Author Topic: शेर दा अनपढ -उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि-SHER DA ANPAD-FAMOUS POET OF UTTARAKHAND  (Read 91305 times)

हेम पन्त

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क्यूं दोस्तो सो गये? ???
1994 के उत्तराखण्ड आन्दोलन में अचानक विराम लगने से उत्पन्न व्यथा को कुमाऊनी कवि शेरदा "अनपढ" ने इन शब्दों में व्यक्त किया.
इस दौर में भी इस कविता की प्रासंगिकता कम नही हुई है, जब राज्य बने 7 साल बीत चुके हैं और आम जनता नेताओं और पूंजीपतियों के द्वारा राज्य को असहाय होकर लुटता देख रहे हैं. कहीं भी विरोध की चिंगारी सुलगती नही दिख रही है. उम्मीद है कि शेरदा "अनपढ" की यह कविता युवा उत्तराखण्डियों को उद्वेलित जरूर करेगी.


चार कदम लै नि हिटा, हाय तुम पटै गो छा?
के दगडियों से गोछा?

डान कान धात मनानेई, धात छ ऊ धात को?
सार गौ त बटि रौ, तुम जै भै गो छा?
के दगडियों से गोछा?

भुलि गो छा बन्दूक गोई, दाद भुलि कि छाति भुलि गिछा इज्जत लुटि,
तुमरै मैं बैणि मरि हिमालाक शेर छो तुम,
दु भीतर फै गो छा?
के दगडियों से गोछा?

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हेम पन्त

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Is kavita ka anuvaad karne ki ek naadan koshish ki hai....galtiyo ke liye maaphi chaahunga

चार कदम भी नही चले और तुम थक गये, क्यूं दोस्तों सो गये?
पर्वत तुम्हें आवाज लगा रहे हैं. सारा गांव तैयार हो चुका है और तुम बैठ गये?
क्यूं दोस्तों सो गये?

क्या भूल गये वो बन्दूक की गोलियां?
भाई बहनों की चीरी गयी छातियां. भूल गये क्या इज्जतें लूटी गयी थी?
तुम्हारी माँ बहनें मरीं थीं. हिमालय के शेर हो तुम. किस बिल में घुस गये?
क्यूं दोस्तों सो गये?


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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Hem Da,

Very good information about Sher Da Anpahd. I have also listened two Audio cassettes of Sherda's poems.

Is kavita ka anuvaad karne ki ek naadan koshish ki hai....galtiyo ke liye maaphi chaahunga

चार कदम भी नही चले और तुम थक गये, क्यूं दोस्तों सो गये?
पर्वत तुम्हें आवाज लगा रहे हैं. सारा गांव तैयार हो चुका है और तुम बैठ गये?
क्यूं दोस्तों सो गये?

क्या भूल गये वो बन्दूक की गोलियां?
भाई बहनों की चीरी गयी छातियां. भूल गये क्या इज्जतें लूटी गयी थी?
तुम्हारी माँ बहनें मरीं थीं. हिमालय के शेर हो तुम. किस बिल में घुस गये?
क्यूं दोस्तों सो गये?


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Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Aise hi ojasvi gaano se Sher Da ne Andoloan ko aage badhane main madad ki thi.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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लोक संस्कृति व साहित्य के प्रति बेमन है सरकार: शेरदाNov 23, 02:22 am

अल्मोड़ा। मौजूदा दौर में कुमाऊँनी व गढ़वाली साहित्य सृजन की बयार तो अच्छी चल ही रही है, उसके अंदर खुशबू भी कम अच्छी नहीं है। जिस प्रकार युवा पीढ़ी का रचना संसार व्यापकता लिए हुए चल रहा है, निश्चित ही यह भविष्य के अच्छे संकेत दिखाई देते है। यह कहना आधुनिक कुमाऊँनी कविता के युगपुरुष कहे जाने वाले शेर सिंह बिष्ट 'अनपढ़' का।

श्री अनपढ़ यहां जागरण से एक विशेष वार्ता में बात कर रहे थे। उनका कहना था उत्तराखण्ड के कुमाऊँनी व गढ़वाली साहित्य का भविष्य इसलिए उज्ज्वल दिखाई देता है कि आज विद्वान लोग लिख रहे है और सोच रहे है। उन्होंने अपने दौर का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय अनपढ़ कवि हुआ करते थे। मौजूदा दौर में बुद्धिजीवियों की भागीदारी से लोक संस्कृति व साहित्य में चार-चांद लगेंगे, यही उम्मीद हमें करनी चाहिए। शेरदा से यह पूछने पर कि आप उम्र के कितने बसंत पार कर चुके है। सहज भाव से शेरदा ने कहा, 'ठीक से याद नहीं, 80 के चक्कर में फंस गया लगता हूं।'

सरकार द्वारा लोक साहित्य व संस्कृति के लिए कोई रुझान न होने की पीड़ा शेरदा की बातों में दिखाई दी। उन्होंने कहा न तो नेता और न ही सरकार कुमाऊँनी व गढ़वाली के रचना संसार की ओर देख रही है। उनका कहना था कि इसका दु:ख केवल मुझे ही नहीं सारे सृजनकार इनकी उपेक्षा से आहत है। नई पीढ़ी को संदेश देते हुए उन्होंने कहा किसी भी रूप में वह कर्मठता व लगनशीलता के साथ आगे बढ़ने की उनमें ललक हो यह कल के लिए जरूरी है।

अंत में अपनी दो पंक्तियां कुछ इस प्रकार सुनाई- 'गुणों में सौ गुण भरिया, म्यार पहाड़ाक् नानतिनो। य दूनि में गुणें चैनी, म्यार पहाड़ाक् नानतिनो'।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3927944.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sahi kaha sher da ne.

लोक संस्कृति व साहित्य के प्रति बेमन है सरकार: शेरदाNov 23, 02:22 am

अल्मोड़ा। मौजूदा दौर में कुमाऊँनी व गढ़वाली साहित्य सृजन की बयार तो अच्छी चल ही रही है, उसके अंदर खुशबू भी कम अच्छी नहीं है। जिस प्रकार युवा पीढ़ी का रचना संसार व्यापकता लिए हुए चल रहा है, निश्चित ही यह भविष्य के अच्छे संकेत दिखाई देते है। यह कहना आधुनिक कुमाऊँनी कविता के युगपुरुष कहे जाने वाले शेर सिंह बिष्ट 'अनपढ़' का।

श्री अनपढ़ यहां जागरण से एक विशेष वार्ता में बात कर रहे थे। उनका कहना था उत्तराखण्ड के कुमाऊँनी व गढ़वाली साहित्य का भविष्य इसलिए उज्ज्वल दिखाई देता है कि आज विद्वान लोग लिख रहे है और सोच रहे है। उन्होंने अपने दौर का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय अनपढ़ कवि हुआ करते थे। मौजूदा दौर में बुद्धिजीवियों की भागीदारी से लोक संस्कृति व साहित्य में चार-चांद लगेंगे, यही उम्मीद हमें करनी चाहिए। शेरदा से यह पूछने पर कि आप उम्र के कितने बसंत पार कर चुके है। सहज भाव से शेरदा ने कहा, 'ठीक से याद नहीं, 80 के चक्कर में फंस गया लगता हूं।'

सरकार द्वारा लोक साहित्य व संस्कृति के लिए कोई रुझान न होने की पीड़ा शेरदा की बातों में दिखाई दी। उन्होंने कहा न तो नेता और न ही सरकार कुमाऊँनी व गढ़वाली के रचना संसार की ओर देख रही है। उनका कहना था कि इसका दु:ख केवल मुझे ही नहीं सारे सृजनकार इनकी उपेक्षा से आहत है। नई पीढ़ी को संदेश देते हुए उन्होंने कहा किसी भी रूप में वह कर्मठता व लगनशीलता के साथ आगे बढ़ने की उनमें ललक हो यह कल के लिए जरूरी है।

अंत में अपनी दो पंक्तियां कुछ इस प्रकार सुनाई- 'गुणों में सौ गुण भरिया, म्यार पहाड़ाक् नानतिनो। य दूनि में गुणें चैनी, म्यार पहाड़ाक् नानतिनो'।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_3927944.html


हलिया

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महाराज, शेरदा ने एक बार कुछ सुनाया था.. ठीक-२ तो याद नहीं पर कुछ इस तरह था...

"शेरदा-२ हैगै, भ्यार भितेर
नानि भुलि ले बोल्यूं फ़ैगे, शेरदा कै भेर..
स्यानि त बोलुनां छि,
अनहोति तब ह्वेगै जब,
चेलो ले कै बोलुन फ़ैगो, शेरदा कै भेर.."

पूरे कुमाऊं में हास्यरस में शेरदा जैसा और कौन ठैरा?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Great Sir Ji.



महाराज, शेरदा ने एक बार कुछ सुनाया था.. ठीक-२ तो याद नहीं पर कुछ इस तरह था...

"शेरदा-२ हैगै, भ्यार भितेर
नानि भुलि ले बोल्यूं फ़ैगे, शेरदा कै भेर..
स्यानि त बोलुनां छि,
अनहोति तब ह्वेगै जब,
चेलो ले कै बोलुन फ़ैगो, शेरदा कै भेर.."

पूरे कुमाऊं में हास्यरस में शेरदा जैसा और कौन ठैरा?


हलिया

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मेहता ज्यू, यो शायद शेरदा क कैसेट "पंचम्याऊं" में छु.  भलि कै याद नि छ.  मेरा पास धरीं छ्न शेरदा का कुछ कैसेट.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Yes Sir Ji,

This cassette is also available with me. This cassette has collection of Shera's "Hasya Kavtia".

मेहता ज्यू, यो शायद शेरदा क कैसेट "पंचम्याऊं" में छु.  भलि कै याद नि छ.  मेरा पास धरीं छ्न शेरदा का कुछ कैसेट.

 

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