आज भी हमारी मातायें बहनें १०-१० किलोमीटर से पानी लाने को मजबूर हैं।
शहरी क्षेत्रों में किसी भी समय टैंकर की राह देखते जरकीन और कन्टर लिये लोग आपको दिखाई देंगे। उ०प्र० से प०बंगाल और राजस्थान तक को सिंचाई के साधन उपलब्ध कराने वाला उत्तराखण्ड में रौपाई लगाने के लिये पानी नही है, घराट चलाने के लिये पानी नहीं, पीने के लिये पानी नहीं, आखिर सरकार कोई ऎसी योजना क्यों नहीं बनाती कि सब जगह पानी पहुचे, हाईड्रम योजना से, खाल-ताल बनाकर पंचाचूली में भी पानी पहुचाया जा सकता है, तो हमारे गांवों में क्यों नहीं?
सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि पहाड़ का पानी किसी भी परियोजना को देने से पहले उत्तराखण्ड के गांवों को शुद्द पेयजल मुहैया कराना जरुरी हो। टिहरी बांध के लिये अपनी पैतृक जमीन सहर्ष दे देने वाले लोग आज पानी के लिये तरस रहे हैं, भागीरथी के पावन पानी में नित्य स्नान करने वाले अपना सब कुछ बांध को देकर आज प्यासे हैं, इससे दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण हमारे लिये और क्या हो सकता है?