सोच अपने मन की,कि तू कौन है क्यों आया है
कौन सी वो चीज है जिससे तू भरमाया है
इन्सां तो कहते है उसको काम जो दूजों के आए
देख ले पलट के तू भी कितने फिरते हैं सताए
गर चाहता है तू भी अपने वास्ते सुंदर जहाँ
खुदको बनाले उनके लायक रहता है तू जिस जहाँ
गर ख़ुद को जो तू बदल लेगा ख़ुद ही बदलेगा जहाँ
तेरे ही चर्चे चलेंगे फिर यहा और बस वहां
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