गढवाळ मा 52 से बिंडी गढ़ी (1250-1450 AD) क्राचल्ल या वैक उत्तराधिकार्युं राज खतम हूणओ उपरान्त गढवाळ-कुमाऊं मा जगा जगा छ्व्ट छ्व्ट राजा ह्व़े गेन जौन तैं गढ़पति बुले जांद थौ. असल मा य़ी गढ़पति अपण अपण क्षेत्र का सूबेदार/सामंत/मांडलिक छ्या जु बाद मा सोतांतर ह्व़े गेन.डा शिव प्रसाद न जख ८० का करीब गढ़पत्युं का गढ़ूं नाम बताएं उख डा चौहान न १२६ से बिंडी गढ़ूं नाम देनी .असल मा य़ी गढ़पति अपण अपण क्षेत्र का सूबेदार/सामंत/मांडलिक छ्या जु बाद मा सोतांतर ह्व़े गेन. गढ़ूं नाम अच्काल का परगना गढ़ तांग , पैनखंडा खाड, दशौली टकनौर, पैनखंडा, दशौली बधाण, चांदपुर, चौड़ ,तोप, राणीगढ़, लोहाब, धौना, बनगढ़, कांडा, गुज्डू , साबली, बधाण, चांदपुर, मल्ला सलाण उल्का, एडासु, देवल, नयाल, कोल्ली, धौना, , बन , कांडा, चौन्दकोट देवलगढ़ बारहस्यूं , चंद्कोट, देवलगढ़ बारहस्यूं , चंद्कोट माबगढ़, बाग़, अजमेर, श्रीगुरु तल्ला सलाण मवाकोट, गड़कोट, भैरों गढ़, घुघती गढ़ , ढागु गढ़ , जोर, बिराल्टा, सिल गढ़ , गंगा सलाण, भाबर, नरेन्द्रनगर, देहरादून बदलपुर, लालढांग, चांडी, सान्तुर, कोला, शेर, नानोर, नाला, बीरभद्र, मोरध्वज, पत्थर गढ़ , कुजणी, रत्न, कवीला (कुइली) , भरपूर, जोर, बिराल्टा, सिल गढ़, मुंगरा, सांकरी, बडकोट, डोडराक्वांरा , रामी जौनपुर, रवाईं. महासू, शिमला नागपुर, कंडारा, नागपुर उल्का, एडासु, देवल, नयाल, कोल्ली, धौना, , बन , कांडा, चौन्दकोट देवलगढ़ बारहस्यूं , चौदकोट उप्पू,मौल्या, रैन्का, बागर, भरदार, संगेला पश्चमी पठार, (टिहरी) यांक अलावा गाथाओं मा मलुवाकोट, अमुवाकोट, कल्निकोट, रामोलिगढ़, लोहानिगढ़, कत्युर गढ़ , कोककोट, कलावती कोट, नंदनी कोट, धरनी गढ़ , मलसिगढ़, कोतली गढ़, भानी कोट, चांडी कोट, जण गढ़युं को नाम बि आन्दन सजनसिंह : सजनसिंह नागपुर गढ़ को आख़री गढ़पति थौदिल़ेबर सिंह : लोहाब गढ़ को गढ़पति छौ प्रमोद सिंह : इन बुले जान्द बल प्रमोद सिंह लोहब गढ़ को गढ़पति छौ देवल : इन बुले जान्द बल देवल न देवल गढ़ की स्थापना करी छे घिरवाण : इन माने जान्द बल बागर गढ़ मा घिरवाण खशपत्युं राज राई कफ्फु चौहान : भड़ /बीर कफ्फु चौहान उप्पुगढ़ को गढ़पति राई भूप सिंह : इन बुले जांद बल भूप सिंह जौनपुर गढ़ को आखरी गढ़ पति थौ Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3 History of Garhwal, History of Kumaun ) बकै खंड 23 मा बाँचो