Author Topic: Teelu Rauteli Greatest Female Warriors from Gahrwal-वीरांगना तीलू रौतेली  (Read 43055 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

We are sharing here some articles and Folk Songs made Greatest Gahrwali Women Worrier Teelu Rauteli. This information has been provided by our Senior Member Bhishma Kukreti Ji.


 
Teelu Rauteli RanBhoot Jagar : A Tribute to One of The Greatest Female Warriors     तीलु रौतेली रणभूत जागर : संसार की महान स्त्री योद्धा  को श्रधांजलि

         ( Garhwali Female Warriors , Himalayan Women Warriors, Indian Women Warriors )          Bhishma Kukreti


  Teelu Rauteli is one of the great historical and mythological female warrior of Garhwal . Garhwalis do demonolatry for her braveness as Ranbhoot dance and song (Mandan)  .[
As in many folk songs in all over world folk literature, Garhwalis praises Teelu Rauteli in Jagar of Ranbhoot Mandan as brave as male brave warrior and dinstinguish her as brave heroin of the era of kings Dhamshahi Kantura of Kumaun and Manshahi king of Garhwal. After the defeat of Manshah against Dhamshah , Teelu rauteli and her aids as Shibbu pokhariyal Negi Sardar, Ghimandu Hudkiya, her maids did fight on behalf of the Garhwali king .


   
M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तीलू रौतेली रण भूत जागर

         डा शिवानन्द के अनुसार , "   वीरांगना  तीलू रौतेली गढवाल कि झांसीकि राणी कहलायी जाती है . तीलू कि याद में रण भूत नचाया जाता है . जबतीलू रौतेली नचाई जाती है तो अन्य बीरों  के रण भूत /पश्वा जैसे शिब्बूपोखरियाल, घिमंडू हुडक्या, बेलु -पत्तू सखियाँ , नेगी सरदार आदि के पश्वाओंको भि नचाया जाता है . सबके सब पश्वा मंडांण   में युद्ध नृत्य के साथ नाचतेहैं"

ओ कांडा का कौथिग उर्यो
ओ तिलु कौथिग बोला
धका धे धे   तिलु रौतेली  धका धे धे     (Read  धे as Dhai )
द्वी बीर मेरा रणशूर ह्वेन
भगतु पत्ता को बदला लेक कौतिक खेलला
धका धे धे तिलु रौतेली धका धे धे
अहो रणशूर बाजा बजी गेन रौतेली धका धे धे
बोइयों का दूध तुम रणखेतु बतावा  धका धे धे
तीलु रौतेली ब्वादा रणसाज सजावा धका धे धे
इजा मैणा यूं बीरूं टीका लगावा , साज सजावा ,धका धे धे
मै तीलु  बोदू जौंका भाई होला , जोंकी बैणि होली
ओ रणखेत जाला धका धे धे
बल्लू प्रहरी टु मुलक जाइक धाई लगै दे धका धे धे
बीरों के भृकुटी तण गे धका धे धे
तीलु रौतेली धका धे धे
ओ अब बूड़ी सलाण नाचण लागे धका धे धे
अब नई जवानी आइगे धका धे धे
बेलू देबकी द्वी सखी संग चली गे धका धे धे
ओ खैरा गढ़ मा जुद्ध लगी गे धका धे धे
खड़कु रौत तखी मोरी गे  धका धे धे
तीलु रौतेली धका धे धे
ओ काण्ड को कौतिक उर्यो गे धका धे धे
तीलु रौतेली तुम पुराणा हथ्यार पुजावा धका धे धे
अपणि ढाल कटार तलवार सजावा धका धे धे
घिमंडू की हुडकी बाजण लगे धका धे धे
ओ रणशूर साज सजीक ऐगे तीलु रौतेली धका धे धे
दीवा को अष्टांग करी याल धका धे धे
रण जीति घर आइक गाडुल़ो छतर रे धका धे धे
धका धे धे तीलु रौतेली  धका धे धे
पौंची गे तीलु रौतेली टकोली भौन धका धे धे
यख बिद्वा कैंत्युरो मारियाले धका धे धे
तब तीलु पौंची गे सल्ड मादेव धका धे धे
ओ सिंगनी शार्दूला  धका धे धे
धका धे धे तीलु रौतेली धका धे धे
येख वख मारी कैकी बौडी गे चौखाटिया देघाट धका धे धे
बिजय मीले पण तीलु घिरेगे धका धे धे
बेल्लू देबकी रणखेतुं मा इखी काम ऐन
इथगा मा शिब्बू पोखरियाल मदद लेक आइगे धका धे धे
अब शार्दूला लड़द पौंची कालिंकाखाळ
 सराइंखेत आइगे घमासान जुद्ध ह्व़े धका धे धे
शार्दूला की मार से कैंत्युरा रण छोडि भाजी गेन धका धे धे
रण भूत पितरां कल तर्पण दिंऊला  धका धे धे
 यख शिब्बू पोखरियाल तर्पण देण लग्ये  धका धे धे
सराईखेत  नाम तभी से पड़े धका धे धे
यख  कौतिक तलवारियों को होलो  धका धे धे
 ये तें खेलला मरदाना मस्ताना रणवांकुर जवान धका धे धे
सरदार चला तुम रणखेत चला तुम धका धे धे
 धका धे धे तीलु रौतेली धका धे धे
ओ रणसिंग्या रणभेरी नगाड़ा बजीगे  धका धे धे
ओ शिब्बू ब्वाडा तर्पण करण खैरागढ़ धका धे धे
अब शार्दूला पौंची गे खैरागढ़ धका धे धे
 यख जीतू कैंत्युरा मारी , राजुला जै रौतेली अगने बढी गे धका धे धे
रण जीति सिंगनी दुबाटा मा नाण लगे धका धे धे
 राजुलात रणचंडी छयी अपणो काम करी नाम धरे गे धका धे धे
कौतिका जाइक खेलणो छयो खेली याला
याद तौंकी जुग जुग रहली धका धे धे
तू साक्षी रैली खाटली के देवी धका धे धे
तू साक्षी रैली स्ल्ड का मादेव धका धे धे
ओ तू साक्षी रैली पंच पाल देव
कालिका की देवी लंगडिया भैरों
ताडासर देव , अमर तीलु, सिंगनी शार्दूला  धका धे धे
जब तक भूमि , सूरज आसमान
तीलु रौतेली की तब तक याद रैली
धका धे धे तीलु रौतेली धका धे धे
 
सन्दर्भ व साभार : डा शिवानन्द नौटियाल , गढ़वाल के लोकनृत्य
 Copyright@ Bhishma Kukreti, bckukreti@gamil.com

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Great  Warrior girl Tilu Rauteli of royal Garhwal


A Fair name on Tilu Rauteli

Tilu Rauteli is a prominent fair celebrated at a village named Kanda, which is situated in Pauri Garhwal District of Uttaranchal. This fair is held in honor of a local deity named Tiluveer Bala. People throng to the site of celebrations and pay their humble worship to the deity. The religious rites are accompanied by various events pertaining to entertainment.

Story behind this Fair

Long ago, the Katyura King, Dham Shahi, attacked the Garhwal kingdom. The King of Garhwal, Man Shahi, was brutally defeated and Khairagarh, a famous territory of Garhwal, came under the custody of Dham Shahi. Dham Shahi was a very cruel king who levied unreasonable taxes and violently oppressed the people. Obviously, the Garhwalis, especially the leaders in the region, were extremely unhappy with the arrangement. Quickly, a revolt against the Katyura kingdom began to gain momentum. Bhupu Gorala, one of the leaders of the revolutionary group that formed, was killed in the war. He had two sons who, after the death of their father, took up arms as part of the revolt, but they also lost their lives fighting for Garhwal.

Bhupu Gorala also had a daughter, Teelu, who was fifteen years old when her father and two brothers were defeated in battle. The place where Teelu's brothers were killed, Kanda, was a festival ground where the traditional fair, Thaul, was held annually. Teelu told her mother that she wanted to attend the Thaul and play with her friends. Her mother reminded her that her father and brothers had been killed by the enemy. On top of that, her brothers had died where the Thaul is held, the place where she was proposing to frolic with her friends. Teelu's mother told her that if she wanted to play, she should do it on the battleground and play like the warriors there.

Teelu took the advice to heart. Quelling her desires to go to the fair, she decided to take revenge for the death of her father and brothers. She swore to herself that she would release the kingdom from the enemies. She began by building an army out of her friends, the young boys from the village, and anyone else who was willing to fight. One day this army attacked the Khairagarh and successfully won it back. Her army started vanquishing the enemy and freeing the other territories one by one, and eventually it reached Saraikhet where Teelu's father had been killed in battle. In Saraikhet, there was a terrible battle, but Teelu was victorious in the end. She was happy to have finally avenged her father's death.

While Teelu was winning the other territories back, the Katyura came back to attack Khairagarh. As soon as Teelu heard the news, she returned to Khairagarh with her army and won it once again. After that battle, Teelu went to Kandagarh, another Garhwali territory, to have some well-deserved rest. On the way there, she decided to take a bath in the Nayar River. While she was bathing, a Katyur soldier saw her unprotected and unarmed. When Teelu arrived at the bank of the river, the soldier took advantage of her vulnerability and killed her. This brave woman became a martyr at the age of only 22.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Devbhoomi,Uttarakhand

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 सत्रहवीं शताब्दी के उतरार्ध  में गुराड़ गाँव परगना  चौंदकोट गढ़वाल में जन्मी  अपूर्व शौर्य संकल्प और साहस की धनी इस वीरांगना को गढ़वाल के इतहास में "झांसी की रानी" कहकर याद किया जाता है !१५ से २० वर्ष की आयु के मध्य सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एक मात्र वीरांगना है !


 तीलू रौतेली थोकदार वीर पुरुष भूपसिंह गोलार की पुत्री थी,१५ वर्ष की आयु में तीलू रौतेली की मंगनी इडा गाँव (पट्टी मोंदाडस्यु) के भुप्पा नेगी के पुत्र के साथ हो गयी थी !नियति की कुरुर हाथों तीलू के पिता मंगेदर और दोनों भाइयों के युद्ध भूमि प्राण न्योछावर हो गए थे !

 प्रतिशोध की ज्वाला ने तीलू को घायल सिंहनी बना दिया था,शास्त्रों से लेस सैनिकों तथा "बिंदुली" नाम की घोड़ी और दो सहेलियों बेल्लु और देवली को साथ लेकर  युद्ध के लिए प्रस्थान किया!

 सबसे पहले तीलू रौतेली ने खैरागढ़ (वर्तमान कालागढ़ के समीप) को कत्यूरियों से  मुक्त  करवाया !
 उसके बाद उमटागढ़ी पर धावा बोला फिर वह अपने सैन्य दल के साथ "सल्ट महदेव"  पंहुची वहां से भी शत्रु दल को भगाया,इस जीत के उपरान्त तीलू ने "भिलण भौण"   की ओर प्रस्थान किया  तीलू दो सहेलियों ने इसी युद्ध में मिर्त्यु का आलिंगन किया था !




M S JAKHI

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 चौखुटिया तक गढ़ राज्य की सीमा निर्धारित कर देने के बाद तीलू अपने सैन्य दल के साथ देघाट वापस आई ! कालिंका खाल में तीलू का शत्रु से घमासान संग्राम हुआ, विरोंखाल के युद्ध में तीलू के मामा "रामू भंडारी
 तथा सराईखेत युद्ध में तीलू के पिता भूपू  ने युद्ध लड़ते -लड़ते अपने प्राण त्याग दिए थे !

 सराईखेत में कई कत्युरी सैनिको को मोत के घाट उतार तीलू अपने पिता की मिर्त्यु का बदला लिया इसी जगह पर तीलू की घोड़ी "बिंदुली " भी सत्रु दल का निशाना बनी, तल्ला कांडा शिविर के समीप पूर्वी न्यार नदी में स्नान करते समय रामू रजवार नामक एक कत्युरी सैनिक ने धोके से तीलू पर तलवार से हमला करके तेल्लू की जान ले ली थी !

 

Bhishma Kukreti

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Teelu Rauteli: A Courageous Woman Warrior of Garhwali Folk literature     

Folklore, Folk Legends, Folk Myths, Jagar of Kumaon-Garhwal –Haridwar (Uttarakhand) -37

 Chivalry, Gallantry, Graciousness Folklores, Folk Legends, Folk Myths, Ballads of Bravery of Garhwal, Kumaon, Haridwar, Uttarakhand –21 

                                         Bhishma Kukreti

                     The folk song related to great woman warrior Teelu Rauteli of Garhwal if very famous. There is confusion among cultural historians about the period of Teelu Rauteli. A few cultural historians suggest her time around 1380AD. A few cultural historians advocate her time around eighteenth century. 


                  कुमाऊं, गढ़वाल ,हरिद्वार  की लोक गाथाएँ/जागर  -37   

                  तीलू रौतेली रण भूत जागर लोक गाथा वीर-वीरंगनाएं  गाथा : भडौ , कटकू, भड़वळि  या पांवड़ा, जागर 
         डा शिवानन्द नौटियाल के अनुसार , "   वीरांगना  तीलू रौतेली गढवाल कि झांसी कि राणी कहलायी जाती है . तीलू कि याद में रण भूत नचाया जाता है . जब तीलू रौतेली नचाई जाती है तो अन्य बीरों  के रण भूत /पश्वा जैसे शिब्बू पोखरियाल, घिमंडू हुडक्या, बेलु -पत्तू सखियाँ , नेगी सरदार आदि के पश्वाओं को भी नचाया जाता है . सबके सब पश्वा मंडांण   में युद्ध नृत्य के साथ नाचते हैं"



                   ओ कांडा का कौथिग उर्यो
                   ओ तिलु कौथिग बोला
                   धका धै धै    तिलु रौतेली  धका धै धै 
                  द्वी बीर मेरा रणशूर ह्वेन
                   भगतु पत्ता को बदला लेक कौतिक खेलला
                 धका धै धै  तिलु रौतेली धका धै धै
                 अहो रणशूर बाजा बजी गेन रौतेली धका धै धै
                बोइयों का दूध तुम रणखेतु बतावा  धका धै धै
                तीलु रौतेली ब्वादा रणसाज सजावा धका धै धै
                इजा मैणा यूं बीरूं टीका लगावा , साज सजावा ,धका धै धै
                 मै तीलु  बोदू जौंका भाई होला , जोंकी बैणि होली
                                                 ओ रणखेत जाला धका धै धै
                 बल्लू प्रहरी टु मुलक जाइक धाई लगै दे धका धै धै
                                           बीरों के भृकुटी तण गे धका धै धै
                                           तीलु रौतेली धका धै धै
                ओ अब बूड़ी सलाण नाचण लागे धका धै धै
                 अब नई जवानी आइगे धका धै धै
                 बेलू देबकी द्वी सखी संग चली गे धका धै धै
                 ओ खैरा गढ़ मा जुद्ध लगी गे धका धै धै
                  खड़कु रौत तखी मोरी गे  धका धै धै
                                       तीलु रौतेली धका धै धै
                   ओ काण्ड को कौतिक उर्यो गे धका धै धै
                   तीलु रौतेली तुम पुराणा हथ्यार पुजावा धका धै धै
                   अपणि ढाल कटार तलवार सजावा धका धै धै
                   घिमंडू की हुडकी बाजण लगे धका धै धै
                  ओ रणशूर साज सजीक ऐगे तीलु रौतेली धका धै धै
                   दीवा को अष्टांग करी याल धका धै धै
                    रण जीति घर आइक गाडुल़ो छतर रे धका धै धै
                    धका धे धे तीलु रौतेली  धका धै धै
                   पौंची गे तीलु रौतेली टकोली भौन धका धै धै
                    यख बिद्वा कैंत्युरो मारियाले धका धै धै
                   तब तीलु पौंची गे सल्ड मादेव धका धै धै
                     ओ सिंगनी शार्दूला  धका धै धै
                   धका धे धे तीलु रौतेली धका धै धै
                   येख वख मारी कैकी बौडी गे चौखाटिया देघाट धका धे धे
                     बिजय मीले पण तीलु घिरेगे धका धै धै
                    बेल्लू देबकी रणखेतुं मा इखी काम ऐन
                   इथगा मा शिब्बू पोखरियाल मदद लेक आइगे धका धै धै
                   अब शार्दूला लड़द पौंची कालिंकाखाळ
                सराइंखेत आइगे घमासान जुद्ध ह्व़े धका धै धै
                शार्दूला की मार से कैंत्युरा रण छोडि भाजी गेन धका धै धै
                रण भूत पितरां कल तर्पण दिंऊला  धका धै धै
                यख शिब्बू पोखरियाल तर्पण देण लग्ये  धका धै धै
                सराईखेत  नाम तभी से पड़े धका धै धै
                यख  कौतिक तलवारियों को होलो  धका धै धै
                ये तें खेलला मरदाना मस्ताना रणवांकुर जवान धका धै धै
                सरदार चला तुम रणखेत चला तुम धका धै धै
                धका धै धै  तीलु रौतेली धका धै धै
                ओ रणसिंग्या रणभेरी नगाड़ा बजीगे  धका धै धै
                ओ शिब्बू ब्वाडा तर्पण करण खैरागढ़ धका धै धै
                अब शार्दूला पौंची गे खैरागढ़ धका धै धै 
                यख जीतू कैंत्युरा मारी , राजुला जै रौतेली अगने बढी गे धका धै धै
                 रण जीति सिंगनी दुबाटा मा नाण लगे धका धै धै
                  राजुलात रणचंडी छयी अपणो काम करी नाम धरे गे धका धै धै
                  कौतिका जाइक खेलणो छयो खेली याला
                   याद तौंकी जुग जुग रहली धका धै धै
                   तू साक्षी रैली खाटली के देवी धका धै धै
                   तू साक्षी रैली स्ल्ड का मादेव धका धै धै
Xxx                  xxx
                   ओ तू साक्षी रैली पंच पाल देव
                    कालिका की देवी लंगडिया भैरों
                    ताडासर देव , अमर तीलु, सिंगनी शार्दूला  धका धै धै
                    जब तक भूमि , सूरज आसमान
                     तीलु रौतेली की तब तक याद रैली
                     धका धे धे तीलु रौतेली धका धै धै  तीलु रौतेली धका धै धै


           Tilu Rauteli was daughter of Thokdar Bhup Singh Goral of Chaundkot. Tilu Rautela had two twin brothers Bhagtu and Patwa. Her father engaged Teelu Rauteli at early age. However, the enemies killed her would be husband before marriage.
        At that time, the Katyuri king Dham Shahi attacked on Khairagarh king Manshahi. Manshahi fought bravely but had to escape from the battle. Manshahi took assylam in Chaundkot Garhi.   Bhup singh and his two sons fought with the army of Dhamshahi. The attackers killed Bhup Singh and his sons in the battle.
  There was Kanda fair after winter. Teelu Rauteli showed to her mother for her interest for visiting fair. When tilu Rauteli was ready to start her mother remembered her husband and her two sons. She said to daughter Teelu,” had there been my sons alive they would have taken revenge with Dham Shahi. They would have offered blood for Tarpan of deceased sons and my husband”
  Teelu rauteli took the vow to take revenge of death of her brave father and two twin valiant brothers.
     Teelu Rauteli informed the area people that they would not celebrate fair but would destroy Katyuri. All fighters of the area became ready.
  Teelu put on the warrior dress with sword. She rode on her black horse. Her bold female friends Bellu and Rakki also went with her. The family Hudkya (A type of drum player) Ghemdu was with her with sword. She went to family and village temples for blessing.
  The Army of Teelu Rauteli started their campaign from Khairagarh. Teelu Rauteli and her army freed Khairagarh from Katyuri army.
       At later stage, she freed Bhaun (Idiyakot), Salt Mahadev, Bhilan, Bhaun, Jadalyun, Chaukhatiya, Saraikeht and Kalikakhal from enemies.
Tilu took rest for days at Bironkhal.
        Teelu Rauteli was on her camping in Kandagarh region. The army was taking rest. Teelu was taking bath into Nayar River. An enemy soldier Rajwar killed her by deceptive method. Teelu rautlei was twenty two years old when she became martyr. Teelu Rauteli fought with enemy army for seven years. 


Copyright (Interpretation) @ Bhishma Kukreti, 27/5/2013
Folklore, Folk Legends, Folk Myths of Kumaon-Garhwal-Haridwar (Uttarakhand) to be continued…38 

Chivalry, Gallantry, gracious Folklores, Folk Legends, Folk Myths of Garhwal, Kumaon, Uttarakhand to be continued…22   
Curtsey and references:
Dr. Krishna Nand Joshi, Kumaon ka Lok Sahitya (Folklore texts of Kumaon)
 Dr Trilochan Pandey, Kumaoni Bhasha aur Uska Sahity(Folklore literature of Kumaon )
Dr Siva Nand Nautiyal, Garhwal ke Lok Nrityageet  (Folk Songs and dances of Garhwal )
Dr Govind Chatak, Garhwali Lokgathayen (Folklore of Garhwali)
Dr. Govind Chatak, Kumaoni Lokgathayen (Folklore of Kumaoni)
Dr Urvi Datt Upadhyaya, Kumaon ki Lokgathaon ka Sahityik Adhyayan (Literary review of Folklore of Kumaon)
Dr. Dip Chand Chaudhri, 1995, Askot ka Palvansh , Gumani Shodhkendra, Uprada, Gangalighat
Dr. Prayag Joshi, Kumaon Garhwal ki Lokgathaon ka Vivechnatmak Adhyayan (Critical Review of Folklore of Kumaon and Garhwal)
Dr Dinesh Chandra Baluni, Uttarakhand ki Lokgathayen (Folklore of Uttarakhand)
Dr Jagdish (Jaggu) Naudiyal, Uttarakhand ki Sanskritik Dharohar, (Partially Folklore of Ravain) 
Ramesh Matiyani ‘Shailesh’ 1959, Kumaun ki Lok Gathayen
Abodh Bandhu Bahuguna, Dhunyal (Folklore and Folk Songs of Garhwal)
Shambhu Prasad Bahuguna, Virat Hriday
Kusum Budhwar, 2010, Where Gods Dwell: Central Himalayan Folktales and Legends 
C.M. Agarwal , Golu Devta, 1992, The God of Justice of Kumaon Himalayas
N.D .Paliwal, 1987, Kumaoni Lok Geet
E.S. Oakley and Tara Datt Gairola 1935, Himalayan Folklore
M.R.Anand, 2009, Understanding the Socio Cultural experiences of Pahadi folks: Jagar Gathas of Kumaon and Garhwal
Dr. Pradeep Saklani, 2008, Ethno archeology of Yamuna Valley
Shiv Narayan Singh Bisht, 1928, Gadhu Sumyal, Banghat , Pauri Garhwal
Kumaon: Kala, Shilp,aur Sanskriti         www.himvan.com/webpages/dana.htm
Anjali Kapila (2004), Traditional health Practices of Kumaoni women
Bhishma Kukreti, Garhwali Lok Natkon ke Mukhy Tatva va Vivechana
Helle Primdahi, 1994, Central Himalayan Folklore: folk Songs in Rituals of the Life Cycle
Hemant Kumar Shukla, D.R. Purohit, 2012, Theories and Practices of Hurkiya Theater in Uttarakhand, Language in India Vol.12:5: 2012 Page 143- 150
Dev Singh Pokhariya, 1996, Kumauni Jagar Kathayen aur Lokgathayen
Madan Chand Bhatt, 2002, Kumaun ki Jagar Kathayen 
Notes on Teelu Rauteli: Brave Woman Warrior of Garhwali Folk literature; Teelu Rauteli: valiant Woman Warrior of Garhwali Folk literature from Pauri Garhwal; Teelu Rauteli: daring Woman Warrior of Garhwali Folk literature from Tehri Garhwal; Teelu Rauteli: Brave Woman Warrior of Garhwali Folk literature from Rudraprayag; Teelu Rauteli: Brave Woman soldier of Garhwali Folk literature from Chamoli Garhwal; Teelu Rauteli: heroic Woman Warrior of Garhwali Folk literature from Uttarkashi; Teelu Rauteli: courageous Woman fighter of Garhwali Folk literature from Chaundkot; Teelu Rauteli: daring Woman Warrior of Garhwali Folk literature from Badalpur; Teelu Rauteli: fearless Woman combatant of Garhwali Folk literature from Syunsi Baijaron; Teelu Rauteli: Brave Woman Warrior of Garhwali Folk literature from Paino; Teelu Rauteli: dauntless Woman Warrior of Garhwali Folk literature from Khatli; Teelu Rauteli: Gallant  female Warrior of Garhwali Folk literature from Savli         

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Garhwal is home of brave women's  they fight  war in daily life and always stand strong and pure like Himalaya,but WHAT we did for their respect ?hshame  until now no one get punishment of Muzzafarnager kand and Mossoori  goli kand.
Teelu Rauteli is a inspiration for us to fight for our respect  and freedom.
There is also a other brave Female Garhwali Warrior  , RANI KARNAVATI of Garhwal Kingdom, who was the wife of Mahipat Shah who ascended to throne in 1622, though died young in 1631,after his death his Rani Karnavati, ruled the kingdom of the behalf of her young son, Prithvi Pat Shah. She even fought with the Mughals in 1640 AD, and defeated their troops, over time she earned the nickname 'Nakti Rani' (Nak-Kati-Rani) as she had the habit of cutting the noses of the invaders.Monuments erected by her still exist in Dehradun district at Nawada, she is also credited with the construction of the Rajpur Canal, the earliest of all the Dun canals, which starts from the Rispana river and brings its waters till the city of Dehradun.

 

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