Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 359580 times)

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
 सौज सौज मा मजाक मसखरी
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 

                              बीसीसीआइ एक प्रेरणादायी  शिक्षा संस्थान

                       चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

  अजकाल मीडिया बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल  ऑफ इंडिया ( बीसीसीआई)  पैथर इन पड्यूँ च जन बुल्याँ भूखमरी टैम पर कुत्ता कै पुरण खलुड़ो खाल खिंचणु ह्वावु। अर बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन की कुरशी पैथर बि लथा लेक पड्याँ छन।
पण म्यार मनण च बल बीसीसीआई भारतीयों बान एक प्रेरणादायक एज्युकेसन सेंटर च। सब्युं तैं बीसीसीआई से कुछ ना कुछ सिखण चयेंद।
एकाधिकार वाद - बीसीसीआई एकाधिकारवाद , एकछत्रवाद, अधिनायकवाद को असली धड्यो च। प्रतियोग्युं याने कंपीटीटरूं भातियाबंद कराण, प्रतियोगी की दुकान बंद कराण सिखण ह्वावो तो बीसीसीआई का वो कुकर्म याद कारो जब बीसीसीआईन जी टीवी प्रायोजित इन्डियन क्रिकेट लीग बंद करायी। कै हिसाब से बीसीसीआईन कं वर्तमान क्रिकेटरों जू आईसीएल माँ  गेन ऊं पर बैन लगाइ अर क्रिकेट लीजेंड कपिल देव अर मदन लाल सरीखा पुरण खिलाड्यु तैं बीसीसीआई समणि  नाक रगड्णो मजबूर कार।
क्रिकेट ना शतरंज की चाल सिखाण वाळ संस्था - राजनैतिक शतरंजी चाल, पैत्राबाजी , चालबाजी , शत्रुसंघार   को व्यवहारिक ज्ञान सिखण ह्वावो तो बीसीसीआई का कर्मो से ही सिखण चयेंद। चालबाजी सिखाण  मा बीसीसीआई एक कामयाब शिक्षा संस्थान च।
खांद दें एक - अबि द्याख नी च तुमन!  जब बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को जंवै अर चेन्नई  किंग को मालिक गुरुनाथ मयप्पन बेटिंग, जुवा, स्पॉट फिक्सिंग मा पुलिस कस्टडी मा बंद ह्वे तो  सत्य का महान पुजारी अरुण जेटली कन  चुप हुयां छन अर उना केन्द्रीय मंत्री पवन बंसल को भांणजा तैं जेल ह्वै तो यही अरुण जेटली प्रधन मंत्री से  इस्तीफा मांगणा छयो  अर राज्य सभा की कार्यवाही नी चलण दीणों छौ। अर आईपीऐल को अध्यक्ष राजीव शुक्ल पर तो मनमोहनी मौन ब्रत  को रोग लग गे। सबि अंगुळी खांद दै एक ह्वे जान्दन को व्यवहारिक  प्रशिक्षण लीण ह्वावो तो बीसीसीआई की बड़ी बड़ी तोप  जन कि शरद पंवार , नरेंद्र मोदी , अनुराग ठाकुर, ज्योतिराय सिंधिया , सी पी ठाकुर, फारुख अब्दुला की चुप्पी से सिखण चयेंद।
क्रिकेट तैं अपणी जागीर - कै बि संस्था तैं कन अपण जागीर समझण चयांद को शिक्षण -प्रशिक्षण का वास्ता बीसीसीआई का अधिकार्युं कु-कारनामों से बढिया उदाहरण तुम तैं कखि नि मीलल।
खुलेआम झूट बुलण अर बुलाणो एकमेव संस्थान - इथगा सालों से गुरुनाथ मयप्पन ही चेन्नई सुपर किंग को मालिक की हैसियत से काम करणु छौ पण जनि गुरुनाथ मयप्पन क्रिकेट बेटिंग सट्टा मा पकड्याइ बीसीसीआई को अद्यक्ष एन श्रीनिवासन बेशर्मी,बेहहयाई से झूट बोल्दो कि गुरुनाथ मयप्प्न त चेन्नई सुपर किंग को चपड़ासि बि नि छौ। बेशरम , बेहहयाई, बिलंच, बदजात, बोल्डली,बेपरवाही , बेभाव, बेतमीजी , बेधडक से झूट बुलण सिखण ह्वावो तो बीसीसीआई का वर्तमान अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से सीखो।
चाटुकारिता आर चमचागिरी - चाटुकारिता आर चमचागिरी सिखण ह्वावो तो ब्याळौ   खिलाड़ी अर आजौ कमेन्टटेटर  रवि शास्त्री से सीखो कि  चाहे ललित मोदी राजा ह्वावो या श्रीनिवासन चीफ ह्वावो चमचागिरी से कुर्सी हथियावो।
गुलाम बल्द - क्रिकेटरों अर खिलाड़ियों तैं कन कुठर्युं बल्द, नकेल लग्युं बल्द जन गुलाम बणाये जांद यु सिखण ह्वावो तो बीसीसीआई का इतिहास टटोळो.
जरा  इन्फोर्समेंट अर फोरें मनी रेगुलेटरी विभाग का ढकयिं ,  लुकाइं  फाइलों मा आईपीएल का फ़्रैञ्चाइजूं क इन्वेस्टमेंट का ब्यौरा त द्याखो त सै फिर तुम बी सीखि जैल्या कि कन हिसाब किताब मा आळी -जाळी  करे जयांदी।
उन त बीसीसीआई क से हौर बि सिखणो  च पण आजौ कुण इथगा ही ....
         
 

Copyright @ Bhishma Kukreti  28/05/2013           
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
 सौज सौज मा मजाक मसखरी
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 

                                     "देख तमाशा आइपीएल का" सीरियलौ हजार एपिसोड
   
                     चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )


 ब्याळि टीवी सीरियलूँ  एकमेव राणि कविता कपूर  तैं मिलणों वींक ऑफिस ग्यों।
मि - कविता कपूर जी ! आपन बुलाइ?
कविता कपूर -उ क्या च! मि इन्डियन प्रीमियर लीग पर आधारित हजार एपिसोडौ  सीरियल बणाणु छौं
मि -हजार एपिसोड?
कविता कपूर -हाँ! उन त टीवी चैनेल त द्वी हजार एपिसोड की बात करणा छा।
मि -पण इथगा एपिसोडों कुण कथा?
कविता कपूर -कनो म्यार सीरीयलों मा क्वी कथा हूंदि बि च ? इख त आईपीएल तो कथाओं महासागर च।
मि -हां पण ..
कविता कपूर -आईपीएल की शुरुवात से लेकि अज्युं तलक हजारों रोमांचकारी कथा भरीं छन
मि -पण एक आधार बि ...
कविता कपूर -हाँ यो तो माणिल्या कि जन महाभारत का लाख डेढ़ लाख श्लोकों मा हजारों रोमांचक कथा छन ऊनि आईपीएल मा बि असलियतवादी कथा छुपीं छन .
मि -हाँ पण अमूनन .हॆरोइज्म अर विलियनिज्म ..
कविता कपूर -देखो! आईपीएल मा  जु बि पैल हीरो या नायक की भूमिका निभांदो वो अंत मा खलनायक घोषित ह्वे जांदो अब चाहे ललित मोदी ह्वावो, डालमिया ह्वावो, श्रीनिवासन ह्वावो, गुरुनाथ मयप्पन ह्वावो यूंक कथाओं मा हीरो से खलनायक बणणो पूरा तत्व छन अर कथा को जाळ बटणो पूरा अवसर छन।
मि -हां बेइमानी, बदजात, बदमाशी,बदखोरी, बड़बोलापन,बेरहमी से शत्रु विणास, बहसीपन, बेलगाम अंदाज मा एक हैंको शाशन उजाड़ण ,बदला, बदचलनी, बदमस्ती, बदनीयती, बददियानती,बदगुमानी,बदकारी,बदगोई,बदसूरत काम ,बनावटी हंसी अर बनावटी रुण,  बहकाना, बंदी (कैदी ) -बंदवान (जेलर ), चोरी कौरिक विदेश भागण जब सब कुछ च।
कविता कपूर - श्रृंगार रस का वास्ता आईपीएल कथा मा चीयर गर्ल्स छन , ऊंका जंघड़ छन , फिर बुक्की या सटोरियों द्वारा बिगडैल खिलाडियो , शातिर अधिकार्युं कुण लड़की पौंछाण, मैच का बाद आमोद प्रमोद का इंतजाम, स्यूं कपड़ो मा कैबरे से लेकि पूरा नंगा कैबरे सब कुछ च आईपीएल की कथा मा     
मि -हाँ अब पता चौल कि आप किलै सीरियल  क्वीन छंवाँ
कविता कपूर - अर वीर रस का वास्ता तो भौत सा विषय छन
मि -जन कि?
कविता कपूर -जन कि कैं तरां से एक धनी मनिख क्रिकेट क्लब को सदस्य बणदो अर फिर कैं तिकड़म से बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल को सदस्य अर अधिकारी बणद या भूतपूर्व क्रिकेट खिलाड़ी कौं नौटंकी से क्रिकेट पर झपटा मारदन, कन मैच फ़िक्षिंग केस मा पकड़े जाणों बाद खिलाड़ी कोर्ट से छुटदन  आदि सब वीर रसपूर्ण कथा छन। फिर कन आईपीएल फ्रैंचाइजी गलत तरां से, बेईमानी से निवेश करदन अर फिर कै तरां से नियमों से वीरतापूर्वक बचदन। यूँ सब कथाओं मा रोमांच , साहस, दुस्साहस , सहनशक्ति ओज,ऊर्जा, चपलता जन भाव छन जो वीर रस लाणों बान कामयाब नुक्सा  छन
मि -हाँ मानण पोड़ल कि आईपीएल मा वीर रस की कमी नी च
कविता कपूर -फिर करुण रस का वास्ता श्रीसंत को रुण , चीयर गर्ल्स को दोहन जन भौत सि बात छन जो हम अपण सोप ओपेरा मा डाळि द्योला। फिर हर एपिसोड मा खेलो मा ठगी से परेसान, हतप्रभ  जनता का आंसू बि दिखौला
मि -हाँ अर आश्चर्य रस का वास्ता?
कविता कपूर -इखमा  क्या च ? मैच फिक्सिंग , स्पॉट फिक्सिंग , क्रिकेट अधिकार्युं द्वारा एक हैंकाक पीठ पर छुर्रा आदि मा आश्चर्य दिखाए जालो
मि - हास्य रस का वास्ता ?
कविता कपूर -उन बी असलियत माँ नेताओं अर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का बयानों मा हंसी बी च , बचकानापन तो यांसे हंसी पैदा करे जालो
मि -क्रोध को क्या ह्वालो?
कविता कपूर - एक उदाहरण च -क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का एक सदस्य जब दुसरो पीठ पर छुर्रा भोंकल तो अफिक क्रोध रस  उत्पति होलि। फिर कै ना कै तरां से आम जनता को क्रोध बि बथौला 
मि -हाँ। अर घृणा
कविता कपूर -हरेक एपिसोड मा अंत मा जनता कुकर्मी क्रिकेट अधिकारी, लालची क्रिकेटर तैं जुत्यालि, बदमाश क्रिकेट अधिकारीको मुख काळु कारलि अर वूं पर गू-मूत  लपोड़लि   
मि -अरे वाह नया तरीका !
कविता कपूर -अच्छा तो तू काम शुरू कौर ..
मि -जी ! मी भोळ बिटेन ये पर काम शुरू करुल
कविता कपूर -ठीक च
अर मि आज बिटेन आईपीएल सीरियलों बान पटकथा लिखणो तयारी मा लगि ग्यों जैं कथा मा सब कुछ च

Copyright @ Bhishma Kukreti  29/05/2013           
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
 सौज सौज मा मजाक मसखरी
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 
                                प्रधान मंत्री जी ! तुमर बिजणौ समौ कब आलो ?

                       चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
आदरणीय प्रधान मंत्री  जी अर सबि विरोधी नेता लोग  !

समनैन ! तुम सब्युं कुर्सी बचीं रैन , प्रजातंत्र का नाम पर तुमर झड़नाती -पड़नात्युं तैं विरासत मा तुमारि कुर्सी मिल्दि जावु।
उन त मि जाणदो छौं तुम लोगुं चमड़ी गैंडा की खाल से बि जादा बकळि  च जख पर चुनाव हारण से, लगातार वोट प्रतिशत मा गिरावट से कुछ फरक नि पड़दो उख मै सरीखा मनिखौ चिट्ठी से क्या फरक पड़दो।
पण ए  जी ! तुम कर्तव्यवोध हीन, चक्षुहीन, निकजा, निर्मोही,निपट संवेदनहीन, निर्मूलक,निर्व्यापार, ह्वे गे होला पण मैं  सरीखा करोड़ों भारतीयों मा   कर्तव्य वोध, आँख, देश मोह, संवेदना   आत्मा, चेतना, वुद्धि, संज्ञा , आशा अबि बि बचीं च।
इलै मि कर्तव्य वोध से प्रेरित आप सबि लोगुं कुण चिट्ठी भेजणु छौं तुम नी बि बांचिल्या तो भी मि अपण कर्तव्य निभाणम अग्वाड़ी ही रोलु।
     
हे ! कुनेथियो, कुढबियो, कुत्सित कर्मियों ! पता बि च तुम तैं  कि तुमर कुनीत्युं अर कुकाज से  यु क्या होणु च -कुस्वप्न, कसूत (मिसमैनेजमेंट) अर कुहक (भरम ) फैल्युं च , भारत एक कुखेत ह्वे गे।
अब जरा तक लगैक द्याखो जख आज चबूतरों , चौराहों , चौबटो , चराई जगौं , कॉफ़ी हाउसों , बसों , रेलों माँ लोगुं छ्वीं लगण चयेणी छे बल अबि चीनी प्रधान मंत्री भारत ऐ छा तो क्या हमर राजनीतिग्य , प्रशासनिक अधिकारी, उद्योगपति इन जुगत भिड़ाला कि चीन से आयात अर चीन कुणि निर्यात का बीच जो खतरनाक गहरी-चौड़ी  खाइ (डिस बैलेंस ) पैदा ह्वे ग्यायि अर वीं आर्थिक खाई तैं कनै भरे जावो। पण चुलम बि अर चिलम पींद दै छ्वीं लगणा छन कि चंडेलिया खिलाड़ी तैं पकड़्याण से कथगा नुकसान ह्वे होलु अर क्या चंडेला पुलिस कस्टडी से भैर आणो उपरांत अपण नुकसानौ भरपाई करी साकल कि ना! चिंता भारत अर चीन का मध्य आर्थिक खाई की नि होणि च चर्चा चंडेला पर अटग गे।

हे जंग लग्याँ नेताओं ! तुम तैं खबर बि च कि हमर प्रधान मंत्री जापान जात्रा पर जयाँ छा। प्रधान मंत्री की जापान जात्रा एक जरूरी घटना छे अर हमर व्यापारियों, उत्पादकों तैं सुचण चयेणु छौ कि हम जापान से क्या फैदा लिवां कि हमर जो हजारों फैक्ट्री बंद ह्वे गेन वूं फैक्टर्यूं तैं कनै दुबार शुरू करे जावो पण आज भारतीय इथगा पलायनवादी ह्वे गे कि जख वै तैं वस्तु निर्माण (प्रोडक्सन ) पर बहस करण चयाणो छौ वो अपण चौक मा चिंता जताणु च, चरचा करणु च, चकचक करणु च कि आईपीएल मा विदेशी खिलन्देरो संख्या बढाई जाव जाँ से मजा जादा ह्वे जावो।
 अबि सि छतीसगढ़ मा मावोवादियोंन कथगा लोगुं निर्मम हत्या कार। आज जब कि चर्चा , छ्वीं, बहस होण चयाणो छौ कि मावोवादी आतंकवाद तैं कनै रुके जावो उख हम भारतवासी बहस , चर्चा , छुयुं माँ व्यस्त छंवा कि बीसीसीअई को अध्यक्ष श्रीनिवासन की मोर्चाबंदी तैं कनकै रोके जाव।
हे महामहिमो ! मौर्य शासन को अवसान कुशाण राज को खतम हूण, गुप्तवंश को खात्मा, मुहमद तुगलक को निर्बीजिकरण, मुगल सल्तनत को अस्ताचल को जाण, गढवाल से पंवार वंश को खतम हूण, कुमाओं से चंद वंश को चंपत हूण मा कुछ ख़ास चरित्र अर लक्षण इकसनि छा। जब भी उच्च पदासीन लोग कुर्सी लोभी , भाई भतीजावाद का समर्थक , स्वार्थी , जनता से दूर, भ्रष्ट , निर्लज , आचार -विचार हीन, संवेदन हीन , पाळिबाज (गुटबाज), व्यसनी , अमानत माँ खयानत तै अडसारो दीण वाळ, बेइमान , स्वेच्छाचारी , गुंदकीखोर, बदखोर ह्वे जावन तो तब जनता, छवट-पदाधिकारी, चिंतक, कारीगर समाज, शिक्षक समाज , अडंदेर समाज, पूरो समाज पलायनवादी ह्वे जांद अर यूँका ध्यान मुख्य विषय पण ना गौण विषयों पर  अटकि जांद। अर समाज व जनता के यीं पलायनवादी मानसिकता से देश समाज को नुकसान अवश्यम्भावी च।
आज भारतीय जनता, अडंदेर   अर चिन्तक पलायनवादी ह्वे गेन अर मुख्य विषयों छोड़िक गौण विषयों पर झकमारी करण, समय बरबाद करण , मुख्य कामौ मुद्दा से भटकण  गीजि गेन  अर हे माहामहिमो तुम अबि बि गहरी नींद मा छंवाँ।
हे नेताओं ! क्या अबि बि तुमर बिजणो समौ नि आयि ?   

 
Copyright @ Bhishma Kukreti  30/05/2013           
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

Bhishma Kukreti

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    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 

                                     उत्तराखंड कु  विकास से अक्षर ज्ञान

                          चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

क - कैको विकास ? क्यांको, कैकुण विकास? कखौ विकास?
ख पैल लखनऊ मा अर अब देहरादून माँ खूब खड़कु -दड़कु /खड़को -दड़को हौर जगा खारु-खरपट
ग-गुदखैऋ (इर्ष्या ) को विकास
घ- ग्यूं बि खत्याणा छन अर घाघरो बि उठ्युं च।
च -चकडैत चोर चकचुन्दरों जन जनता तैं चौतरफी चकच्यौणा त छैं छन
छ -भौतुन छंछोळ (भेद लेना ) पण यु विकास कना हरच धौं!
ज- इलाहाबाद बिटेन जंक जोड़ से विकास तैं जनक्याणो बुलायाँ त छन!
झ- देखिक त लगणु च क्वी झझकू (प्रेतवाधा ) लगी गे। दिल्लि बिटेन झाड़ ताड़ वाळ बुलायुं त छें च धौं!
ट -टंगट्यपाळि (चालु काम ) तैं सैत विकास बुलदन तबि त स्यु विकास टुटगाँ /टोटकु पड्यु च।
ठ -ठग्गू न ठग अर जनता मा ठमसाट (असंतोष ). ठिका अर ठेकेदारी विकासोनुमुख च।
ड -डोखरौं (खेत ) मा सट्यूं जगा मळसु  (घास) फुळणु च। धरम करम कि डंडलि सजीं च। डाम  डामणा छन।
ढ -ढंट ढंटणा छन। नेता लोग ढंड करंदेर ह्वे गेन।
त -लोग तरसणा छन अर अधिकारि तस्मैं  (खीर ) घटकणा छन।
थ - विकास का अस्वासन अब थंवार (दिलासा ) नि दींदन उल्टां थिनकै(रुलाना) दींदन।
द - विकास माने द्वाळेण (अटकना ,उलझना ,  विलम्ब  होना )
ध -ध्वकादारि मा छौसठ साल बीति गेन अगनै बि बीति जाला।
न -विकासौ नक्क -छक्क छ क्या च ?
प - परथारि (उधार ) की तकनीक से बि विकास हूंद?
फ -फ्युंद्यानाथुं क मकान देखिक त लगणु च कुछ त ह्वाइ च।
ब- बांज पुंगड़ देखिक समजि ल्यावो क्या ह्वे ह्वालो
भ - भत्याभंग त ह्वाइ छैं च
म - घुतडु  बुबा जीक मन्यौडर अब नि आंदन . इंटरनेट से पैसा ट्रांसफर ह्वे जांदन।
य -यख क्या च शहर जौंला
र -अधिकारी अर नेता हम तैं रिंगांणा रौंदन।
ल - ब्यलो  पावर्टी लाइन का कार्ड  लीण वाळु  लंगत्यार तो द्याखो।
व- विकास अब विकोड़णु  (उपहास के लिए मुंह विचकाना) रौंद   .
स - अब हम वकास का सस्यौणम (लालच ) मा नि आंदा।
ह -हथजुडै च कि अब विकास कि छ्वीं नि लगैयाँ। भौत सुणि याल भौत देखि आल। 



 
 
         

Copyright @ Bhishma Kukreti  31/05/2013           
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                                     अतिथि तुम कब जाओगे?
 
                          चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

  अतिथियों ! ह्याँ बस कारो।  साल छै मैना कुण तुम अपण हवा पाणि बदलणो  ऐ छ्या अर तुमन  त इखाक ही  हवा पाणि बदली दे अर जाणों नाम इ नि लीणा छंवां। अब  दुन्या भराs लोग तुम तैं घर मालिक अर हम तैं पौण समजणा छन।
  हे अपसंस्कृति जनमाण वळि अतिथि ! अंग्रेजुं दगड तू  ऐ छे हमन समज एकाद सालम तु चलि जैलि पण   हम तै क्या पता छौ  कि तू   हमर खाण -पीणो - सीणो  -द्यो दिवता पुजणो, बुलणो ढंग, भाषा , लारा पैरणो,अदब दीणो रिवाज अदि जगा बैठी गे अर हमर अपणि संस्कृति जनमाण वळि ध्याणि कुज्याण कखि कचरा या गूवक ढेर मा बैठीं च  धौं। अर हम तैं पता   बि नी कि वा बचीं बि च कि ना अर बचीं च त कैं हाल मा च !   त्वै तैं त हमन रखैल जन द्वी चार दिनों जगा दे छे अर तू त घरवळि  हि बौणि गे।
 
  अब जन कि होंद इ च बल ग्युं दगड़ घूण अर दाळु दगड़ टेर बि ऐ अंग्रेजुं प्राशासनौ  दगड  लाल फीता  बि आयि। प्रशासन त अंग्रेजुं दगड़ सटगि ग्यायि अर हे लालफीताशाही नामौ पौण  तीन त इखि भारतम अड्डा इ नि जमै बलकणम अपुण मकड़जाळ ग्राम प्रधानो अर पटवार्युं बस्तौं तक फ़ैलै याल अर हमम ए लालफीताशाही मकड़जाळ तुड़णो क्वी तरीका नी च। हे  लालफीताशाही ! त्यरो मकड़जाळ तोड़णो बान हम रोज संविधान या बाइ लौजों (उप नियमों ) मा बदलाव करणा रौंदा पण ऊल्टा यु नयो नियम लालफीताशाही को नयो मकड़जाळ पैदा करी दींदो। अब त भैर देसाक विद्वान् बि मजाक करदन बल इंग्लिश ब्रौउट रेड टेपिज्म ऐंड इंडियन्स परफेक्टेड इट। पौण त द्वी तीन दिनों होंद तू त इख तीन सौ साल से हमर छत्ति मा हमर ही जमा कर्यां  पत्थर पिसणि छे। 

हे भ्रष्टाचार नामौ अतिथि ! ऐ त तू गेस्ट आर्टिस्ट तरां ऐ छौ पण अब त सरा फिल्मों हरेक सीन मा तू ही तू छायूँ छे। फिलम मा बिचारा हौर क्वी कलाकार हि नि दिखेणु च। अंग्रेजुं जमन मा हम भारतीयोन बि स्वाच कि जब ब्रिटिश लोग भारत तैं लुटणा इ छन त हम बि भारत तै लूटी लींदा अर तब हमन थ्वड़ा देरौ कुण त्वै भ्रस्टाचार तै गेस्ट अपीयरेंस का वास्ता बुलै छौ।  अर अब यी हाल छन कि गेस्टन (मेहमानन ) सरा कूड़ पर कब्जा करी आल अर होस्ट (घौरवाळ ) मेमानौ चाकरी बजाणु च।


हे  मेहमानों !  अबि भारत छोड़ो हमन कै  दिन तुमारो मुख पर म्वास ना गू -मूत लपोड़ि दे तो फिर हम फर मेमानो बेज्जती करणों अभियोग नि लगैन हाँ !
हे पौणो ! अबि बि बगत च सीधी तरां से जावो निथर कै दिन हमन तुम तै खुले आम जुत्याण शुरू करी दे तो हम फर तुम तुम तै जूत्याणो  भगार नि लगैन हाँ !
हे मेहमानों ! कै दिन गुस्सा मा हमन तुम तैं नंगी कौरिक रस्तों मा घसीटण शुरू करी दे तो हम पर अमानवीयता का अपराध नि लगैन  हाँ!
हे अतिथियों ! अबि बि चेति जावो कखि हमन तुम तैं बीच चौराहों पर फांसी दीण शुरू करी दे तो हम फर निर्दयी होणो लांछन नि लगैन  हाँ!
हे अतिथियों ! अब जावो ! निथर कै दिन हमन ल्वाड़ोन तुमारि  कुलि फ़ोड़ी दे तो फिर हम पर दोष नि लगैन हाँ ।
हे अतिथियों जावो ! अबि बि बगत च। कै दिन हमन थमाळि  कुलाडि  उठाइ दे तो हम फर जघन्य हत्याओं अपराध नि लगैन हाँ?




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 सौज सौज मा मजाक मसखरी
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 

                              गावास्कर जी ! कपिल जी ! कुछ  तो ब्वालो  !

                      चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

  जब गाँ-गौळम (समाज ) क्वी सामजिक बबंडर खड़ो ह्वे जावो तो दान मनिख , सयाणा लोग, पूज्य लोग टिप्पणी दींदन अर राय बि दींदन बस लोभी अर मंगत्या -भिकारी इ इ चुप रौंदन।
 जब समाज मा कुछ कारणों से शरमनाक घटना घटि जावो तो लोगुं तैं ढाढस दीणो बान पूज्य , धीर , सांसदार (साहसी) लोग ही अगनै आंदन अर लोगुं तैं  अग्वाड़ी बढ़नो बान उत्साहित करदन।  बस  अपमार्गी , अपयश्क/अपजसी  , टिड्वा/अपमुखी, अफखवा,अपार्जित ,कायर ,अपरती -स्वार्थी लोग ही गावास्कर जी, कपिल जी ,अनिल कुंबले आद्युं जन वर्ताव करदन अर ख़ास बगत पर मुख पर म्वाळ लगांदन।
 आज आइपीऐल अर भारतीय  क्रिकेट संसार मा जुवा , जनता से -दर्शकों से धोकाधड़ी, एकाधिकार को खुलेआम नंगा नाच होणु च तो हमारा क्रिकेट भगवान सुनील गावास्कर , कपिल देव, अनिल कुंबले अर हौर छ्वट -म्वट दिबतौं से हम उम्मीद करणा छया कि हौर कुछ न हम भक्तो मा इन ही बोलि दींदा कि जू भि होणु च वो ठीक नी होणु च।

                दिवतौं जन पूज्य सुनील गावास्कर की कमेट्री मा एक सफाईगोइ  होंद , एक कडुवा सच बि रौंद, दगड़ मा अग्वाडि बाटो बि रौंद पण गावास्कर जी ! जब हम सवा सौ करोड़ लोगुं तैं ये क्रिकेट-प्रपंच , -ठगी को क्रिकेट   ,आडम्बर युक्त क्रिकेट, क्रिकेट प्रध्वंसी खेल, का बारा मा आप सरीखा भगवान का द्वी बोल की जरूरत छे तो आप बीसीसीआई (क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ) का खरीदा गुलाम , बीसीसीआई का बंधवा नौकर, बीसीसीआई का सेवक जन वर्ताव करणा छंवा? कख ग्यायि तुमारो वो  साहस जब आप दुनिया का खतरनाक से खतरनाक गेंदबाजों की गिंदी खिल्दा छय?हम भारतवास्यूंन तुमर अदम्य साहस, तागत , सबलता को बान तुम तैं दिबत़ा बणाइ, दिल मा जगा दे पण तुम तो बेदम , निरीह , दमखम हीन, कायर छंवां , भीरु छंवा, डरपोक छंवा जो बीसीसीआई की सात आठ करोड़ सालाना  आय/इनकम का लोभ का कारण  एकाध वाक्य बि नि बोल सकणा छंवां। क्या तुम तैं डौर च कि कखि तुमन बीसीसीआई का विरुद्ध एक शब्द बि ब्वाल तो तुमारी इनकम ख़तम ह्वे जाली ? क्या एक आइकॉन -लीडर का असली चरित्र यो ही होंद  ? इतिहास तुम तै बैटिंग का भगवान जरूर ब्वालल पण सुनील जी दगड़ मा कायर सुनील गावास्कर , डरपोक सुनील गावास्कर, भीरु सुनील गावास्कर, साहसहीन सुनील गावास्कर को तगमा भी अवश्य द्यालो।

    अहा इनि हमर एक हौर क्रिकेट पूज्य छन श्री कपिल देव जी। आज तलक भारतीयों दिल मा कपिल देव जी की छवि क्या छे ? कि दृढ कपिल देव, मानसिक तौर पर सबल कपिल देव,पराक्रमी कपिल देव,दुस्साहसी  कपिल देव , हिकमती  कपिल देव , निर्भीक कपिल देव, निडर कपिल देव। पण जब बारि आयि की कपिल देव  बीसीसीआई (क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ) की   कमजोर्युं बारा मा जादा ना सै इथगा तो ब्वालन कि जो भि होणु च वो गलत होणु च। पण नहीं ! कपिल देव तैं बि  इतिहास दम खिंचवा (खास वक्त चुप रहना )कपिल देव, दम खुश्की वळ कपिल देव (किसी कारण चुप रहना ) , दम चोर कपिल देव(जान बुझ कर चुप रहना ), दबैल -दब्बू कपिल देव, दमहीन -खमहीन कपिल देव ही ब्वालल।
 अहा शेरो के शेर नवजोत  सिद्धू ! वाह मेरे मिट्टी  शेर ! कमेंट्री दींद दै त नवजोत सिद्धू महान वीर पुरुष गुरु गोविन्द सिंग जीका उधहरण कि ... बाज उड़ाऊं .. दींदा छया . पण सिद्धू जी !  क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का कुकर्मी कारनामाओं पर तुमर जिबळ पर म्वाळ किलै लग? हे बडबोले मिट्टी के शेर ! कख हर्ची तुमारि वा शेरदिल मर्दानगी ? हे लुत पुत माटो बाग़ !  बीसीसीआई (क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ) मा बैठ्याँ धूर्तों , चकडैतों , दगाबाजो बारा मा अब किलै ना  सिद्धू वाणी सुणाणा छंवा ? हे किदालु समान शेर ! तुम तै बि इतिहास आडम्बरी शेर नवजोत सिद्धू, कागज  का बाघ नवजोत सिद्धू , शेर की खाल मा  कायर नवजोत सिंग सिद्धू ही ब्वालल। तुम से तो भलो हमारो बिशन बेदी पा जी छन जौन खुले आम ब्वाल बल भारतीय क्रिकेट मा जो भि होणु च वो ठीक नी च होणु च. महान वीर पुरुष गुरु गोविन्द सिंग का असली चेला तो केवल बिशन  सिंग बेदी ही छन।
फिर हौर दिबतौं बारा मा क्या बुलण जब शीर्षस्थ  क्रिकेट खिलाड़ी  ही किदलु जन डरपोक , डराहुक , भीरतापूर्ण , भयपूर्ण , कायरपूर्ण, बुजदिलपूर्ण ,  व्यवहार कारल तो बकै रवि शास्त्री ,संजय मांजरेकर , शिव रामा कृष्णन, अरुण लाल जन क्रिकेटरों कि  क्या बिसात   कि वो क्रिकेट आकाओं का विरुद्ध एक शब्द बि ब्वालन।
जब समाज का सयाणा लोभी , लालchi  , लिप्सायुक्त , डरपोक , चापलूस , चाकरविरती का ह्वे जावन तो समझी ल्यावो समाज का दुर्दिन चलणा छन।

       
Copyright @ Bhishma Kukreti  2/06/2013           
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

Bhishma Kukreti

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 गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
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    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 

                                   दबंग पत्रकार गरूणव गोस्वामी  दिक किलै च ?

                         बोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

मि -अरे अरे समय ऑफ इंडिया न्यूज चैनेल का धाकड़, दबंग, प्रभावशाली संपादक क्या बात? आज तुम इथगा गुस्सा अर दगड़ मा तुमारो मुखौ रंगत, तेज किलै बिगड्यु च भै? .
गरूणव गोस्वामी (गुस्सा मा ) - साला समझद क्या छन मै तैं? मीन अपणो अकेला का बल पर कन कन नेताओं तैं राज-गद्दी से उतार, कत्युं की गद्दी पर आंच नि आणि दे ।
मि -आपन नेताओं तैं ग्द्दीविहीन करि यी त ठीक च पर गद्दी पर आंच नि आण दे ...?
गरूणव गोस्वामी (मुख बिटेन रोस मा फ्यूण बगद ) - हां देखो ! मेरो पत्रकारिता को आतंक! सुरेश कलमाड़ी का कौमेन वेल्थ घोटाला की पोल खुलण से लेकि जब तलक कलमाड़ीन इस्तीफा नि दे तब तलक मीन अपण चैनेल से कलमाड़ी विरुद्ध  युद्ध छेड्यु राख . रात दिन केवल कलमाड़ी अर कलमाड़ी का विरोधी समाचार। म्यार बुलडोजरी  दमद्याट --भंगऴयाट -  घमघ्याट से दुसर चैनलों नींद हर्ची गे छे अर सब चैनेल सुरेश कलमाड़ी पैथर इन पोड़ी गे छा जन कुत्ता हडगी पैथर पड़दन। अर जब तलक कलमाड़ी जेल नि गे मीन अपण बुलडोजरी समाचार विश्लेष्ण बंद नि कार।
मि -हां या बात त स्विट्जर लैंड का बैंक मालिकों तै बि पता चल गे कि हिन्दुस्तान मा बि खोजी पत्रकारिता होंदी च।
गरूणव गोस्वामी (फ्यूण तैं चाटद -चाटद ) -देखो ना ! कुछ टीवी समाचार चैनलोंन प्रूफ का साथ समाचार दिखायि कि कै तरां से आज का उद्योगपति काळु धन विदेशी बैंको मा जमा करणा छन। दिखायो छौ कि ना? ब्वालो ब्वालो?
मि -हाँ ! अचरज च कि इथगा बड़ो अर गम्भीर समाचार केवल हेडलाइन तक ही  सीमित रै गे।
गरूणव गोस्वामी -यो मेरो ही कमाल  च, मेरो ही धमाल च कि इथगा गम्भीर समाचार फुस ह्वे ग्यायि।
मि -तुमारो कारण इथगा बड़ो चटकारोदार समाचार फुस ह्वे ग्याइ?
गरूणव गोस्वामी (लाल आँख करदा करदा ) -हाँ मीन अपणो चैनेल मा ये समाचार अर विश्लेष्ण तै जगा ही नि दे अर फिर मेरो दबदबा से यो समाचार समाचार हि नि बौण।
मि -हाँ ! ऊ तो ठीक च कि तुमरो समाचार संस्था दशाब्दियों साल पुराणो च अर तुम जै समाचार तै समाचार बणाण चैल्या वो ही समाचार बौंणल। पण तुम आज इथगा गुस्सा माँ दिक (परेशान ) किलै छंवाँ?
गरूणव गोस्वामी (मुख बिटेन फिर से लाळ चूंद  चूंद) -साला ये समझता क्या है अपने आप को? ये तै पता नी च कि ए. राजा,  पवन बंसल, अश्विनी कुमार सरीखा मंत्रियूं  की छूट्टी बि दबंग पत्रकारिता से ही ह्वाइ 
मि -हाँ पण
गरूणव गोस्वामी (मुख से फ्यूणो धरड़ छुटदा , छुटदा )  -ये तैं नि पता की जिस जमीन पर मै पैर रखता हूँ भूचाल वहां आते हैं और जिस समाचार पर हाथ रखता हूँ,  तहलका वंही मच जाता है।
मि -हाँ तू अब समाचार माध्यमों भगवान ह्वे गे पण गति
गरूणव गोस्वामी (पागलपन मा अपण थूक अपण मुख पर लपुड़द, लपुड़द ) -ये तैं नि पता कि मि कै प्रकारों पत्रकार छौं मि ही समाचार पैदा करदार छौं ,मै ही समाचारों माँ बहाव लांदु , मै ही समाचारों मा तेजी -बबराट -तीब्रता , प्रबलता , प्रचंडता , उग्रता लांदु अर मै ही संवेदशील समाचारों पर लगाम लगांदु , इन समाचारों पर रोक लगांदु . मि गरूणव गोस्वामी ही समाचारों सृष्ठि कर्ता छौं , समाचारों पुष्ठि कर्ता छौं अर मि गरूणव गोस्वामी ही समाचारों मृत्यु बि करदु ,समाचारों ध्वंसक बि मी ही छौं
मि - तू अर समाचारों ध्वंसक   ?
गरूणव गोस्वामी-हाँ द्याख नि ! मेरो दबदबा, मेरो रौब , मेरो आतंक ? म्यार समाचार माध्यमों पर प्रभाव ?  मीन कोलगेट घोटाला मा फंस्यां दसियों प्रसिद्ध उद्योगपतियूं समाचार नि दिखायि तो कै बि  टीवी चैनेलन यो समाचार नि दिखाइ इ उद्योगपति बची गेन। मीन महाराष्ट्र का मंत्री अजित पंवार पर लग्याँ लांछनो , भगार पर ध्यान नि दे तो हौर समाचार चैनेलोन बि अजित पंवार पर लग्याँ भ्रष्टाचार का अभियोगों पर ध्यान नि दे तो अजित पंवार दुबर मंत्री बौणी गे . मै गरूणव गोस्वामी किंग  बि छौं , किंग पोषक बि छौं अर मै ही किंग डिस्ट्रॉयटर -डैमेजर बि छौं 
मि -पण अब इथगा निराश , निराश्रयी , लाचार, कुंठित , मजबूर किलै दिख्याणि छे ? तेरो गुस्सा मा तेरी लाचारी , कुंठा , बेबसी , बेसब्री झळकणु च।
गरूणव गोस्वामी-अरे बीसीसीआइ का अध्य्क्ष एन.श्रीनिवासनन ब्याळि इस्तीफा नि दे 
मि -अरे क्रिकेट कंट्रोलौ अध्य्क्ष को इस्तीफा नि दीण से  पत्रकारिता का तताकथित ब्रह्मा , विष्णु अर शिव गरूणव गोस्वामी पर क्या फरक?
गरूणव गोस्वामी (पागलपन मा अपण थूक चटद,  चटद ) - अरे मी चांदो छौ कि बीसीसीआइ का अध्य्क्ष एन.श्रीनिवासनन इस्तीफा द्यावो। अर इलै इ म्यरो चैनेल समय ऑफ इंडिया मा पिछ्ला दस दिन से एकी समाचार अर विवेचना चलणु छौ कि बीसीसीआइ का अध्य्क्ष एन.श्रीनिवासनन इस्तीफा दयावो अर इथगा हो हल्ला,  बबंडर , बखेड़ा करणों बाद बि अभिमानी , घमंडी एन.श्रीनिवासनन इस्तीफा नि दे। मेरे चाहने पर भी श्रीनिवासन ने  इस्तीफा नही दिया ! आज तक नि ह्वाइ कि मि चौं (चाहत ) कि फलण नेता इस्तीफा द्यावो तो वू इस्तीफा नि द्यावो। द्याख नि तुमन ! मीन गडकरी को क्या बुरा हाल कार!
मि -सुण भै  घमंडी टीवी समाचार सम्पादक ! तुम समाचार माध्यम का पत्रकार बि ना !  अब तुम पत्रकार अफु तैं भारत का ब्रह्मा , विष्णु अर शिव समजण बिसे गेवां अर अफु तैं किंग जनरेटर, किंग मेकर , किंग किल्लर मानण मिसे गेवां। तो सुणों ! यदि लोगुं मध्य आज
राजनीतिग्योन अपणि  विश्वसनीयता खतम करी आल तो वो दिन दूर नी च जब तुमारो घमंड, तुम पत्रकारों गरूर से लोग समाचार माध्यमो पर बि विश्वास करण बंद करी देला! 

 

Copyright @ Bhishma Kukreti  3/06/2013           
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
 सौज सौज मा मजाक मसखरी
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 

                                      चलो 'म्यार दिन' बि मनाये जाव  !

                         चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

 ब्याळि एक जनानि दैनन्दिनी बांचणो मौक़ा मील। एक ख़ास दिन का बारा मा वीं जनानीन इन लिख्युं छौ।
               
                            'म्यार दिन' मनाने का विचार लगता तो अच्छा है।  परन्तु , किन्तु ?

                  आज मीन स्वाच की साल भर मा जथगा बि दिन जनकि 'फादर डे', 'मदर डे', टीचर डे आदि मनाये जांदन सब दिन मेरि ही फजीत होंद।
           
वै दिन 'वुमन डे' छौ त सुबेर सुबेर झाडु -पुत्या लगाण वाळ बाइ आइ बोलि ग्यायि बल आज 'वुमन डे' च त मेड सर्वेंट असोसिएसन की तरफ से छुटि च अर हाँ !  वा बाइ 'वुमन डे' का ऐवज मा एक मैना अतिरिक्त बोनस ली ग्यायि। वै दिन झाडु -पुत्या मीनि लगायि।
वै इ दिन 'वुमन डे' कुण फिर भांड मंजाण वाळ बाइ बि छुटिक  घोषणा सुणै ग्यायि अर बोनस मा एक मैना पगार ली ग्यायि। वै दिन भांड मीनि मंजैन।
भुजि बिचण  वाळ बाइ भुजि त नि लाइ पण इनाम किताब ली ग्यायि। मि तै भुजि खरीदणो बजार अटकण पोड़।
श्याम दें लौडु बुबा बुलण बिसेन आज वुमन डे च कुछ ख़ास भोजन बणण चयेंद अर आफत मेरि ही आयि।

                  वै दिन फादर डे छौ त पिताजि 'फादर डे' मनाणो अपण धर्मपत्नी समेत म्यार ड्यार  ऐ गेन बल ब्वार्युं होंद अपण घौरम 'फादर डे'  मनाण मा मजा नि आंद। फिर सरा दिन फादर दे का बान ब्वे बुबा की खिदमत मा लग्युं रौं। श्याम दै द्वी भैजि मय भौज अर बच्चौं लेक ऐ गेन बल जब बुबा जी इख छन तो 'फादर डे' इखि मनाये जावो। अर अदा रात तलक रुस्वड़ मा इ पड्यू रौं।
                    वै दिन मदर डे छौ त ब्वे अपण पतिदेव का साथ ऐ गे कि ब्वार्युं होंद 'मदर डे' अपुण ड़्यारम  मनाणम मजा नि आंद अर श्याम दै भाई -भौज  बि मय बच्चों मदर दे मनाणो  ऐ गेन। मदर डे कुण अदा रात तक किचन मा झिंक्याणु  रौं।

                 चिल्ड्रेन डे का  दिन त अपण  बच्चों फरमाइश पूरी करद करद अदा रात ह्वे जांद।

       टीचर डे कुण पता नि कखन म्यार अर म्यार पतिक टीचरों तै हमर ड्यारो पता मील जांद धौं, फिर बच्चों दस प्रकारौ टीचर बि छन जन कि नॉर्मल टीचर , कोचिंग क्लास टीचर , प्राइवेट टयूसन टीचर अर स्पोर्ट्स अकैडमी टीचर आदि .अर टीचर डे क दिन बि मी इ पित्याणु रौंद।
          वेलेंटाइन डे त आफत ही ह्वे जांद बच्चों फ्रेंडो फ्रेंड बि हमर ही इख वेलेंटाइन डे मनाणो ऐ जांदन। धमा चौकडि वो करदन अर सरा दिन भर किचन मा मि पित्याणु  रौंद।

     तो मीन स्वाच कि छंछरौ (शनिवारौ) दिन अपण दिन याने 'माइ डे' , 'मी डे' याने 'म्यार दिन'  मनाये जावो। मीन परिवार मा घोषणा कार कि छंछरौ कुण मि 'म्यार दिन' मनौल। याने कि उस दिन मै केवल अपने लिए जीउँगी और अपने हिसाब से जीउँगी। आइ शेल लिव ओन माइ ओन ऑन 'माइ डे'.

                खबर सब जगा पौंछि गे। सबसे पैल माs फोन आयि," तू 'माइ  डे' मनाणी छे त हम सब त्यार 'माई डे' मनाण दिखणो आणा छंवाँ, हम द्वी त सुबेर ही ऐ जौंला, दिन मा बच्चा ऐ जाला अर श्याम दै त्यार द्वी भैजि अर बौ बि ऐ जाला"
फिर यूंक ममाकोट बिटेन फोन आयि बल चूँकि बहू  पहली बार 'माइ डे' मना रही है तो हम सब दिन में  ही आ जायेंगे। बहू  खाना अच्छा पकाती  है तो बहू  के हाथ का पकाया खाना खायेंगे।
फिर द्यूराण अर जिठाणि फोन आयि कि वो बि म्यार '  माइ डे' मनाण दिखणो सपरिवार आणा छन।

                इनि ख़ास ख़ास रिश्तेदारों फोन आयि कि सबि सपरिवार वो लोग म्यार 'माइ डे' मनाण दिखणो आणा छन। सब्युं आदेस छौ कि चूंकि मि पाक कला मा सिद्धहस्त छौं त खाणा होटल बिटेन नि आण चयेंद।
मीन 'माइ डे' अफुकुण मनाणो सोचि छौ वो अब दूसरों बान 'माइ डे' मनाण मा बदली गे। यू 'माइ डे' सेलिब्रेसन नि रै गे यु त 'डे फॉर अदर्स ' ह्वे ग्यायि



     




Copyright @ Bhishma Kukreti  4/06/2013           
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 गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
 सौज सौज मा मजाक मसखरी
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 


                                   क्या तुमन आम सूंघि आल कि ना ?

                       चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

               उन म्यार गाँ मा बि द्वी चार डाळ आमु छया अर फिर पितरूं  मेरबानी छे कि हमर रिस्तेदारी वूं गांवुं मा बि छे जख आम खूब हूंदा छा तो जेठ -अषाढ़म  आम खाणो संस्कृति वळ मनिख छौ।
इख मुंबई मा अप्रैल मा आमुं राजा अलफांसो या हापुस को राज रौंद। फिर गुजरात को केसरी बि ब्वाद बल मी ही आम सम्राट छौं मई अंत या बरखा शुरू ह्वाइ ना कि अलफांसो अर केसरी खतम।
फिर आमखव्वा दशहरी , लंगडा या मालदा का आमों तै आम सम्राट की पदवी दे दींद छा।
    जब तलक हमर देस मा रिफौर्म या आर्थिक सुधार की धूम नि मच छे तब तलक आम आदिम बि आम खादों छौ। अपण अपण हिसाब से हापूस या क्वी हौर आम पेट्यूँ या थैलों माँ लैक सिद्ध करदा छा कि आम एक भारतीय आम फल च अर मैंगो शब्द तमिल शब्द च अर आम खाण भारतीय संस्कृति को एक आम अंग च।
 फिर जन जन मनमोहनी इकॉनोमिक रिफौर्म का बारा मा हम भारतीयों ज्ञान जादा होंद गे  आम खाण आम लोगुं बसै बात नि रै गे। पैल आम लोग आम खाणो बान आम लांदा छा। फिर समौ आइ कि आम लोग हौर आम लोगुं तै दिखाणो बान आमुं मौसम मा सिरफ एक दिन आम खरीददा  छा। याने कि जन जन आर्थिक सुधार बुलंदी पर पंहुचद ग्यायि आम आम लोगुं पंहुच से दूर हूंद ग्यायि।
अब त आम लोग अपण बच्चों तैं लोक कथा सुणान्दन कि ऊंका ददा जी साल भर मा दस पेटी आम खरीददा छा अर हमर परिवार फुटकर मा बि तकरीबन रोजाना छै  सात आम खांदा छा। अर इन कथा अब आम कथा ह्वे गेन।
 अब जब अप्रैल मई मा आमु दाम सूणि मि बेदम ह्वे जांदो छौ त ड्यारम हमर  दिवतौंन बि आमै दाणि नि देखि।
अब जब गुजराती अर राजस्थानी लोग बरखा होन्दि इ आम खाण बंद करी दींदन त घरवळिन बोलि बाल बच्चों तैं अब त चखावो एकाद फाड़ी आम की। घरवळिन सावधान कार कि बच्चों तै आम नि दिखौला तो वो अपण बच्चों तैं क्या बथाल कि वन्स अपौन अ टाइम अवर ग्रैंड फादर यूज्ड टु  लाइक मैंगो फ्रूट ऐंड मैंगो फ्रुट वाज इन अवर डाइट।
   पिछ्ला चार सालों से आदत पोड़ी च कि  जून मा एक दिन आम बजार जाण अर चार पांच आम लै आण।पैल हम पूरी दाणी दिबतौ ठौ मा चढाँदा छा अब छुटि सि आमै चिरखि चढाँदा अर दिबतौं से मांग करदा कि हमारि इनकम इथगा ह्वै जावो कि हैंक साल तुम तै पूरी आम की दाणि चढै सकवां।  पण हमर द्यौ दिबता  बि संतोषी ह्वै गेन या सुधारवादी ह्वे गेन अर छ्वटि सि आमै चिरखि मा ही खुश दिखेंदन  दिबतौं तैं छ्वटि सि आमै चिरखि दिखण मंजूर च पण हम आम आदम्युं इनकम बढ़ाण मंजूर नी च। दिबतौं बुलण बि ठीकि च कि आम आदम्युं इनकम बढेक क्या मीलल सिरफ एक दाणी आम। दिबता उथगा मेनत अम्बानी या  जिंदल पर कारल तों दिबतौं तें सोना कु रत्न  जड़ित सिंघासन मीलल। इकॉनोमिक रिफौर्म जुग  मा दिबता बि नफा नुकसान सुचण बिसे गेन।

 खैर ए साल मि पैल दै  आम बजार ग्यों त द्याख कि सबि दुकानदारोंन आम ढक्याँ छया।  कै बि तरां आमु दर्शन दुर्लभ छया। हरेक आम का दुकानदारन आमुं बड़ा बड़ा पोस्टर लगायाँ छया।
मीन दुकानदार तैं पूछ - आम कु कु छन?
दुकानदार - सब वेराइटी का आम छन। पैल इन बथावो कि क्रेडिट कार्ड लायुं च कि ना?
मि - मि आम खरीदणों आयुं छौं ना कि फ़ाइव स्टार होटलम डिनर लीणों .
दुकानदार -त कैश का दगड़ पैन कार्ड लयुं च कि ना?
मि - ये भै मि आम मुल्याणो आयुं छौं ना कि फ़्लैट या जमीन खरीदणो  अयूँ छौं।
दुकानदार -आम दिखण कि खालि सुंघण च ?
मि -देखिक अर सूंघिक ही तो आम खरीदे जाल कि ना?
दुकानदार -जै मा क्रेडिट कार्ड नि ह्वावो अर ना ही पैन कार्ड ह्वावो तो वू क्या आम खरीदल!
मि -क्या मतबल?
दुकानदार -रेट लिस्ट अफिक पौढ़ील्या या मि सुणो
मि -आपि रेट लिस्ट बथावो
 दुकानदार - वेराइटी का हिसाबन आम दिखणो रेट छन -अलफांसो -पांच सौ रुपया प्रति आम, केसरी -चार सौ अस्सी प्रति आम , लंगड़ा -आज चार सौ रुपया प्रति आम। आम दिखण पर दस प्रतिशत सेवा कर बि लगल।
मि -हैं ये साल आम दिखणो बान बि इथगा पैसा ?
दुकानदार -हाँ अर आम सुंघणो रेट च - आम दिखण का  डेढ़ गुणा। दिखाण अर सुंघाण से पैल ऐडवांस जमा कराण जरूरी च।
मि -अर यु क्या लिख्युं आम की पेटी प्रदर्शनी हेतु  किराए पर मिलती है?
दुकानदार -वु क्या च भौत सा ग्राहक अपण मुहल्ला मा दिखाण चांदन कि वो आम खांदन तो हम किराए पर आम भरीं पेटी ऊंक ड्यार लिजांदा।  हाँ पैल हमर आदिम सब जगा पता पुछणो बान घुमद जै से पता चल जावो कि फलणौ इख आम की पेटी आयीँ च। 
मि -अर फिर ईं स्यूं आमै पेटी तैं वापस कनकै लांदवां
दुकानदार -आधा रातमा कि  कै तैं पता नि चौल।
मि - आमौ पेटी क किराया  कथगा  च ?
दुकानदार -दस हजार रुपया प्रति दिन
मि - ये मेरि ब्वै !
दुकानदार - यदि क्वी ग्राहक आम का  दाम , आम दिखणो दाम सूणि बेहोश ह्वे जावो तो ऐम्बुलेंस  का खर्चा पर्चा की जुमेवारी हमारी नी च
मि -मै लगद मि बेहोश होण वाळ छौं।
दुकानदार -किराए की प्राइवेट ऐम्बुलेंस  मा जाण चैल्या या नगरपालिका की ऐम्बुलेंस से जाण चैल्या?
मि -नगरपालिका की ऐम्बुलेंस से
दुकानदार -तो इनि बेहोश पड्या रावो भोळ तलक नम्बर ऐ जालो। पैल लोग जादा आम खैक बीमार हूंदा छा अचकाल आमुं दाम सूणिक बेहोश ह्वे जांदन तो  नगरपालिका अस्पतालों मा मरीजों संख्या भौत बढ़ी गे। यदि मेडिकल इन्सुरेंस च त मेरी मानो त प्राइवेट अस्पताल मा ही भर्ती ह्वै जावो।



Copyright @ Bhishma Kukreti  5/06/2013           
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
 सौज सौज मा मजाक मसखरी
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 

                                            ट्वाइलेट, पाखाना -गुसलखाना हर्चि  गेन


                            चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

         (यह लेख एक समाचार - 1.16 Crore Toilets are 'MISSING' in Uttar Pradesh की प्रेरणा से  लिखा गया है )



  वैदिन पता चौल बल कुछ साल पैलि , सरकारी अनुदान से सरकारन हमखुण  मवारां (प्रति परिवार ) ट्वाइलेट याने पाखाना -गुसलखाना चीणि छौ अर अबि तलक हमन सरकारी लोन वापिस नि कार।   
  अब हमर समज मा इ नि आयि कि जब हमन एक दिन बि ट्वाइलेट भितर पाणि नि बर्त त  सवाल या च कि ट्वाइलेट बौण छन कि ना?
पण  चूँकि सरकारी रिकॉर्ड मा दस x आठ x सात फिट का ट्वाइलेट बणी छन त ट्वाइलेट बणी छन। भगवान झूठो ह्वे सकद पण हमर देस मा सरकारी रिकौर्ड तै झूट बुलणो हिकमत त माननीय जज बि नि करि सकदन। बिचारा जजुं क्या गळती? हमर अधिकारी बड़ा ही तेज अर होशियार जि होंदन।  तबि त स्याळ बि अचकाल अपण बच्चौं तै होशियारी सिखाणो भारतीय अधिकार्युं पास भिजदन।  याने कि हमर ट्वाइलेट हर्चि गेन
 हम अपण गिताड़  जीत सिंह नेगी जी मा गंवा बल नेगी जी हमर हरेकाक सरकारी अनुदान से बण्या  ट्वाइलेट हर्चि गेन जरा बथावदी कि हमर पाखाना -गुसलखाना मीलल?
जीत सिंह जीन बोलि - हैं ! ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना हर्चि गेन? हम बि 'भारी भूल' करदा छा अर भुलमार मा 'बीरा' तैं खुद्याणो 'उचि  निसि डाँड्यूँ' मा भेजि दींदा छा। हमर टैम पर कट्वरि हर्चि जावो त हर्चि जा इन बड़ी चीज जन कि ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना ! अब इन चीज जन की ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना तैं जनक्याण बि कठण च त इन कारो तुम ललित मोहन थपलियाल जी मा जावो। एक दै ललित मोहन थपलियाल जी को 'खाडू लापता' ह्वे छौ अर ऊंन वै 'लाप़ता खाडू' तैं ढूँडि बि छौ।
हमन बथाइ - नेगी जी ! ललित मोहन थपलियाल जी को तो कब का स्वर्गवास ह्वे गे।
जीत सिंह नेगी जी - अरे कैन बथाइ बि नी। एक दिन म्यार दगड़ बि इनि होण। खैर तुम इन कारो चन्द्र सिंह राही मा जावो।
हम चन्द्र सिंह राही जी मा गेवां अर हमन राही जी मा अपण बिपदा सुणाइ कि हमर सरा गाँवक हरेक परिवारों ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना हर्चि गेन अर राही जी से ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना खुज्याण मा मदद माँग।
चन्द्र सिंह राही जी- अरे हमर बगत पर त मनस्वाग बाग़ याने मैन इटर टाइगर लगद छौ। क्या अब ट्वाइलेट ईटर बाग़ बि लगण बिसे गेन।  एक बात बथावो कि यि ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना  सीमेंट , गारा , ईंट से ही बौण होला ना?
हम सब्युंन जबाब दे - अब हमन त बण्यु   ट्वाइलेट देख नी छन वो सरकारी कागज बुलणु च बल हमर पुंगड़म ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना बौणी छौ। अब जब ट्वाइलेट बौणि होलु तो सीमेंट , गारा , ईंट से ही बौण होलु।
राही जी - भै मि त फ्वां बाग़ याने मैन इटर को विशेषग्य छौं। अर म्यार बागौ ज्ञान बथान्द बल मैन इटर  बाग़ टॉयलेट भक्षण कबि बि नि करद। जानवर  अपण चरित्र कबि बि नि छुड़द। बाग़ इन चोरि नि करदो। ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना चुर्याण तो मनिखों को ही काम ह्वे सकद। इन कारो कि तुम  नरेंद्र सिंह नेगी  जी मा जावो। एक दें नेगी जीका बखर हर्ची गे छा तो नेगी जीन बड़ी तरतीब से अपण बखर खोजि छा।
हम सब नरेंद्र सिंह नेगी जी मा गंवां अर अपणी खैर लगाई कि नेगी जी ! हमर ट्वाइलेट- पाखाना -गुसलखाना मिसिंग छन।
नरेंद्र सिंह नेगी जी धै लगाण मिसे गेन -
ये भुलि ! हे घस्यानि!  म्यरा ट्वाइलेट हर्चि गेन। तुमन बि देखिन म्यरा ट्वाइलेट हर्चि गेन।
हमन ब्वाल - बल नेगी जी जौं दीदी -भुल्युं तै ही तुम पुछणा छंवाँ कि ट्वाइलेट कख छन जौंक ट्वाइलेट हर्च्यां छन।
नेगी जी - वो त या बात च!
हे पंचों! हे प्रधानो ! हे सरपंचों! हे ब्लॉक अध्यक्षों !
म्यरा ट्वाइलेट हर्चि गेन। तुमन बि देखिन म्यरा ट्वाइलेट हर्चि गेना । म्यरा गुसलखाना  हर्चि गेना !
हमन बथाइ - ह्याँ पंच ,प्रधान,  सरपंच , ब्लॉक अध्यक्ष सब्युंन  इश्वर की सौगंध खैक गवाही दियीं च कि हमर गाँ मा हरेक  परिवारौ वास्ता इकै ट्वाइलेट बौणि छा।
नेगी जी - औ त या बात च !
हे   पटवारियो, हे अधिकारियों! हे तहसीलदारों!  हे इंजीनियरों !
तुमन बि देखिन म्यरा ट्वाइलेट हर्चि गेना । म्यरा गुसलखाना  हर्चि गेना !
हमन बथाइ - हम सब यूँमा गे छया पण हम तै पता चौल बल पटवारियून ,  अधिकारियुन ! इंजिनियरुन , तहसीलदारुन  बि लेखि दियुं च बल हमर ट्वाइलेट बौण छन अर हमन यूंका समणी हौग बि च।
नरेंद्र सिंह जी -ओहो त बात इख तलक पौंची गे।
हे सोसल वर्कर्स ! तुमन बि देखिन म्यरा ट्वाइलेट हर्चि गेना । म्यरा पाखाना  हर्चि गेना !
हमन दुखड़ा सुणाइ - हम यूं सामाजिक कर्ताओं मा बि गेवां अर सब्युंन हम सणि धमकी दे बल जु हमन शिकैत कार तो हमारी खैर नी च
नेगी जी -
अबे निर्भागियो ! निस्सतियो! जनता का मूत  कथगा पेल्या ?
हे बदमाशो , हे दगाबाजो  ! जनता का गू , विष्ठा कथगा खैल्या?
हमन बथाई - हमन बि यूं सब्युं कुण बोलि छौ बल हमर कथगा हौग -मूत खैल्या? पण इ सौब हम पर हंसण बिसे गेन बल गीत गैक कुछ नि होंद। यूंन ब्वाल बल गरम पाणीन कूड़ नि फुकेंद, गाऴयूंन लौड़-गौड़ नि मोरदन , अर गाणा गैक रिशवतखोरी बंद नि होंद।
नरेंद्र सिंह नेगी - तो ! अब एकि पर्याय रयुं च।
जगावो  माचिस अर अन्याय , अनाचार, अत्याचार  पर आग लगै द्यावो
उठावो अपण मुट्ठी अर व्यभिचार, चोरी , सीनाजोरी तैं मुठके द्यावो
ल्यावो गंजेळी अर अनाचार, अन्याय , अखरापन, अगुण सब्युं तैं कुटि द्यावो
उठाओ बसूला , उठावो कुलाड़ी अर भ्रस्टाचार की मौणि धळकावो
उठावो तलवार ! उठावो थमाळी  अर रिशवतखोरिक धड़ अलग करी द्यावो।
उठावो बंदूक अर कुसंगति, कुमति,  बिसगती    तै सद्यानौ  मौत का घाट उतारि  द्यावो
   


Copyright @ Bhishma Kukreti  6/06/2013           
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

 

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