“क्रिएटिव उत्तराखण्ड” ने 10 अप्रैल 2016 को रुद्रपुर में उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के शहीदों की याद में “जनगीतों की जुगलबन्दी” कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में दिल्ली व उत्तराखण्ड के विभिन्न शहरों से आन्दोलनकारी, लेखक, पत्रकार, चिन्तक मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान राज्य आन्दोलन के शहीदों को याद किया गया और उत्तराखण्ड के जनसंघर्षो से उपजे गीतों व कविताओं की पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई। संस्था के कलाकारों द्वारा जनकवि अदम गौंडवी की कविता “आइये महसूस किजिए, जिन्दगी के ताप को” की सशक्त मंचीय प्रस्तुति दी गई। नैनीताल से आये महेश जोशी जी एवं टीम के द्वारा जनगीतों की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का मुख्य भाग श्री बल्ली सिंह चीमा (हिंदी में) व श्री हीरा सिंह राणा (कुमाउनी में) द्वारा "जनगीतों की जुगलबन्दी" थी.. बल्ली सिंह चीमा ने “ले मशालें चल पड़े हैं” और “तय करो किस ओर हो” जैसी लोकप्रिय कविताओं के साथ ही अपनी कई नई कविताएं सुनाई। हीरा सिंह राणा ने “लस्का कमर बांधा” और “त्यर पहाड़, म्यर पहाड़” सुनाकर दर्शकों में जोश भर दिया।
इस कार्यक्रम के माध्यम से उत्तराखण्ड राज्य के लिए किये गये संघर्ष को याद किया गया और राज्य की वर्तमान राजनैतिक स्थिति पर रोष भी प्रकट किया गया। संस्था के सदस्यों द्वारा हस्तनिर्मित पोस्टर प्रदर्शनी में राज्य आन्दोलन, स्वाधीनता संग्राम, कुली बेगार, नशा नहीं रोजगार दो, वन बचाओ, टिहरी बांध आदि जन आन्दोलनों में गाये गये जनगीतों और कविताओं को प्रदर्शित किया गया, जिसे बहुत पसन्द किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक हरीश त्रिपाठी ने बताया कि “क्रिएटिव उत्तराखण्ड” ने जनगीतों के द्वारा जनता के दुख-दर्द को साहित्यिक रूप देने वाली रचनात्मकता को जनता के बीच प्रस्तुत करने का एक अनूठी कोशिश की । इस गैर राजनीतिक कार्यक्रम की उत्तराखण्ड के बुद्धिजीवी वर्ग ने मुक्तकन्ठ से प्रशंसा की है।
इस कार्यक्रम के दौरान प्रताप सिंह शाही, दयाल पाण्डे, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, शेखर शर्मा, नन्दन बिष्ट, डा. एल.एम. उप्रेती, एन. के. आर्या, भूपेन सिंह, भास्कर उप्रेती, नन्दन बिष्ट, डा. अनिल कार्की, रजनीश जस, सुबीर कयाल, महेश पन्त, जगमोहन रौतेला, ओपी पाण्डे, उषा टम्टा, आबिद अली, हरीश त्रिपाठी, ललित मोहन, पुष्पा टम्टा व हेम पन्त उपस्थित रहे।