Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 15666 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
July 17 at 9:22pm ·

चली ग्यों दीदों डयूटी
पुरी ह्वेगे छुटटी
याद आली तुम्हारी
जब द्योल रात की डयूटी
घुट घुट बडुली मा
याद तुम्हारी आली
जब दुर प्रदेस डांडियूं मा
डयूटी मेरी राली
बथौं बणी ट्रैन दीदों
छुटी ग्या हरिद्वार
जन जन यैथर छौं जाणु
याद आणा घर बार
मां की हथ की भयुं
रुटयुं की याद आंदी
घर म हंदु अबी त मां
मुंड मलासी क कबरी खलै दयांदी
घुट घुटी क बडुल्युं मा
जिकूडी च उदास
तुम्हारी समलोंण च दगडी
होर कुछ नी च खास
भुख लगीं दीदों खुद मा
खाण क ज्यु नी बुल्दू
दगडयों तै खुजण कुन
मोबेल की गैलरी खुल्दु
दीदों जाणा त छौं डयूटी
पर लगणा कुछ छुटी ग्यायी
एक दगडया छया मोबेल दगडी
वैकि भी बैट्री दगा दे ग्यायी
लिखदी लीखद दगडयो
मेरी रेल रुकी ग्यायी
भैर दयाखी मुंड निकाली क त
स्टेसन लक्सर यै ग्यायी
झट ओलु दीदों छुटी
फिर होली मुलाकात
फोन करना रैन दगडयों
करला यमकेश्वर की बात
सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt 
July 17 at 9:39am ·

जख बी जैली दगडया
ख्याल राखी दगडया
बुये क दुध की लाज
बचाण तीन दगडया
अपण माटी क बान
मर मीटी जाण दगडया
हिमालय की चोटी मा
तु तिरंगा फैरे दे दगडया
कलम चलली तेरी
समाज क बान दगडया
बौर्डरु मा तु डट्युं छै
देश क बान दगडया
अफु यैजा आफत पैली
हैंक क सोची दगडया
जातिवाद कभी मन मा
लैयी तु न दगडया
गरीब असहाय भयुं की
मदद कैरी दगडया
सेवा .सदभाव. सम्मान .सहयोग की
बात याद राखी दगडया
हर क्षेत्र मा सर्वश्रेष्ठ
तीन द्याण दगडया
यमकेश्वर क बान त्वैन
मरी मीटी जाण दगडया
जख भी जैली दगडया
याद राखी दगडया
बुये क दुध की लाज
बचाण तीन दगडया

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt added 4 new photos.
July 16 at 9:13am ·

दगडयों कल गांव गया
खोया खोया खुद को पाया
जहां बीता मेरा बचपन
उसकी बंद चौखट से वापस आया
याद आया बचपन मुझे
ढुंड रहा था माटी में
घर के अंदर भी नही जा सका
रीषिकेश भुल गया चाबी मै
रुदन कंठ से लौटा गांव की
अपने घर की बंद चौखट से
नागरजा नरसिंग को नमन किया बस
छुके चौक की माटी से
अपने अतीत को दोस्तों
मै ढुंडता रह गया
वापस आते आते खुद को
दगडयों कोसता रह गया
पीछे पेड सेमल का मेरे
गिद्ध आते थे जिसमे सबेरे
जब हमने ही घर छोड दिया
गिद्धौं ने भी सेमल से नाता तोड दिया
बसने को कहीं भी बसुं
गांव कों नही भूल पाऊंगा
मर के भी नव जीवन अपने
ब्वांग गांव मे चांहुंगा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
July 8 at 1:45pm ·

पहाडों से मेरा प्यार
पहाड ही हैं असली यार
हो गयी मेहरवान तो
बुलंदियों तक पहुंचा देगी
अगर रुठ गये तो
मिटटी मे ...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
August 2 at 7:21pm ·

हैरी हैरी ककडी देखी
गौं की याद यैगे
दुर छौं परदेश
खुद बौडी बौडी यैगे
खुब लगीं होली
झींकडी झालुंद ककडी
जब बिटी ओं परदेश
चाखी नी घर्या ककडी
हैरी हैरी ककडी देखी
गौं की याद....
याद आणा छन दीदों
हैरी हैरी चिरकी
खांद खांद जाण स्कूल
बाकि बस्ता मा धरीकी
गैल्या गैल्याणु गैल
खुब ककडी चुरेन
जब म्वाल पनन लोगु क
ककडी हमन फुचेन
रोज गोरुम जांदी बगत
पलान बणाण
आज मी लों ककडी
भ्वाल तीन लांण
ऊं दीनु की याद यीं
ककडी तै देखी यैगे
दुर छौं परदेश
खुद बौडी बौडी....
सर्वाधिकार सुरक्षित@ लेखक सुदेश भटट(दगडया)की खुदेड कलम से

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
August 3 at 7:17pm ·

द्वार म्वार हपार
बंद पडयां छन
यी कुडी क मौ दीदों
दिल्ली बंबई बस्यां छन
द्वार म्वार हपार
बंद पडयां छन
कुडी पर तालु लगे
खुश हुयां छन
दयवतों तै भीतर ग्वाडी क
बेफिकर हुयां छन
ईष्ट देव क आलु पर
मकडजल लग्यां छन
देबी दयवता भीतरी भीतर
खुब खुदयाणा छन
बुबा ददों की बिरासत
खंदवार हुणी च
बचपन याद कैरीक मेरी
जिकुडी रमस्याणी च
मेरी पाटी बुलख्या दीदों
युं उबरीयूं मा बंद ह्वाल
चुलख्यंदो मा पैली नीथर
पस्युंण मा धर्यां ह्वाल
द्वार म्वार हपार
बंद पड्यां ...
मेरी बुये क जंदरी दीदों
ईक तरफां पडीं च
छंचल्या अर पर्या मेरी
बुये त खुजणी च
पाणी क बंठों पर
जंक लग्युं च
उरख्यली गंज्यली मेरी
बैण्यूं तै खुजणी च
द्वार म्वार हपार
बंद पड्यां.....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

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Sudesh Bhatt
August 1 at 10:42am ·

म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
मुंगरी बुकाण कुन बेटी ब्वारी
मैत अयीं जयीं होली
कती दीदी भूली मेरी
परदेश मा होली
लुटीर कुटीर लाल भैजी
सारु लगीं होली
बुये भग्यानी मेरी भी
कुटीर बंधणा होली
मी त छौं डयूटी दीदों
बाबा जी तै लखाणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
ककडी मुंगरयुं की बुये
फंची बंधणा होली
हैरी हैरी ककडी
मुर्या कु लुण पिसणा होली
बुये भी बेटयुं बिना
खुब खुदयाणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
बसकल्या छ्वया मंदर
सुंस्याट करना होली
कुयडी डांडीयुं मा
दीदी भूली खुद्याणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

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Sudesh Bhatt
16 hrs ·

सुरम्य सुंदर गंगा तट पर
देवों ने लिया जहां
मुनियों का भेष
रीषी मूनी जहां
मिलकर हैं धोते
गंगा तट पर अपना केश
वो है मेरा रीषीकेश
वो है मेरा......
सुंदर सुशील नारी यहां की
संवारती गंगा जल से केश
गंगा तट से खत हैं लिखती
पति गये जिनके परदेश
वो है मेरा रीसीकेष
जहां बम बम करते
शिवभक्त आते
कांवडियों का लेकर भेष
प्रभु द्वार से कोई खाली नही जाता
पाता मनईच्छा फल वो बिशेष
वो है मेरा रीसीकेष
वो है मेरा रीसी....
सुबह शाम जहां होती तट पर
मां गंगा की आरती बिशेष
सैलानी भी झूमते भक्ति में
वो है मेरा रीसीकेष
शांत स्वभाव के लोग यहां के
राग नही है कोई द्वैश
सब आपस में मिलकर रहते
नही किसी पर कोई केस
वो है मेरा रीसीकेष
दो पहाडियों के बीच बसा है
रीसी मुनियों का स्थान ये बिशेष
जहां प्रभु रहते है गली गली मे
जोगीयों का लेकर के भेष
वो है मेरा रीसीकेष
खुशहाली हर जगा जहां पर
सबके अपने ठाट बाट
रमणीक त्रिवेणी घाट जहां पर
रौनक आई.डी.पी.एल का हाट
सुरम्य सुंदर गंगा तट पर
देवों ने लिया जहां......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)
(फोटो उपलब्ध करवाने के लिये प्रदीप बिष्ट जी का आभार)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
August 6 at 7:00pm ·

ये माटु मा दीदों
खत्युं म्यार बचपन
पाटी बुख्लया लेकी जख
गे छौं जब हथपन
ये माटु मा दीदों
खत्युं म्यार बचपन
बुये तै सतांण
स्कुल नी जाण
चकुली क अंडा
डाल्यूं मा खुज्याण
गोरुम जाण त
श्योलु लीजाण
दौंली बटण गल्यों की
ग्वीण च लगाण
झणी कख हरचैन
उ पुरण दिन
याद आणा छन आज
अतखचर्या ऊ दिन
ये माटु मा दीदों
खत्युं म्यारु बचपन
पाटी बुखल्या लेकी जख
गे छौं मी हथपन
कभी आमु कुन जाण
कभी सिंगान खुज्याण
बज्यांद बज्यांद कंटर
पाणी म च जाण
याद यैगेन दीदों
बचपन क ऊ दिन
झमट्यां आम की
डालीयूं मुड जांण
बन बनकी आवाज कैरी
लोगु तै याद त डरांण
ये माटु मा दीदों
खत्युं म्यार......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
 

धै लगाणी भयुं तुमतै
गौं की माटी परदेसु मा
जख भी छया बौडी जाओ
गौं की छानी पटाल्यूं मा
धै लगाणी भयुं तुमतै

अग्यर पछयर बांज ह्वेगेन
घास जमीयूं च कुडी मा
धै लगाणी भयुं तुमतै
गौं की माटी परदेसु मा

बाट घाट सुन हुयां छन
धार मंदर पाणी का
आज चकुली भी नी दिखेणी
दीदों तुम्हर गांव मा
धै लगांणी भयूं तुमतै...

स्कुली भी दीदों तुम्हरी
बांजी ह्वेगेन जाण से
गुरजी ज्यादा छात्र कम
आज तुम्हर गांव मा
धै लगाणी भयूं तुमतै...

सडक भी यै ग्यायी गौंमा
गदना गदनी गे छै तु
दुवी दिन कुन देखी जा माटी
सडका सडकी गांव मा
धै लगांणी भयुं तुमतै..

अपरी समलौंण देखी जा तु
खंदवार तिबरी डिंडयाल्युं मा
डाल बुट खुब जम्यां छन
तुम्हर वबर चौक मा
धै लगाणी भयुं तुमतै...

गौं कु भुम्या धै लगाणु
तुमतै गांव की धार मा
बौडी सकदा बौडी जावा
अपण गाौं कु माटु मा
धै लगाणु भयुं तुमतै
गौं की माटी परदेसु....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

 

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