गढवाली व्यंग्य चित्रों की कॉमिक कथाएं गढवाली में व्यंग्य चित्रों के माध्यम से कोमिक कथाएं भी प्रकाशित हई हैं . व्यंग्य विधा के द्वारा कथा कहने का श्रेय भीष्म कुकरेती को जाता है. भीष्म कुकरेती ने दो व्यंग्य चित्र कॉमिक कथाये ' एक चोर की कळकळी कथा (जिस्मे एक चोर गढवाली साहित्यकारों के घर चोरी करने जाता है) व पर्वतीय मंत्रालय मा कम्पुटर आई ' प्रकाशित की हैं. दोनों व्यंग चित्रीय कॉमिक कथाएँ गढ़ ऐना (१९९०) में प्रकाशित हुए हैं . अबोध बंधु बहुगुणा ने इन कॉमिक कथाओं की सराहना की ( कौंळी किरण , पृष्ठ १४९) अंत में कहा जा सकता है कि आधुनिक गढवाली कहानियाँ १९१३ से चलकर अब तक विकास मार्ग पर अग्रसर रही हैं . संख्या की दृष्टि से ना सही गुणात्मक दृष्टि से गढवाली भाषा की कहानियाँ विषय , कथ्य, कथानक, शैली , कथा वहाव, संवाद, जन चेतना, कथा मोड़, वार्ता , चरित्र चित्रण , पाठकों को कथा में उलझाए रखने की वृति व काला , पाठकों को सोचने को मजबूर करना, पाठकों को झटका देना, कथाकारों में प्रयोग करने की मस्सकत आदि के हिसाब से परिस्कृत हैं . इसी तरह गढवाली कथा साहित्य में श्रृंगार, करूँ , वीर, बीभत्स, हास्य, अद्भुत रस व सभी ११० भावं से संपन रही हैं नये कथाकारों के आने से भी प्रकट होता है कि गढवाली कथा साहित्य का भविष्य उज्ज्वल है. सन्दर्भ :१- भीष्म कुकरेती, २०११, गढवाळी कथाकार अर हौरी भाषाओं क कथाकार , शैलवाणी के (२०११-२०१२ ) पचास अंकों में क्रमगत लेख २- अबोध बंधु बहुगुणा , १९७५ गाड म्यटयेकि गंगा, देहली (गढवाली गद्य साहित्य का क्रमिक विकास ) ३- डा अनिल डबराल, २००७ गढ़वाली गद्य परम्परा , ४- अबोध बंधु बहुगुणा , १९९०, गढ़वाली कहानी , गढवाल की जीवित विभूतियाँ और गढवाल का वैशिष्ठ्य, पृष्ठ २८७-२९० ५- ललित केशवान (२०१०) का भीष्म कुकरेती को लिखा लम्बा पत्र जिसमे १०० से अधिक गढवाली भाषा के लेखक लेखिआकों के बारे में जानकारी दी गयी है. ६- अबोध बन्धु बहुगुणा , २००० कौन्ली किरण Copyright @ Bhishm Kukreti, Mubai 2011 Regards
B. C. Kukreti