Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447838 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पगडंडीयां

याद तुम्हे जब आती होगी
हरपल वो सताती होगी
बैचैन कर जाती होगी
अकेले अकेले आंखें भीगाती होगी
वो छुटी पगडंडीयां जब बुलाती होंगी
गावं की याद आ जाती होगी .............

तेडे मेडे जब चलता था
तेडे मेडे पथ पर सहरा लेकर
उन हाथों को क्यों भुला
बड़ा होआ उन राहों पर चलकर
अब भी छुपी होगी याद कंही छुटी
बचपन उन पगडंडीयां पर
वो छुटी पगडंडीयां जब बुलाती होंगी
गावं की याद आ जाती होगी .............

श्नण प्रतिश्नण तेरा गुजरा यंहा
पल पल तेरा जो अपना छुटा यहं
बढता जो गया रिश्ता छुटता गया
पगडंडी जो जाती थी घर तक
उससे ही तो आज दूर हो गया
कभी तो उस घर की यादा आती होगी
सपनों मे तुम्हे वो लै जाती होगी
जवानी नै छुटी वो पगडंडी
गावं की याद आ जाती होगी .............

याद तुम्हे जब आती होगी
हरपल वो सताती होगी
बैचैन कर जाती होगी
अकेले अकेले आंखें भीगाती होगी
वो छुटी पगडंडीयां जब बुलाती होंगी
गावं की याद आ जाती होगी .............

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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हे भुल्हा गड्वाली

हे भुल्हा गड्वाली ..........२
कखक छे तो भुल्हा गड्वाली
धन मेरा भुल्हा गढ़वाली
क्या करदू भुल्हा गढ़वाली
छुडी की ऐ गढ़वाला
हे भुल्हा गड्वाली ..........२

कख्क छे गढ़ को भग्याविधात
कख्क लैकी गै ऐ गढ़ को भाग
ऐ भूलह गढ़वाली बोल भुल्हा गढ़वाली
कै बाटा गै तो परती णी ऐ
हे भुल्हा गड्वाली ..........२

कंण छे तो कंण तेरु कमा
जुगराज रै छुडी की ऐ धमा
गढ़ देश की याद तीथै कभी ऐ
हम थै रूलेगै सबैर शामा
हे भुल्हा गड्वाली ..........२

चौक तै डंड्ली बोलाण छिण
वो हौज वा तिबारी बोलाण छिण
तो बिसरी गै होलो भुल्हा गढ़वाली
म्यार दगडी सब ती थै ध्यै लगाण छिण
हे भुल्हा गड्वाली ..........२ ]

हे भुल्हा गड्वाली ..........२
कखक छे तो भुल्हा गड्वाली
धन मेरा भुल्हा गढ़वाली
क्या करदू भुल्हा गढ़वाली
छुडी की ऐ गढ़वाला
हे भुल्हा गड्वाली ..........२

बालकृष्ण डी ध्यानी
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बस मी

बस मी खोव्ल्या रैगयुं
बस मी बोव्ल्या होगयुं
गीची खोव्ली खोव्ली की रहाई
मनखी बोव्ल्यु होग्याई
बस मी ....................

देख जमाण को चलण
मील णी टिकाण योंका समण
भीतर अपरा अपरी मी रूंयूँ
ह्युंद सी अब मी जमी गयुं
बस मी ....................

ना चडी मै पर यों की रंग
कंण होंयांचाण सब दांग
क्ख्क ग्याई क्ख्क लुकी ग्याई
सबैर ब्य्खोंण ईणी ग्याई
बस मी ....................

तसा खेली बीडी प्याई
सीप लगे थैली ऐगे
बाटल थैली की दारू पी
चड़गै नशा ऐ भरमंड
बस मी ....................

नशा कैकी सै सै सैकी की गै
पहडा रुलूं ढुंगा पर बरसे
कै कुल्हंण अब मी लुक्कै
जमाण बल क्ख्क को गै
बस मी ....................

बस मी खोव्ल्या रैगयुं
बस मी बोव्ल्या होगयुं
गीची खोव्ली खोव्ली की रहाई
मनखी बोव्ल्या होग्याई
बस मी ....................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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बात ही कुछ और चा

मयारू गढ़ देशा की दीदा
बात ही कुछ और चा ..२
सब ठीख ठख यख ....२ बल
सारा गढ़ नेता चोर चा
मयारू गढ़ देशा की .......

रुँतैला मुल्क मयारू
गड्वाला रयफल फौजचा
दस बरस बिरडी गैणी यख
राजधनी बल अब भी गैर चा
मयारू गढ़ देशा की .......

क्रांती होईं कभी यख भी
अब सीयँ सभी लोग चा
अपरा अपरी मा लाग्यां सब
टक्का की माया को भोगचा
मयारू गढ़ देशा की .......

देबता रूठी यख अबैर
टेहरी डूबी बल सबैर सबैर
प्रतापनगर छायूँ कंण अंधेर
बिजली भी गयाई अब की बेल
मयारू गढ़ देशा की .......

नेताओं ना रचाई ऐ खेल
जनता होयेगे रेल पैल
सौ बरसों बणी योजना
ना पहुंची अब भी गढ़ रेल
मयारू गढ़ देशा की .......

कुछ भी होंया यख भुल्हा
पहडा थै ना लगदी ठेस
हस्दु रुंदु रैंदु ऐ गढ़ वासी
कटे जंदु ऐ उमरी की बेल
मयारू गढ़ देशा की .......

मयारू गढ़ देशा की दीदा
बात ही कुछ और चा ..२
सब ठीख ठख यख ....२ बल
सारा गढ़ नेता चोर चा
मयारू गढ़ देशा की .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
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दिल धडकन

अजब दिल धडकन
तो भी आ ....सुनले जरा......२
आ..... अब पास मेरे
खवाब संग .. चुनले जरा
अजब दिल धडकन .......२

जाने क्या रिश्ता है
धडकता है ..... मचलता है ....२
राहों मै मीलो जब तुम हमसे
संग संग तुम्हारे ही चलता है
अजब दिल धडकन .......२

गाता दिल तराना
धडकन का ही फसाना ...२
रुठो ना धडकन मेरी
दिल तेरा ही दिवाना
अजब दिल धडकन .......२

अजब दिल धडकन
तो भी आ ....सुनले जरा......२
आ..... अब पास मेरे
खवाब संग ... चुनले जरा
अजब दिल धडकन .......२

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बस मी

बस मी खोव्ल्या रैगयुं
बस मी बोव्ल्या होगयुं
गीची खोव्ली खोव्ली की रहाई
मनखी बोव्ल्यु होग्याई
बस मी ....................

देख जमाण को चलण
मील णी टिकाण योंका समण
भीतर अपरा अपरी मी रूंयूँ
ह्युंद सी अब मी जमी गयुं
बस मी ....................

ना चडी मै पर यों की रंग
कंण होंयांचाण सब दांग
क्ख्क ग्याई क्ख्क लुकी ग्याई
सबैर ब्य्खोंण ईणी ग्याई
बस मी ....................

तसा खेली बीडी प्याई
सीप लगे थैली ऐगे
बाटल थैली की दारू पी
चड़गै नशा ऐ भरमंड
बस मी ....................

नशा कैकी सै सै सैकी की गै
पहडा रुलूं ढुंगा पर बरसे
कै कुल्हंण अब मी लुक्कै
जमाण बल क्ख्क को गै
बस मी ....................

बस मी खोव्ल्या रैगयुं
बस मी बोव्ल्या होगयुं
गीची खोव्ली खोव्ली की रहाई
मनखी बोव्ल्या होग्याई
बस मी ....................

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अधूरी राह के राही

एक राह पर मै था
एक राह पर वो था
चले जा रहै दोनों कंही
कौन सा वो मोड़ था
एक राह...............

राह बनी थी वो सबके लिये
चले सब अपने अपने लिये
मन बस देखो चोर था
उसका ही मचा शोर था
एक राह...............

अधूरी राह के राही
सबके सब यंहा पर
मंजील किधर थी तेरी
ओर तेरा ध्यानं किधर ओर था
एक राह...............

आते जाते रहतें हैं
मुसफ़िर इस राहा पर
मंजील पर बताओ
कौन पहुंचा वो कौन था
एक राह...............

खीचां चला जाता है
पल उस पल पल के लिये
इंसान नहीं समझ पाता
आपने उस कल के लिये
एक राह...............

एक राह पर मै था
एक राह पर वो था
चले जा रहै दोनों कंही
कौन सा वो मोड़ था
एक राह...............

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रैगयुं मी
 
 रैगयुं मी अपरा अपरी मा
 जेकोडी की गेड़ खोलदी मा
 रैगयुं मी अपरा अपरी मा ........
 
 
 दोई छुंई बुलदो मी ?
 अपरी सीं घीची खोल्दो मी 
 रैगयुं मी अपरा अपरी मा ........
 
 कैमा बोलो कैमा खोलो
 कोइणी लगदु आपरी सी
 रैगयुं मी अपरा अपरी मा ........
 
 मन माया मन मा ही रहई
 घीची मेरी सिली की सीली सै गयाई
 रैगयुं मी अपरा अपरी मा ........
 
 अखींणी भी बोली यकुली बल
 आशुंल भी णी बींगी दगडाया
 रैगयुं मी अपरा अपरी मा ........
 
 रैगयुं मी अपरा अपरी मा
 जेकोडी की गेड़ खोलदी मा
 रैगयुं मी अपरा अपरी मा ........
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेरा उत्तराखंड की
 
 गाथा बड़ी पुरानी मेरा गढ़ा की
 पनतैद्रों को ठंडो मीठो पाणी मेरा गढ़ा की
 कंण बहणी बयार मेरा गढ़ा की
 सीधा साधा जन मनस मेरा गढ़ा की
 उंचा नीचा डंडा मेरा गढ़ा की
 गाथा बड़ी पुरानी मेरा गढ़ा की...................
 
 मीठी मीठी बोली मेरा गढ़ा की
 हमारी छुयीं लगांदी वा मेर बोली
 हामरा इतिहास बतंणदी वा मेर बोली
 संस्क्रती हमरी झलकणद वा मेर बोली
 अप्रू मा माया लगाणद वा मेर बोली   
 गाथा बड़ी पुरानी मेरा गढ़ा की...................
 
 उकाली उन्दरू  का बाटा मेरा गौं का
 छनी तिबारी चौक गोठ्यारा मेरा गौं का
 जगार मागण ब्योह ,बार तियोहारा मेरा गौं का
 सुख दुःख आपदा विपदा का भागी मेरा गौं का
 मेर बड भागी  मी छु ऐ मेरा गौं का
 गाथा बड़ी पुरानी मेरा गढ़ा की...................
 
 देख कंण छाई हरियाली मेरा पहाडा
 कंण ऋतू ऐण  ऋतू गैण मेरा पहाडा
 काफल किन्गोदा अखरोड़ा की डाली मेरा पहडा
 नारी शक्ती यख  बेटी ब्वारी मेरा पहडा
 ऊँचा आकाश उडद घुगुती हिलंसा मेरा पहडा
 गाथा बड़ी पुरानी मेरा गढ़ा की...................
 
 कदगा रुन्तैली भुमी मेरा उत्तराखंड मा
 हमरा देबतों की वासा मेरा उत्तराखंड मा
 माँ भगवती को मंडाण मेरा उत्तराखंड मा
 तीलू रुन्तैली ,रामी बुहराणी मेरा उत्तराखंड मा
 वीरों बड़ों बावन गडों का देश मेरा उत्तराखंड मा
 गाथा बड़ी पुरानी मेरा गढ़ा की...................
 
 गाथा बड़ी पुरानी मेरा गढ़ा की
 पनतैद्रों को ठंडो मीठो पाणी मेरा गढ़ा की
 कंण बहणी बयार मेरा गढ़ा की
 सीधा साधा जन मनस मेरा गढ़ा की
 उंचा नीचा डंडा मेरा गढ़ा की
 गाथा बड़ी पुरानी मेरा गढ़ा की...................
 
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"प्रेम का पहला कदम"

प्रेम का पहला कदम बडे
ना ढोल बाजै ना मर्दांग
ना झंजार बाजै ना पायल
सरगम लगी गाने आज
सात सुरों को लेके साथ साथ
कैसी मची हलचल दिल कैसी झंकार बाजै दिल

धडकन बडती जाये पल पल
लम्हा लम्हा अहसास जगाये दिल
होलै धीरे से पास बुलाये दिल
फिर कोई गीत गुन गुनाये दिल
कैसी मची हलचल दिल कैसी झंकार बाजै दिल

आंखें आँखों से बोलती है
एक एक राज अब वो खोलती है
सोये सोये अब वो जगा देती है
स्वप्ना अब नया सजा देती है
कैसी मची हलचल दिल कैसी झंकार बाजै दिल

कैसा मोड़ा कैसा मोहा है
सब भुल जाता हों मै अब
दर्द का वो जो अब दुर छोर है
माध्यम प्रेम की ऐ भोर है
कैसी मची हलचल दिल कैसी झंकार बाजै दिल

प्रेम का पहला कदम बडे
ना ढोल बाजै ना मर्दांग
ना झंजार बाजै ना पायल
सरगम लगी गाने आज
सात सुरों को लेके साथ साथ
कैसी मची हलचल दिल कैसी झंकार बाजै दिल

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