उत्तराखण्ड में मैत का अर्थ होता है मायका, और मैती का अर्थ होता है, मायके वाले। इस आन्दोलन में पहाड़ की नारी का उसके जल, जंगल और जमीन से जुड़ाव को दर्शाया गया। क्योंकि एक अविवाहित लड़की के लिये उसके गांव के पेड़ भी मैती ही होते हैं, इसलिये जिस भी लड़की की शादी हो रही हो, वह फेरे लेने के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच एक पेड़ लगाकर उसे भी अपना मैती बनाती है।
इस भावनात्मक पर्यावरणीय आन्दोलन की शुरुआत 1994 में राजकीय इण्टर कालेज, ग्वालदम, जिला-चमोली के जीव विग्यान के प्रवक्ता श्री कल्याण सिंह रावत जी द्वारा की गई। जो अभी भी निरन्तर चल रहा है, आज इस कार्यक्रम ने अपना फैलाव पूरे उत्तराखण्ड सहित देश के कई अन्य राज्यों तक कर लिया है।
अगली पोस्टों में कुछ समाचार दिये जा रहे हैं, जिससे आप मैती की व्यापकता को और करीब से जान पायेंगे।