Author Topic: Maiti Movement, 1994 - मैती आन्दोलन, १९९४  (Read 40715 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Women-centric movement inspire hundreds in saving green cover
« Reply #10 on: December 06, 2009, 04:17:14 PM »
Women-centric movement inspire hundreds in saving green cover

: They may not be involved in a bigger platform like Copenhagen, but activists of Maiti Andolan, an ambitious movement that began in a small Indian town 15 years ago, are doing their every bit to save the environment by restoring the country's green cover and of many other nations too.

The women-centric movement, which involves a unique ritual of planting a sapling by a newly-wed couple, was initiated in a small town of Gwaldam in Uttarakhand by environmentalist Kalyan Singh Rawat in 1994.

Taking inspiration from Rawat's idea, many social activists like Keshav Pandey, Pt Madan Mohan Malviya's granddaughter Asha Seth, and Hamida Begum started the movement in Kerala, Mumbai and Delhi respectively. They also formed Maiti organisations in their states.

"This is the biggest afforestation movement in the country after Sunder Lal Bahuguna's Chipko Andolan as a part of which we have already planted over one lakh trees in Uttarakhand only," said Rawat, a senior scientist at Uttarakhand Council for Science and Technology.

"This innovative movement has now spread across 6,000 villages in 18 states including Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Punjab, Jammu and Kashmir, Rajasthan and Kerala besides foreign countries like the US, UK, Canada, Nepal, Indonesia and Thailand," Rawat told reporters.

 'Maiti' in Uttarakhand literally means mother's home. To perform the Maiti ritual, the bride plants a sapling after her marriage before leaving her mother's home and the groom gives money to his wife's family to take care of the plant as it will always be a reminder of their daughter.

source : http://www.zeenews.com/news584932.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Maiti Movement, 1994 - मैती आन्दोलन, १९९४
« Reply #11 on: October 08, 2010, 08:10:04 AM »
क्या है मैती आंदोलन

उतराखंड के चमौली जिले में पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक परंपरा का आगाज हुआ। इसके तहत बारात विदा होने के समय लड़की को खेतों में ले जाकर उसकी याद में एक पौधा रोपित करवाया जाता है। वहीं बारात पहुंचने पर ससुराल में भी पौधारोपण करवाया जाता है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Maiti Movement, 1994 - मैती आन्दोलन, १९९४
« Reply #12 on: December 05, 2010, 02:30:53 AM »
  नव विवाहित जोड़े ने किया  फलदार पौधों का रोपण -

   चम्बा: मैती आंदोलन के तहत पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्राम पंचायत आमपाटा में एक नवविवाहित जोड़े ने अपनी शादी के मौके पर फलदार पौधे का रोपण कर वैवाहिक जीवन की शुरूआत की ।
नरेन्द्रनगर प्रखण्ड के ग्राम आमपाटा में मैती आंदोलन के तहत गांव निवासी रघुवीर सिंह भंडारी की पुत्री विनीता और ग्राम चामनी के अरविन्द ने अपनी शादी के मौके पर फलदार पौधे का रोपण कर शादी को यादगार बनाया। उन्होंने इस अभियान में हर किसी से जुड़ने की अपील की । पर्यावरण शोधार्थी सुचोचना सजवाण ने नवविवाहित जोड़े से पौधरोपण करवाया। इस मौके पर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष मनोज द्विवेदी ने मैती आंदोलन की आजीवन सदस्यता ग्रहण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य वीरेन्द्र कंडारी , प्रधान कमली देवी, सुन्दर सजवाण, भास्कर गैरोला, पंकज भट्ट, सत्येन्द्र नेगी, भूपेन्द्र, शूरवीर भंडारी, राजवीर भण्डारी, ज्योति सजवाण, बीना,सीमा,ममता आदि लोग मौजूद थे।\


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6978831.html

   

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: Maiti Movement, 1994 - मैती आन्दोलन, १९९४
« Reply #13 on: December 03, 2011, 11:23:07 PM »
 

    : सुखदेव और मंजू शादी के पवित्र में बंधे, तो इस नवजोड़े ने एक पौधा रोपकर अपने साथ-साथ एक खुशहाल भविष्य की नींव रखी। बदलाव की ये बयार किसी एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि क्षेत्र के सभी नवविवाहित जोड़े खुशहाली के बीज बोकर यहां से नए जीवन की शुरूआत कर रहे हैं।


 उत्तरकाशी में मैती आंदोलन की अगुआई में ये पहल की गई, जिसमें शादी के बंधन में बंधने पर नववधू अपने मायके में याद के तौर पर एक पौधे को रोपेगी और वधूपक्ष की ओर से वरपक्ष को दो पौधे दहेज के रूप में दिए जाएंगे।


 हाल ही के दिनों में क्षेत्र में हुई शादियां अन्य सभी से कुछ हटकर रहीं। कारण था दहेज के रूप में दी जाने वाली भेंट कुछ अन्य सामान नहीं बल्कि पौधे थे। मुखमाल गांव के तेजपाल और विनय ने विवाह सूत्र में बंधने पर यही रस्म निभाई।



अब हरियाली के वाहक इन विवाहित जोड़ों की संख्या हजार के पार होने को है। इस रस्म के अनुसार, वधू अपनी याद के तौर पर अपने मायके में एक पौधा रोपेगी, जिसकी देखभाल उसके माता-पिता अपनी बेटी की तरह करेंगे और वर को मायके पक्ष की ओर से दो पौधे दिए जाएंगे, जो विवाहित जोड़े के नए जीवन की शुरूआत के प्रतीक रूप होंगे।



श्याम स्मृति वन पर्यावरण एवं जन कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रताप पोखरियाल बताते हैं कि 1998 से शुरू हुए इस अभियान में अब तक 1,637 नव विवाहित जोड़े अब तक 3,274 पौधे रोप चुके हैं, जिनमें से सैकड़ों अब वृक्ष का भी रूप ले चुके हैं।



अब तक जिले समेत टिहरी, देहरादून, चमोली में सैकड़ों शादियों नव विवाहितों ने मैती आंदोलन के तहत पौधे रोप कर अपनी शादी को यादगार बना दिया है।



Source Dainik Jagran

   

हेम पन्त

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Kalyan Singh Rawat, 52 Like any happily married woman, Rajshree Joshi (42) a resident of Nainital has fond memories of her marriage that took place in December 1996. Sixteen years down the line, Rajshree has two kids and a Guava tree. Taking cue from ‘Maiti’ movement, Rajshree, during her marriage ceremony planted sapling of Guava plant, which has now turned into a fully grown fruit bearing tree.

Thanks to the efforts made by green crusader – Kalyan Singh Rawat (52), Maiti is now a household name in mountain state Uttarakhand, which has nearly 65% forest cover.

Rawat, a teacher by profession in early 90’s decided to sensitise people about importance of green cover, even as pressure on forest for fodder and firewood was increasing.

“In hilly areas women are forced to walk miles in search of grass, wood and drinking water. The destruction of forests could not be prevented in hills without active participation of women, therefore I thought of Maiti” he says.

‘Mait’ means parental home of bride. The Maiti ceremony fosters planting of sapling as part of the nuptial ceremony. During the ritual, bridegroom plants a sapling as a token of love for the bride’s parents and relatives. They all take care once bride leaves for her in law’s place.

Now such is the popularity of the Maiti movement that it has crossed beyond Uttarakhnad. Maiti is running successfully in eighteen other states including Himachal Pradesh, Jammu & Kashmir, down south in Kerala, Andhra Pradesh, claims Rawat.

Source - Hindustan Times

हेम पन्त

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"Maiti" POONAM at GAUCHAR 20-feb-2011

Photo Courtesy - Mr. Kalyan Singh Rawat

हेम पन्त

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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समिति ने मैती आंदोलन  को दिया नया आयाम
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : श्याम स्मृति वन एवं पर्यावरण समिति ने मैती आंदोलन में एक और आयाम जोड़ा है। समिति की ओर से विवाह समारोह में वधु पक्ष के साथ ही अब वर पक्ष के यहां भी धारा पूजन के समय पौधा रोपने की रस्म शुरू की गई है। समिति ने अपने अभियान के तहत अब तक 6158 पौधों का रोपण करवाया है। जिसमें 1380 पौध वर पक्ष के यहां रोपे गए। अब तक मैती आंदोलन के तहत वधु पक्ष के यहां यानी लड़की के मायके में ही पौधा रोपण की परंपरा थी, लेकिन अब समिति ने वधु पक्ष को वर पक्ष को पौधा दान में देने के लिए लोगों को जागरुक किया है। इस पौधे को वधु के ससुराल में वर और वधु दोनों धारा पूजन की रस्म के समय रोपते हैं। हाल ही में समिति की ओर से उत्तरकाशी व इसके आस पास के गांवों में विवाह समारोहों में इस रस्म का निर्वाह कराया गया है। समिति के अध्यक्ष प्रताप पोखरियाल ने बताया कि दोनों पक्षों में पौधे रोपने से पर्यावरण संरक्षण को और बढ़ावा मिलेगा साथ पौधा दान करने की एक स्वस्थ परंपरा भी शुरू होगी।
http://www.jagran.com/uttarakhand/uttarkashi-10895898.html


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Maiti Aandolan
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मैती एक भावनात्मक पर्यावरण आंदोलन है। उत्तराखंड में जीव विज्ञान के प्राध्यापक कल्याण सिंह रावत की सोच से इस मुहिम की शुरुआत हुई तथा आज वहां के चमोली जनपद में एक अभियान का रूप ले चुकी है।
'मैती' यानि शादी के समय दूल्हा-दुल्हन द्वारा फलदार पौधों का रोपण। मैती शब्द का अर्थ होता है मायका, यानि जहां लड़की जन्म से लेकर शादी होने तक अपने मां-बाप के साथ रहती है। जब उसकी शादी होती है, तो वह ससुराल अपने मायके में गुजारी यादों के साथ-साथ विदाई के समय रोपित पौधे की मधुर स्मृति भी ले जाती है। भावनात्मक आंदोलन के साथ शुरू हुआ पर्यावरण संरक्षण का यह अभियान विश्व में व्याप्त कई गंभीर समस्याएं जो पर्यावरण से जुड़ी हैं को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
उत्तराखंड के नौ-दस हजार गांवों में आज इस आन्दोलन का जूनून यहाँ तक है कि अब लोग शादी के निमंत्रण पत्र पर भी मैती वृक्षारोपण समारोह का उल्लेख करते हैं.


By Manoj Bhatt

 

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