Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253999 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेर मन दशा
कैल नि जाणि
कैल नि बिंगी मि थे
मेर बात मै मा ही राई
ऊ में भ्तेक कैमा नि ग्याई
ना कैर घै मेर बोई
मेर बात मै मा ही राई .... २
बोल्दु नि आन्दु मिथे
नि आन्दु मिथे रे बचाणु
जिभ मेरी लप-लपेटी सी
कैथे जी मि छों समझाणु
ना कैर चिंता मेर बोई
मेर बात मै मा ही राई .... २
मेरो दोष कते नि छे
देब्तों ना बाळपणा भ्तेक दी छे
अब तक बी मि छों लबड़लणु
अपरी से अप छों अब घबराणु
ना धैर ध्यान मेर बोई
मेर बात मै मा ही राई .... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ऐ बी जा
(ऐ बी जा ऐ बी जा ऐ गैल्या ऐ बी जा - २
सैर थे कैर अलबिदा अपरो पहाड़े मा ऐ बी जा ) -२
ऐ बी जा ऐ बी जा ऐ गैल्या ऐ बी जा
कद्ग समझैई ते थे ना कैर इन सिकैसेरी
ना ऐ लोको बोल्यूं मा बात मेरी तू समझी जैई
ये मेरो तेरो पहाड़ ये ढुंगों गारों को संसार छोड़ी ना जैई
सैर थे कैर अलबिदा अपरो पहाड़े मा ऐ बी जा
ऐ बी जा ऐ बी जा ऐ गैल्या ऐ बी जा - २
जों बी लूंण रोटा खोंला मिलिकी ही हम खोंला
रूखा सुखा खैकी हैंसी रुवैकि दगडी यख दिस बिंतोला
अब त बात मेरी मानले ऐ गैल्या मेरा हाक सुणी ले
सैर थे कैर अलबिदा अपरो पहाड़े मा ऐ बी जा
ऐ बी जा ऐ बी जा ऐ गैल्या ऐ बी जा - २
बालकृष्ण डी ध्यानी
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भौत अछि छे वैकि बनैई ये दुनिया
कखी मा धर्युं च सबुन यख
मुंड नि रेगे च बाकी अब ये दुनिया
मांगी नि छे ना ही चुरै छे
नानी ही छे अप्डी ही जो बनै ये दुनिया
इन ना लुकवा देखण द्याव अब तुम मिथे
आंदी च नजर मिथे मिसे लुकैई ये दुनिया
सब कुछ थिक थक च अधमुख मा हमरौ
लिपोड़ी सौंसार से बचै ये दुनिया
लाज नि ओंदी तुम थे ऐथे अपरा बातोंदि
गैरों का घाम दगडी कमै ये दुनिया
आज इं गैल्यों परी भौत नाज करदा ना तुम
भौल तुम ही बोव्लला ईं बिराणी हैगे ये दुनिया
रोजी हिट दूँ मि अपरो द्वि हाथ झटकादि
कबै भ्तेक मेर बाटा मा ऐ जांदी छे ये दुनिया
झणि किलै औझी ऐ जांदी ऊ हाक लगैकि
सौ बारी मेर देलि से भागे ई मिल ये दुनिया
माशाण मा अपड़ा इशार नचैल वा मिथे अब
लट्टू की जनि अपरी से नचैई ये दुनिया
तुम त भौत खुश छं सैर कु मौल्यार दगडी
प्रवासियों खुश रयां तुमरि ही सजैई ये दुनिया
दुनिया थे बुरो हमुन बनै दे भैजी
भौत अछि छे वैकि बनैई ये दुनिया
भौत अछि छे वैकि बनैई ये दुनिया
बालकृष्ण डी ध्यानी
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हैंस्दा हैंस्दा अब मेरी आंखि किैलै रुंदी जांदी
हैंस्दा हैंस्दा अब मेरी आंखि किैलै रुंदी जांदी
मिथे अब लजलू कै जांदू दुख मेरो अपड़ो ही जी
बात जबै पत्ते लगै जांदी घरै बिपदा ऐने कि
पैल अपरा ही अब अपरा घार आनू जानू कम कै देंदा जी
अब पेटणु च पाणी बी आग दगडी दगडी रे
और्री कबी आग बी अब किैलै पाणी व्है जांदी जी
अबी त ये दुनि की बथौं देख बदलणी च
और्री बाकि अपरो मन को काम ये बहम कै जांदी जी
ठुलि ठुलि बात कैकि कुछ समजा का हल्का लोक
अपरा लोकों का गैरु जिबन अब किैलै कै दिंदा जी
आख़िर कै संस्कृति मा ऐकि रुकी गै छन हम लोक
अपड़ा ही लोक अपडा लोक थे सियु जमा कै दे दिंदा जी
अपड़ो सैलु बी अब अपड़ा से क्द्गा दूर चली जांदू
समझ नि आन्दु वै दगडि कया हम इनि कैर दिनि जी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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कैल जादू कै हुली
कैल जादू कै हुली
ऐ ब्योलि कैल सजै हुली
नखर्याली नाक की ये नथुली
सोना मा कैल गढ़े हुली
कैल जादू कै हुली ..................
पसरयाली बिखर्याली ये
ल्जयाली लोक्यंली धोप्यली ये
ये गैणा ढुंगा और्री गारे का
कैल इन टिप टिप्या हुला
कैल जादू कै हुली ..................
अन्ख्युं को ऊ मेरो रगरयाट
जीकोडी को मेरो ऊ झकझायट
ये मेरो भूमि को रे भूम्याला
ये जगमग- २ रे बोग्यला
कैल जादू कै हुली ..................
बालकृष्ण डी ध्यानी
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टूटे टूटे से जोड़े
टूटे टूटे से जोड़े
वो सारे रिश्ते नजर आते हैं
हम तो अब उन रिश्तों में
खुद से बिके नजर आते हैं
टूटे टूटे से जोड़े .....
लालच ने ओढ़ा मुझे
अहम ने कुछ ऐसा निचोड़ा है
दिख रहा साफ़ पतन का रास्ता
फिर भी कदम मैंने वहीँ पर मोड़ा है
टूटे टूटे से जोड़े .....
दिल ने समझया था मुझे
क़दमों ने आगे बढ़ने से रोका भी था
एक आवाज आयी थी ना जाने कहाँ से
पर अनसुना कर मै आगे बढ़ ही गया
टूटे टूटे से जोड़े .....
सोचा मैंने बस अपने ही बारे में
ना फ़िक्र की किसी की किसी बहने से
जीवन का अंत समीप है अब सब याद आ रहा है
क्या खोया मैंने साफ़ सा अब मुझे नजर आ रहा है
टूटे टूटे से जोड़े .....
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेरो मेरो नि रैगे
मेरो मेरो नि रैगे
अब कुच बी यख मेरो
अरे ये कैल पैल ब्वाली हुली
हट चल छड़ वैथे फुंड सैरु
मेरो मेरो नि रैगे ......
हिट हिट दी हिटदा रैगयुं
अब मि बणीग्युं रे छेडू
कैल हिट वै बाटा मा पैल
खोजी थे दा वै थे मेर पास लिव
मेरो मेरो नि रैगे ......
इन चढ़ी च ये दारू में पै
घर बार -बोई बच्चा सा भुल्यो
कैल बनै व्हैली कैल पैल पि व्हैले
वै थे पैल मेर समण कैरू
मेरो मेरो नि रैगे ......
अरे कुछ नि हुलु
अब सब यख झांजी छन पोड्यां
कै कु गत मोरी हुली कैल पैल ये बात
अपरी खत्याँ मुख बोलि वैथे ना छोडो
मेरो मेरो नि रैगे ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
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छम छम शराब छम
छम छम शराब छम
मेरा पहाड़ों में शराब छम छम
ब्यो बारातों मा
मसाणों को कामकाजों मा छम छम
बरखण लगि झर झर
देस बिदेस हारे मेरो पहाड़ी बाज मारी
तुण्ड फुंड मा
पोड़ि हर पहाड़ी करम मा छम छम
देक ना देकि हुली तिल कख कख
मिल जै बी पी ले तू जख तख
नि हुनि थम थम
कन बगनी नि थमनि छम छम
आन्दु दिस शराब छम छम
ब्योखून दोपहरी मा शराब छम छम
रति सुबेर कु देक शराब छम छम
बोतलों पोतलों को धिंगतालो छम छम
छम छम शराब छम
बालकृष्ण डी ध्यानी
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क्द्गा सौली दगडी
क्द्गा सौली दगडी
वि अप्डी कथा लगे देंदी
नानू सु जियू मेरो
कैकि बी छूईयों मा झट ऐजांदू
क्द्गा सौली दगडी ......
बल इत्गा ई सीख मिल
बल इत्गा मिथे समझ मा आई
फिर बी विंकी मुखडी
मेरा सुप्निया मा किलै की ऐ जांदी
क्द्गा सौली दगडी ......
झट रुसै झट मने मि जांदू
चट विंकी बगलि मा जा की बैस बी जांदू
फिर बी बालपण परित वा किले बिसरी जांद
ज्वानि का बाटा मा वा किले हीटे नि आंदु
क्द्गा सौली दगडी ......
सब थे पता चल जांदी
वींकी ठौर कख और्री क्या च
परी नानू जियू सी जियू मेरो
फ़िक्र कैकि तू इनि उड़दी रैंदु
क्द्गा सौली दगडी ...... २
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