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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

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Yes But at later stage
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Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 351750 times)

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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पाण्डेय जी फर्क पड़ गया है  उत्तराखंड पहाड़ी प्रदेश है लेकिन पहाड़ी भाग का इन १० सालुं मैं कुछ भी विकाश नहीं हुआ है जो भी विकाश हुआ है मैदानी भागूं का ही हुआ है ऊपर से परिसीमन और उत्तर प्रदेश के हिस्सुं को उत्तराखंड मैं मिलाने से पहाड़ी प्रदेश का तो अस्तित्वा ही ख़तम हो जायेगा गैरसैंन  राजधानी विकाश की पहली सिडी है 

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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मै उत्तराखंड हूँ !

मै अभी भी अपने स्थाई राजधानी के लिए तरस रहा हूँ! जब मेरे निर्माण के लिए संगर्ष चल रहा था, केवल गैरसैंण ही मेरी राजधानी होनी थी!

मेरे साथ धोखा हुवा !

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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मै उत्तराखंड हूँ !

मै अभी भी अपने स्थाई राजधानी के लिए तरस रहा हूँ! जब मेरे निर्माण के लिए संगर्ष चल रहा था, केवल गैरसैंण ही मेरी राजधानी होनी थी!

मेरे साथ धोखा हुवा !

Devbhoomi,Uttarakhand

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मै उत्तराखंड हूँ !

मै अभी भी अपने स्थाई राजधानी के लिए तरस रहा हूँ! जब मेरे निर्माण के लिए संगर्ष चल रहा था, केवल गैरसैंण ही मेरी राजधानी होनी थी!

मेरे साथ धोखा हुवा !


इसका जिम्मेदार कौन है ?

पंकज सिंह महर

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दैनिक हिन्दुस्तान में आज एक खबर प्रकाशित हुई है, राजनीतिक दलों को अपनी राजनीति के लिये भी कभी-कभी गैरसैंण की याद आ ही जाती है।


स्थाई राजधानी को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल सड़कों पर उतरने को तैयार हैं। दल ने मौजूदा बजट सत्र में ही गैरसैंण को राजधानी घोषित करने की मांग की है। उक्रांद देहरादून में विधानसभा या सचिवालय के भवन निर्माण का पुरजोर विरोध करेगा। उत्तराखंड क्रांति दल के मुख्य केंद्रीय प्रवक्ता वीरेन्द्र मोहन उत्तराखंडी ने केंद्रीय कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि सरकार ने बजट सत्र में ही गैरसैंण को राजधानी घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने गैरसैण के संबंध में जनता के बीच भ्रम फैलाने का भी आरोप लगाया।

गैरसैंण के आसपास वृक्षविहीन तीन हजार एकड़ भूमि उपलब्ध है, जिसमें आसानी से राजधानी बन सकती है। पिंडर, नयार व रामगंगा नदी के अलावा स्थानीय जलस्नोत भी उपलब्ध हैं। वीरेन्द्र मोहन ने कहा कि पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में ही होनी चाहिए। कौशिक समिति ने भी कहा था कि 68 प्रतिशत लोग गैरसैंण के पक्ष में हैं। यूपी के तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा द्वारा गठित समिति ने भी गैरसैंण को राजधानी के लिए उपयुक्त बताया था।

उक्रांद के जिलाध्यक्ष ओमी उनियाल ने कहा कि वाडिया इंस्टीट्यूट के भूवैज्ञानिकों ने गैरसैंण की जमीन को राजधानी के लिए सही बताया है। यहां तक कि दीक्षित आयोग की रिपोर्ट में भी जनता की राय गैरसैंण के पक्ष में बताई गई है। राजधानी के लिए केंद्र से मिली धनराशि देहरादून में व्यय नहीं होनी चाहिए।

उक्रांद ने स्पष्ट किया है कि दून में विधानसभा, सचिवालय बनाने की गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गैरसैंण के लिए उक्रांद आंदोलन की रणनीति भी तैयार कर रहा है। पत्रकार वार्ता में महानगर अध्यक्ष बहादुर सिंह बिष्ट भी उपस्थित थे।

हेम पन्त

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इसी महिने मुम्बई में आयोजित किये गये एक भव्य सांसकृतिक कार्यक्रम में नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने उत्तराखण्ड में बन रही बड़ी जलपरियोजनाओं के दुष्प्रभावों के बारे में प्रवासियों को जागृत करने की कोशिश की और उसके पश्चात अपना नया गाना "गैरसैंण" भी गाकर सुनाया... वीडियो देखिये..

Request by shri Narendra Singh Negi ji

हेम पन्त

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Source : livehindustan.com

बेशक स्थाई राजधानी के मुद्दे पर कांग्रेस अभी तक अपना रुख साफ नहीं कर पायी हो। प्रदेश विधानसभा में राजधानी के सवाल पर कांग्रेस के विधायक तराई व पहाड़ के नाम पर बंटते रहे हो। लेकिन कांग्रेसी सांसद सतपाल महाराज ने लोकसभा में गैरसैंण के पक्ष में आवाज बुलंद कर राजनीतिक हलके में सनसनी मचा दी।

महाराज ने मंगलवार को लोकसभा में हिमाचल व जम्मू कश्मीर का हवाला देते हुए उत्तराखंड के दुर्गम इलाके गैरसैंण में नए विधानभवन के निर्माण की मांग उठा दी। पूरी तरह पहाड़ी क्षेत्र के विकास पर फोकस करते हुए महाराज ने कहा कि राज्य का गठन निश्चित मकसद के लिए किया गया था।

महाराज ने उत्तराखंड के सीमित संसाधनों का उल्लेख करते हुए केन्द्र सरकार से गैरसैंण में नए विधानभवन के निर्माण में सहयोग की भी मांग की। महाराज ने कहा कि हिमाचल व जम्मू कश्मीर में भी विधानसभा सत्र दो -दो स्थानों पर आहूत किए जाते हैं। इसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी गैरसैंण व देहरादून में विधानसभा सत्र आयोजित किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि दो-दो स्थानों पर सत्र होने से जम्मू, श्रीनगर, धर्मशाला व शिमला का विकास तेजी से हुआ है।  महाराज ने कहा कि गैरसैंण के गढ़वाल व कुमाऊं के मध्य स्थित होने के कारण इन दोनों इलाकों के विकास में अतिरिक्त तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय जनता की भी यही मांग है कि उनकी विधानसभा, उच्च न्यायालय, शिक्षा, पुलिस व स्वास्थ्य मुख्यालय पहाड़ में स्थित होने से विकास की रफ्तार तेज होगी। और इससे आय के साधन भी बढ़ेंगे।

हेम पन्त

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लग रहा है कि अब जनता की जायज मांग को नेताजी लोग समझने लगे हैं. संसद में एक वरिष्ट सांसद द्वारा इस बात को उठाना गैरसैंण राजधानी के समर्थन में महत्वपूर्ण कदम है.[/color]

Source : livehindustan.com

बेशक स्थाई राजधानी के मुद्दे पर कांग्रेस अभी तक अपना रुख साफ नहीं कर पायी हो। प्रदेश विधानसभा में राजधानी के सवाल पर कांग्रेस के विधायक तराई व पहाड़ के नाम पर बंटते रहे हो। लेकिन कांग्रेसी सांसद सतपाल महाराज ने लोकसभा में गैरसैंण के पक्ष में आवाज बुलंद कर राजनीतिक हलके में सनसनी मचा दी।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai ho. Satpal Mahraj..

Ye huyee na baat.. We suport the views of Satpal Mahraj.. Other leader should also learn from Satpal Mahraj has been taking up crucial issues of Uttarakhand. Be it permanent Capital or Rail Track in hill areas.





Source : livehindustan.com

बेशक स्थाई राजधानी के मुद्दे पर कांग्रेस अभी तक अपना रुख साफ नहीं कर पायी हो। प्रदेश विधानसभा में राजधानी के सवाल पर कांग्रेस के विधायक तराई व पहाड़ के नाम पर बंटते रहे हो। लेकिन कांग्रेसी सांसद सतपाल महाराज ने लोकसभा में गैरसैंण के पक्ष में आवाज बुलंद कर राजनीतिक हलके में सनसनी मचा दी।

महाराज ने मंगलवार को लोकसभा में हिमाचल व जम्मू कश्मीर का हवाला देते हुए उत्तराखंड के दुर्गम इलाके गैरसैंण में नए विधानभवन के निर्माण की मांग उठा दी। पूरी तरह पहाड़ी क्षेत्र के विकास पर फोकस करते हुए महाराज ने कहा कि राज्य का गठन निश्चित मकसद के लिए किया गया था।

महाराज ने उत्तराखंड के सीमित संसाधनों का उल्लेख करते हुए केन्द्र सरकार से गैरसैंण में नए विधानभवन के निर्माण में सहयोग की भी मांग की। महाराज ने कहा कि हिमाचल व जम्मू कश्मीर में भी विधानसभा सत्र दो -दो स्थानों पर आहूत किए जाते हैं। इसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी गैरसैंण व देहरादून में विधानसभा सत्र आयोजित किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि दो-दो स्थानों पर सत्र होने से जम्मू, श्रीनगर, धर्मशाला व शिमला का विकास तेजी से हुआ है।  महाराज ने कहा कि गैरसैंण के गढ़वाल व कुमाऊं के मध्य स्थित होने के कारण इन दोनों इलाकों के विकास में अतिरिक्त तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय जनता की भी यही मांग है कि उनकी विधानसभा, उच्च न्यायालय, शिक्षा, पुलिस व स्वास्थ्य मुख्यालय पहाड़ में स्थित होने से विकास की रफ्तार तेज होगी। और इससे आय के साधन भी बढ़ेंगे।


हेम पन्त

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अभी तक तो बीजेपी और कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर बोलने से बचने के लिये मुंह छिपाते फिर रहे थे.. सतपाल महाराज ने आखिर चुप्पी तोड़ ही दी है, वो भी लोकसभा में बोलकर..

 

 

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