प्रोफेस्सर शेर सिंह बिष्ट जी यह कविता उनकी किताब भारत माता से लिया गया है!
जय हात
भो यादोक उज्याव जब बै
नौ त्यरै कान पडै
बिद बादै त्यरै नामक
धूप बाती तेरी करै!
छया छवाई कुलंकारी
'हरज्यु' कैला दुड़ा,
दुंगाराका बुड़ा देवा
मंदिर त्यरै देखै!
बैसी छः मासी जब लै
नौताड त्यरै देखै,
चौरगाई का पुछे लै,
आई बाई त्वैल झाडे!
ढाव् णई रेई आंसू!
नौ त्यरै जपै
डुबण नौ मेरी
पार तवील करै!
छतीस रौतान, बतीस पौरुड़ी
संग त्यारै हिटनी
सैम गोरिया देवा
नौ त्यार जपनी!
यो छु मेरी गौक पूजी
तयार नाम चडै,
जौ हात, त्वेही खुटौ पड़ी
दुःख सब हरै