Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527657 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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य़ू massage खास वूं लूखों कुन चा I
जू आज गढ़वाल की संस्कृति ते भूली गेनी ,
अपरी देवभूमि उत्तराखण्ड ते छोड़ी की परदेश
चली गेनी II
नई पीढी का बुये-बाप अपरी औलाद ते
लेकी गढ़वाल नी जांदी ,
तबी ता आज य़ू दिन ऐ ग्याई ज्यादातर लूखों ते
गढ़वाली नी आंदी II
ध्यान से सुना और दीपू गुसाईं की बात पर अमल
कारा II
" गढ़वाली बुलुन नी आंदी ता सीख ल्यावा ,
गढ़वाल की संस्कृति ते तनि नी खपावा II
उत्तराखण्ड बुलाणु चा धे लगे की ,
हे चूचो प्रदेश छोड़ी ते उत्तराखण्ड आवा II "
लेखक - दीपू गुसाई

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

ज़िन्दगी मा आई वा बांद, जन हवा कू झोका I
कतका कोशिश करीनी मिन, पर नी मिली मोका I
सुख चैन दगडी लीगे, जिकुड़ी मेरी घैल केगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

बोली छौ उइन, साथ च मेरु उम्र भरी कू I
यखुली यन रेग्यो मी, जन भात बिना तरी कू I
सुख्यू भात खैकी मेरा पुटुक बिनेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

खैर विपदा लगेनी उइंमा, अपरा दिला की I
चिंता नी कारी मिन, फिर फ़ोन का बिला की I
पर की जण छाई वा, फ़ोन पर ही सेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

दूध लीणा कू गयु मी, उइंका बार मा सोचीकी,
टोकन डाली मशीन मा, मिन मदरडेरी पौंछीकी,
सुचदा-सुचदा उइंका बार मा, वा समीणी ऐगे I
दिखदी रेग्यो उइंतेकी, अर सरया दूध खतेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

ब्याली रात सुपन्यु देखी, वा मै दगड़ बच्यानी चाI
गों - गों बाजारू मा वा , मेते ही खुज्यानी चा I
जन्नी दिला कू भेद खोली , ढाई आखर प्रेम कू बोली ,
तन्नी सुबेर ह्व़ेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

जून जन्नी मुखडी उइंकी भूले नी भुलेंदी,
मायादारो की माया कभी तराजू नी तुलेंदी I
सुरम्याली आंख्युन झणी कन जादू केगे '
सिदू सादू दीपू ते बोल्या बनेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

Written By : Deepu Gusain ( दीपू गुसाईं )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

ज़िन्दगी मा आई वा बांद, जन हवा कू झोका I
कतका कोशिश करीनी मिन, पर नी मिली मोका I
सुख चैन दगडी लीगे, जिकुड़ी मेरी घैल केगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

बोली छौ उइन, साथ च मेरु उम्र भरी कू I
यखुली यन रेग्यो मी, जन भात बिना तरी कू I
सुख्यू भात खैकी मेरा पुटुक बिनेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

खैर विपदा लगेनी उइंमा, अपरा दिला की I
चिंता नी कारी मिन, फिर फ़ोन का बिला की I
पर की जण छाई वा, फ़ोन पर ही सेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

दूध लीणा कू गयु मी, उइंका बार मा सोचीकी,
टोकन डाली मशीन मा, मिन मदरडेरी पौंछीकी,
सुचदा-सुचदा उइंका बार मा, वा समीणी ऐगे I
दिखदी रेग्यो उइंतेकी, अर सरया दूध खतेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

ब्याली रात सुपन्यु देखी, वा मै दगड़ बच्यानी चाI
गों - गों बाजारू मा वा , मेते ही खुज्यानी चा I
जन्नी दिला कू भेद खोली , ढाई आखर प्रेम कू बोली ,
तन्नी सुबेर ह्व़ेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

जून जन्नी मुखडी उइंकी भूले नी भुलेंदी,
मायादारो की माया कभी तराजू नी तुलेंदी I
सुरम्याली आंख्युन झणी कन जादू केगे '
सिदू सादू दीपू ते बोल्या बनेगे II

मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
दिल की बात दिल मा रेगे II

Written By : Deepu Gusain ( दीपू गुसाईं

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यु गीत सिरप गीत नि म्यार मन की स्या पीड़ा छै जु मिन सै अर अपु तेन अफ्वे समजे की पीड़ा अपड़ी जब अफ्वे काटण त कैका सारा रैकी क्यकन आज आप का दगड़ा बटणों छों कन छ मैतें जरुर बतायाँ मै जाग मा रोलु .

पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !

बांजा पुगणो करीक धाणी
नि पै कैन न त्वेन पाणी
कुछ कर और सैत जिति जालू
योंकि आस मा तिन पछताणी
बाटु अपड़ू जब अफ्वे खोजण त
कैका सारा बैठी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !

आसो का रौला मारिक गोउता
नि बची क्वी तिनभि डूबी जाण
द्याखदि रालि त्यरी दुन्या त्वै
त्यरी आस तब टूटी जाण
खैरी अपड़ी अफ्वे जैलण त
कैकु बाटु दैखी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !

भरोषु कैकु अपुसि ज्यादा
न कैर ह्वै जाण तिन आदा
रूठी जाण त्यरून त्वै सी
याद रै जाण करयां वादा
सैरी उमर भुखु रैण त
कैका बांटा खैकी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !

प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षि

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उनके गीतों और रचनाओं में समाता उत्तराखंड,
उनकी अभिव्यक्ति में निर्विकार पहाड़ी जीवन
हर शब्द में झलकती उत्तराखंडी संस्कृति
सुर में पहाड़ की वेदना
ताल में दर्द
प्रखर उत्तराखंडी आवाज
जिस आवाज से
हडकंप मचता राजसत्ता में
कुशासन की कुर्सी हिलती
उस कंठ से निकलती
माँ बेटियों की संवेदनाएं
प्रेमी दिलों की चंचलता
दिखता मनमोहक उत्तराखंडी छटा का विह्ंगम दृश्य
किस ओर उनकी नजर नहीं जाती
कण कण में होते क्षण क्षण में होते
हर जगह व्याप्त उनकी उपस्थिति
ऊँचे हिवांली काठियों में
रोंतेली घाटियों में
कल कल करती श्वेत गंगा यमुना के प्रवाह में
बिपुल पहाड़ी गाँव में विचरण करती लय
सुरों से सुमन खिलते जवान दिलों में
फिर अठ्लेलियाँ लेता बूढा जीवन
झूम उठती माँ की ममता
हे गढ़ पुरुष उत्तराखंडी शिरमोर
तुझे कोटि कोटि प्रणाम

Poem by बलबीर राणा
१४ सितम्बर २०१२

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढवाळ की धै
नरेन्द्र सिह नेगी
हमारी पछाण
हमारू मान
हमारू सम्मान
हमारी जान
गंगा जन छाळू मन
पनध्येरा जन बगदू प्रेम
फ्योळी जन हैसदू बसंत
हिमाळै जनु चमकदू प्रेम
पाडे पिडा मा भभरान्दी जिकुडे आग

नरेन्द्र सिह नेगी जी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्वे सि दूर एकि खुद क्या होंदी
आज मैन जाणी !
अपड़ा मन अप्वे जब समझे निपै
फिर त्वेतें माणी !!

तू मेरी सदानि हि रै पर मै कभि
तेरु ह्व़े नि पाई!
आज जब तेरा ओणा आस नि रै
अपडु भरोषु नि राई !!

मेरी हर बात तें भलू-भलू बताणु
याद आज फिर आणु !
मेरा हर राग तें बार-बार सुनाणु
अभिबी मै भूली नि पाणु !!

मेरा खातिर दुनियां छोड़ी जाणकि
करीं सों अर करार !
आज फिर मैतेनं याद आणु अपडुनि
विंकू सचु स्यु प्यार .!!

प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित

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बालापन की माया ज्वनी तक राया।
तैरा बगैर कुछ भी याद नी आया।
व हैँसदी मुखडी ऊ सरम्याली आँखी।
अज्यौँ तक भी ह्यै सँग्गी मेथै भरमाँदी.,.........,.2
बालापन की माया..,......

ऊ स्कूल्या क दिन जोँ दिन रव्वाँ दगडै हम।
तरसी गयोँ मैँ सुणणू तेरी चुडयूँकी छम छम।
कभी भरमणोँमा तू मेरा पैजी बजाँदी.,...............
अज्योँ तक भी ह्ये सँग्गी मेथै भरमाँदी...............
बालापन की माया........

ऊँ कौथग्यौँ की याद अज्योँ भी छन संग-संग।
कभी मिल करी ते तंग कभी तिल करी मेँ तंग।
कौथग्योँ की भीडा बीच दुयी आँखी ते खुज्यांदी..
अज्योँ तक भी हे संग्गी मेथै भरमाँदी..............
बालापन की माया........

समलौण्या च तेरी तस्वीर समलौण्य रै गैना।
सौँ करार टुटगैन सब्बी सुपन्या सच नी व्यैना।
तैरी चाँद सी मुखडी आँख्यूं रिटणी राँदी.......
अज्योँ तक भी है संग्गी मेथै भरमांदी...............
बालापन की माया........

लटुली बडी कयैन मैन जू तेथै छा छुट्टी प्यारी।
एक अधूरी कथ्था बणिगे तेरी मेरी य्यारी।
खुद तेरी आँसू मेथै भारी दै जाँदी...............
अज्योँ तक भी है संग्गी मेथै भरमांदी................
बालापन की माया ज्वनी तक राया.....

मनोज सिँह रावत (बौल्या)

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साथ कैकु सदानि नि रैंदु गैल्यों पर याद ऐ जांदी अर एक बक्त बाद याद बि नि ओंदी
यों बातों तें मन राखिक यक सरल कविता लिखना कि कोसिस करी कन छ मितें जरुर
बताया मि जाग्यों रोलु

न मैन तेरा गैल सदनी राण
न त्वेन मेरा गैल सदनी राण
बस रै जाण इ बोल्या बोल
जू त्वे भि याद आण अर मै भि याद आण .

न मैन अंख्यो आंसू रुकी पाण
न त्वेन अंख्यों आंसू रुकी पाण
एक हेका की खुद मा खुदेक
योन कभी त्वे रुलाण अर कभी मै रुलाण

न मेरा मन मा मोळ्यार आण
न तेरा मन मा मोळ्यार आण
एक दूसरा सी दूर -दूर रैकी
त्वेन भि सुखि जाण अर मैन भि सुखि जाण

न मैन कभि येतें रुकी पाण
न त्वेन कभि येतें रुकी पाण
यु बक्त छ कैका रुकी नि रुकुदु
फिर त्वेन भि बिसरी जाण अर मैन भि बिसरी जाण

प्रभात सेमवाल .( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हमर पहाडा कू हेरू रंग चा ,
ठंडी हव्वा ठंडू पाणी हमर संग चा ,
उत्तराखण्ड की खूबसूरती देखी दुनिया दंग चा I
देवी देवतो कू यखी वास चा ,
हमर गढ़वाल की बात ही कुछ खास चा I
उत्तराखण्ड भारत कू एक खूबसूरत अंग चा ,
हमर पहाडा कू हेरू रंग चा I
ठंडी हव्वा ठंडू पाणी हमर संग चा II
Written By :- दीपू गुसाई

 

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